दिल्लीः कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाल ही में संसद में पारित नए दूरसंचार विधेयक को लेकर शनिवार को सरकार से सवाल किया और आश्चर्य जताया कि क्या ‘सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम’ के आवंटन में हजारों करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है।
कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि नये दूरसंचार विधेयक के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार ने 2012 से लागू उच्चतम न्यायालय के नियमों और दिशानिर्देशों का ‘‘उल्लंघन” किया है। उन्होंने पूछा, ‘‘ऐसा क्यों किया गया?”
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर वाड्रा ने सरकार से सवाल पूछे। पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम आवंटन में क्या हजारों करोड़ का घोटाला हुआ है? नया टेलीकॉम विधेयक तब पास क्यों हुआ जबकि विपक्ष के 143 सांसद सस्पेंड थे। इसमें कोई रिश्ता है क्या? कांग्रेस महासचिव ने पूछा कि नये टेलीकॉम विधेयक के माध्यम से सैटेलाइट से इंटरनेट स्पेक्ट्रम के आवंटन में बोली लगाने (बिडिंग) के नियम को क्यों हटाया गया? उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘आवंटन में बोली लगाने के नियम को हटाने से दूसरी कंपनियां बिडिंग में हिस्सा ही नहीं ले पाईं – इससे राष्ट्रीय खजाने को कितना नुक़सान हुआ?” उन्होंने पूछा कि नये टेलीकॉम विधेयक के पारित होने का सबसे पहले और सबसे अधिक फायदा किसे मिला। वाद्रा ने पूछा, ” इलेक्टोरल बांड के नाम पर “चंदा दो, धंधा लो” के जिस बड़े रैकेट का पर्दाफ़ाश हुआ है – उसमें लाभार्थी कॉरपोरेट कंपनी से बीजेपी को मिले 150 करोड़ रुपए के चंदे का क्या योगदान है?” प्रियंका गांधी ने कहा कि क्रोनोलॉजी समझिए और बताया कि भाजपा को 150 करोड़ रुपए का चंदा दिया गया, फिर 143 सांसदों को बर्खास्त किया गया, नया दूरसंचार विधेयक पारित किया गया और फिर बिना बोली के दानदाता समूहों को स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया।उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी देश को कब बताएंगे, यह- संयोग है या प्रयोग!?।” संसद ने पिछले दिसंबर में वह विधेयक पारित किया था जो सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अस्थायी रूप से दूरसंचार सेवाओं पर नियंत्रण करने की अनुमति देता है और नीलामी में भाग लिये बिना सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन को सक्षम बनाता है।