December 26, 2024 10:26 pm

लेटेस्ट न्यूज़

80 साल बाद फ्रांस ने मानी नरसंहार की गलती, ब्रिटेन पर भी उठे सवाल

फ्रांस ने आखिरकार 80 वर्ष बाद यह मान लिया कि वर्ष 1944 में फ्रांसीसी सेना द्वारा सेनेगल के थियारोये में पश्चिम अफ्रीकी सैनिकों की हत्या नरसंहार थी। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को सेनेगल सरकार को लिखे एक पत्र में पहली बार यह बात स्वीकार की।

इसी तरह की एक नरसंहार की घटना अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुई थी, जहां निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन इसके लिए ब्रिटेन ने अभी तक माफी नहीं मांगी है। जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी पर केवल अफसोस जाहिर किया था।

80वीं बरसी से पहले मैक्रों ने लिखा पत्र
फ्रांसीसी राष्ट्रपति की यह स्वीकारोक्ति सेनेगल की राजधानी डकार के बाहरी इलाके के गांव थियारोये में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुई हत्याओं की 80वीं बरसी से एक दिन पहले सामने आई है। यह पत्र ऐसे समय लिखा गया है, जब इस क्षेत्र पर फ्रांस का प्रभाव कम हो रहा है।

1940 के फ्रांस युद्ध के दौरान फ्रांसीसी सेना की तरफ से लड़ने वाले पश्चिम अफ्रीका के लगभग 400 सैनिकों को फ्रांसीसी सैनिकों ने ही एक दिसंबर 1944 को मार डाला था। इनमें से ज्यादातर निहत्थे थे। फ्रांस ने इसे वेतन से जुड़े भुगतान को लेकर विद्रोह बताया था।

'मैक्रों के कदम से नई शुरुआत'
सेनेगल के राष्ट्रपति बासिरू डियोमाये फे ने बताया कि उन्हें फ्रांसीसी राष्ट्रपति का पत्र मिला है। मैक्रों के इस कदम से नई शुरुआत होनी चाहिए, ताकि थियारोये की इस दर्दनाक घटना के बारे में पूरी सच्चाई सामने आ सके।

पत्र में मैक्रो ने कहा, 'फ्रांस को यह स्वीकार करना चाहिए कि उस दिन अपने पूर्ण वैध वेतन का भुगतान करने की मांग करने वाले सैनिकों और राइफलमैन के बीच टकराव के परिणामस्वरूप नरसंहार हुआ।' बता दें कि जलियांवाला बाग कांड 13 अप्रैल, 1919 को हुआ था।

ब्रिटेन ने जाहिर किया था केवल अफसोस
ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने रालेट एक्ट का विरोध कर रहे निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाई थीं। सैकड़ों लोग मारे गए थे। 2019 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने जलियांवाला नरसंहार को लेकर केवल अफसोस जाहिर किया था।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement