November 22, 2024 10:06 pm

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भूपेश के नाक की लड़ाई बन चुका है राजनांदगांव लोकसभा सीट

लोकसभा चुनाव 2024 में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्‍य की राजनांदगांव सीट से लड़ रहे हैं। बघेल पिछले कुछ सालों में कांग्रेस के बड़े ओबीसी चेहरे के रूप में सामने आए हैं।

भूपेश बघेल दो बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्तमान में वह पाटन सीट से विधायक हैं। बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस को दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में हार मिली थी।

व‍िधानसभा चनुाव हारने के चार महीने बाद ही कांग्रेस ने बघेल को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतार द‍िया है। बीजेपी का गढ़ बन चुके राजनांदगांव की लड़ाई उनके ल‍िए महज एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्‍क‍ि नाक का सवाल बन गया है। व‍िधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद इस सीट पर जीत उनकी प्रत‍िष्‍ठा से जुड़ गई है। वैसे ही, बीजेपी के ल‍िए भी यह नाक की लड़ाई है, क्‍योंक‍ि यह अब एक तरह से उसकी परंपरागत सीट बन गई है।

Rajnandgaon Lok Sabha Election Results: 1999 से पांच बार जीती है बीजेपी

साल विजेता पार्टी
1999 रमन सिंह बीजेपी
2004 प्रदीप गांधी बीजेपी
2007 (उपचुनाव) देवव्रत सिंह कांग्रेस
2009 मधुसूदन यादव बीजेपी
2014 अभिषेक सिंह बीजेपी
2019 संतोष पांडे बीजेपी

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार संतोष पांडे ने इस सीट पर 1.11 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। बीजेपी ने इस बार भी यहां से संतोष पांडे को टिकट दिया है। यहां 1999 से उनकी ही पार्टी (2007 के उपचुनाव को छोड़ कर) जीतती रही है।

राजनांदगांव लोकसभा सीट के तहत आने वाली व‍िधानसभा सीटों पर भी वोट के मामले में बीजेपी हावी रही है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष और 15 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह राजनांदगांव विधानसभा सीट से ही विधायक हैं।

11 लोकसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में पिछले दो लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। 2014 में बीजेपी ने यहां 9 और 2019 में 10 सीटें जीती थी।

Rajnandgaon Lok Sabha seat: पांच व‍िधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस, तीन पर बीजेपी काब‍िज

राजनांदगांव लोकसभा में कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें- राजनांदगांव, खुज्जी, मोहला मानपुर, डोंगरगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़, कवर्धा और पंडरिया शामिल हैं। इन 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस के विधायक जीते थे और 3 सीटें बीजेपी के पास हैं। इस लोकसभा सीट की अधिकतर विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है इसलिए कांग्रेस इस सीट को जीतने की उम्मीद कर रही है।

इनमें राजनांदगांव से (रमन सिंह-बीजेपी), डोंगरगांव से (दलेश्वर साहू-कांग्रेस), खुज्जी से (भोलाराम साहू-कांग्रेस), मोहला- मानपुर से (इंद्रशाह मंडावी-कांग्रेस), डोंगरगढ़ से (हर्षिता बघेल-कांग्रेस), खैरागढ़ से (यशोदा वर्मा-कांग्रेस), कवर्धा से (विजय शर्मा-बीजेपी) और पंडरिया से (भावना वोहरा-बीजेपी) विधायक हैं।

सभी आठों विधानसभा सीटों में अगर 2003 के विधानसभा चुनाव के हिसाब से देखें तो बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले 30599 वोट ज्यादा मिले थे।

राजनांदगांव की कुल जनसंख्या करीब 23 लाख है, जिसमें आदिवासी और लोधी समाज के मतदाता ज्यादा हैं। दोनों क्रमश: 35 और 30 प्रतिशत हैं। इसके अलावा साहू समाज के भी यहां 25 प्रतिशत मतदाता हैं। अनूसूचित जाति समाज से आने वाले सतनामी समाज की भी राजनांदगांव लोकसभा सीट पर अच्छी आबादी है।

Mahadev Betting App: महादेव ऐप घोटाला

भूपेश बघेल के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी मुश्किल है कथित महादेव ऐप घोटाला। इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भूपेश बघेल व अन्य कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है। दिसंबर, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह कथित घोटाला सामने आया था और इसे कांग्रेस को मिली हार की एक बड़ी वजह माना गया था।

बघेल के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पैदा हुए असंतोष से भी निपटने की चुनौती है। हाल ही में खुटेरी गांव में एक बैठक में एक कार्यकर्ता ने कहा था कि बघेल तक पार्टी कार्यकर्ता नहीं पहुंच सकते थे।

भूपेश बघेल ने उनकी सरकार द्वारा 9,000 करोड़ रुपये के किसान ऋण माफ करने के अलावा धान की खरीद की कीमत बढ़ाने को राजनांदगांव में मुद्दा बनाया है। कांग्रेस को उम्मीद है कि राजनांदगांव में इसका बड़ा असर होगा। अपने चुनावी भाषणों में, भी बघेल बार-बार इन्हीं बातों का जिक्र करते हैं।

बघेल अपने भाषणों में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पर हमले करते हैं। बघेल कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाना बंद कर दिया और बेरोजगारी भत्ता भी बंद कर दिया। बघेल कहते हैं कि देश में ‘मजबूत’ विपक्ष जरूरी है। वह आखिरी सांस तक राजनांदगांव के विकास के लिए लड़ने की बात भी कहते हैं।

बघेल चुनावी सभाओं के दौरान ‘छत्तीसगढ़ी’ और ‘आदिवासी’ पहचान को बढ़ावा देने और राम वन गमन पथ को विकसित करने में उनकी सरकार के द्वारा किए गए कामों को दोहराना नहीं भूलते।

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Author: Khabar 30 Din

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