February 17, 2025 8:32 pm

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मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस और शिवसेना को आपत्ति 

नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी। भागवत के इस बयान पर कांग्रेस और शिवसेना का कहना है कि आरएसएस चीफ रामलला के नाम पर राजनीति रह रहे हैं, उन्होंने महात्मा गांधी और सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने भी ये कहा था कि देश को आजादी 2014 में मिली थी। इसके बाद अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कह रहे हैं कि राम मंदिर बनने के बाद ही देश को सच्ची स्वतंत्रता मिली, तो फिर 15 अगस्त 1947 को क्या हुआ था, 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) का इतना महत्व क्यों है। अगर यह (रामलला की प्राण प्रतिष्ठा) सच्ची आजादी है तो मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि वो महात्मा गांधी और सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रहे हैं।
राशिद अल्वी ने कहा कि राम मंदिर का बनना और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा निश्चित तौर पर एक महत्वपूर्ण दिन है, इसमें कोई शंका नहीं है, लेकिन ये कहना कि प्राण प्रतिष्ठा दिवस के दिन सच्ची आजादी मिली है, ये स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। वहीं शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा कि आरएसएस प्रमुख एक सम्मानित व्यक्ति हैं, लेकिन वे संविधान के निर्माता नहीं हैं। वे इस देश के कानूनों का मसौदा तैयार नहीं करते या उनमें बदलाव नहीं करते। रामलला के विग्रह का प्राण-प्रतिष्ठा वास्तव में देश के लिए गौरव का क्षण है और मंदिर निर्माण में सभी ने अपना योगदान दिया है। लेकिन, यह दावा करना गलत है कि देश अभी आजाद हुआ है। उन्हें रामलला के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
बता दें कि मोहन भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि सदियों तक विदेशी आक्रमणों को झेलने वाले भारत को सच्ची आजादी पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ मिली। उन्होंने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के दो दिन बाद कहा कि यह तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि अनेक सदियों से ‘‘परचक्र (दुश्मन का आक्रमण) झेलने वाले भारत की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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