हमारे आस-पास कई तरह के पौधे होते हैं, जिनमें औषधीय गुण भरे होते हैं, लेकिन इनके बारे में हम लोगों को पता नहीं होता. आजकल केमिकल युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल एक ट्रेंड बन चुका है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब ये केमिकल युक्त टूथपेस्ट नहीं थे, तब लोग क्या करते थे?
तब लोग जंगलों में पाई जाने वाली कुछ विशेष पौधों की टहनियों का दातुन करते थे.
यह एक प्राचीन परंपरा थी, जिससे दांत स्वस्थ और मजबूत रहते थे. ग्रामीण क्षेत्र में आज भी लोग भटवास की टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में करते हैं, जिससे उनके दांतों में कोई रोग नहीं लगता और वे हमेशा स्वस्थ रहते हैं.
आयुर्वेद के मुताबिक दांतों के लिए है ये बेहद फायदेमंद
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रघुनाथपुर बस्ती के चिकित्साधिकारी डॉक्टर सौरभ लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि आयुर्वेद में दातुन के लिए बताया गया है कि कसाय, कटु और तृप्त रस वाले द्रव्यों का इस्तेमाल करना चाहिए. भटवास की टहनियों में इन सभी गुणों का भंडार होता है. ये दांतों के रोगों, जैसे पायरिया और दांतों के दर्द के लिए बेहद फायदेमंद है. भटवास के दातुन का इस्तेमाल करने से न केवल दांत मजबूत होते हैं, बल्कि ये शरीर के दूसरे रोगों में भी मददगार साबित होता है.
शुगर के लिए फायदेमंद
वे आगे बताते हैं कि भटवास का दातुन रोज करना मधुमेह (शुगर) के रोगियों के लिए भी वरदान हो सकता है. अगर शुगर लेवल कंट्रोल नहीं होता तो सलाह दी जाती है कि भटवास की पत्तियों का सेवन स्वरस रूप में करें. भटवास की पत्तियों को क्रश करके सुबह-शाम खाली पेट 50 से 100 मि.ग्रा. के हिसाब से लेना चाहिए. इससे शुगर स्तर काफी हद तक नियंत्रित रहता है.
भटवास के औषधीय गुण सिर्फ शुगर तक ही सीमित नहीं हैं. इसमें एंटी-मलेरियल प्रॉपर्टी पाई जाती है, जो मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करती है. आजकल कैंसर जैसे गंभीर रोगों में भी भटवास का उपयोग अनुसंधान के तहत किया जा रहा है.
