February 19, 2025 4:01 am

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‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक पर एनडीए सहयोगी जदयू ने चिंता जताई

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग करते हुए ने केंद्र के ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक पर चिंता व्यक्त की और सरकार से आग्रह किया है कि वह कानून को लाने में जल्दबाजी न करें.

जदयू ने इस विधेयक पर व्यापक परामर्श की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटनाक्रम संसद के बजट सत्र से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सामने आया.

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, किरेन रिजिजू, जेपी नड्डा, अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कांग्रेस, वामपंथी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए.

इस बैठक में जदयू सांसद संजय कुमार झा ने ‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक को लागू करने में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया. इसके साथ ही पार्टी लाइन से इतर कई सदस्यों ने अपील की कि संयुक्त संसदीय समिति इस विधेयक पर विस्तार के लिए अनुरोध करे.

सर्वदलीय बैठक में जदयू के संजय झा और एक अन्य सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने विशेष रुप से नई लोकसभा में बैठने की व्यवस्था के बारे में भी चिंता जाहिर की. इसे सबसे पहले कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने उठाया था. सांसदों का तर्क था कि बैठने की व्यवस्था एकतरफा की गई है.

ज्ञात हो कि यह बैठक राजनीतिक दलों को सरकार के विधायी एजेंडे के बारे में सूचित करने और उन मुद्दों पर उनके इनपुट मांगने के लिए बुलाई जाती है, जिन्हें वे सत्र के दौरान उठाना चाहते हैं. इस बार कई विपक्षी सांसद कुप्रबंधन और वीवीआईपी संस्कृति जैसे मुद्दों पर सरकार को चुनौती देने के लिए तैयार हैं, जिसमें महाकुंभ में भगदड़ और वक्फ जेपीसी के कामकाज में प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी है.

द हिंदू की खबर के अनुसार, ‘एक देश एक चुनाव’ पर गठित संसदीय समिति की शुक्रवार (31 जनवरी) को हुई बैठक में इस प्रस्तावित विधेयक पर हितधारकों से परामर्श का निर्णय लिया गया.

सूत्रों के अनुसार, सदस्यों को उन लोगों की एक सूची दी गई, जिन्हें पैनल के सामने पेश होने के लिए बुलाया जाएगा. सदस्यों को इस विधेयक से जुड़े किसी भी प्रस्ताव में कुछ जोड़ने या हटाने की सिफारिश करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है.

समिति को पहले इस बजट सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, जो शुक्रवार (31 जनवरी) से शुरू हो गया है. अब इस संबंध में विस्तार पाने के लिए जेपीसी अध्यक्ष पीपी चौधरी को संसद में प्रस्ताव लाना होगा.

सूत्रों के अनुसार, जदयू सांंसद संजय झा ने बताया कि रामनाथ कोविंद पैनल, जिसने इस कानून का प्रस्ताव रखा था ने दिल्ली से बाहर जाकर राज्य सरकारों से परामर्श नहीं किया है.

एक सदस्य ने कहा कि पैनल को ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों के साथ चर्चा करनी चाहिए, जहां लोकसभा चुनावों के साथ चुनाव होते हैं.

बैठक में भाग लेने वाले एक सदस्य ने कहा, ‘हमें उनके अनुभव से सीखने की जरूरत है.’

विचार-विमर्श के लिए सीआरपीएफ समेत पूर्व चुनाव अधिकारियों और सुरक्षा बलों की सूची मंगाई जाएगी.

मालूम हो कि पिछली बैठक में संजय झा ने भारत जैसी बहुदलीय राजनीति में कानून की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया था.

उन्होंने पूछा था,’यदि कोई राज्य सरकार तीन साल में गिर जाती है, तो जैसा कि कानून कहता है, नई सरकार केवल शेष पांच साल की अवधि के लिए पद पर रहेगी. क्या यह नई सरकार के जनादेश को कमजोर नहीं करता है, जिसका कार्यकाल केवल दो साल का होगा? मतदाता ऐसी सरकार को गंभीरता से क्यों लेंगे.’

गौरतलब है कि बीते साल 17 दिसंबर को लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए पेश किए गए विधेयक का विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया था. इसका 269 सांसदों ने समर्थन किया था, जबकि 198 सांसदों द्वारा विरोध देखने को मिला था. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और संसदीय मामलों के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा था.

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए थे- एक संविधान संशोधन विधेयक, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ करने के लिए है, और दूसरा विधेयक, जो केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए प्रासंगिक अधिनियमों में संशोधन करने के लिए है, ताकि वहां भी एक साथ चुनाव कराए जा सकें.

‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए संविधान में 129वां संशोधन कर इसके तीन अनुच्छेदों में संशोधन और एक नया अनुच्छेद 82ए जोड़ने का प्रस्ताव है. इस संशोधन के मुताबिक, राष्ट्रपति को लोकसभा के पहले सत्र के बाद एक ‘नियुक्त तिथि’ की अधिसूचना जारी करनी होगी, और इस तिथि के बाद चुनी गई किसी भी राज्य विधान सभा का कार्यकाल लोकसभा के समापन के साथ समाप्त हो जाएगा.

इन प्रस्तावित संशोधनों की सिफारिश पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने की है, जिसने इस वर्ष मार्च में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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