लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में एक बार फिर ‘हिंंदू-मुसलमान’ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुसलमानों पर कटाक्ष करने वाले एक बयान से प्रचार का यह नैरेटिव बन गया। हालांकि, अगले ही दिन उन्होंने मुस्लिमों के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए काम गिनाए और अपनी सरकार को मुसलमानों की हितैषी बताने की कोशिश की।
वैसे, चुनाव से पहले पूरे समय बीजेपी की अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए अलग-अलग काम किए। जाहिर है, मोर्चा के कामों को प्रधानमंत्री का समर्थन निश्चित रूप से रहा होगा, लेकिन एक तथ्य यह भी है कि ‘भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा’ के आधिकारिक एक्स हैंडल को नरेंद्र मोदी समेत ज्यादातर बड़े भाजपा नेता फॉलो नहीं करते हैं।
मोदी और मुसलमान
चुनाव से पहले ‘मोदी भाईजान’ अभियान चलाकर भाजपा ने मुसलमानों को जोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन एक चरण का मतदान बीतने के साथ ही, चीजें बदल गई हैं। मोदी खुलेआम मुसलमानों के खिलाफ भाषण दे रहे हैं।
राजस्थान में भाजपा को वोट देने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों को ‘घुसपैठिया’ और ‘ज्यादा बच्चा पैदा करने वाला’ कहा था। अपने ही देश के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समूह के बारे पीएम की आपत्तिजनक टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है।
विपक्षी दल समेत सिविल सोसाइटी के लोगों पीएम के बयान पर चुनाव आयोग से संज्ञान लेने की मांग की है। हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है, जब नरेंद्र मोदी ने चुनाव में मुसलमानों के खिलाफ भाषण दिया हो। उनके ऐसे भाषणों की एक लंबी लिस्ट है:
न्यूजलॉन्ड्री की वेबसाइट प्रकाशित ज्योति पुनवानी की एक एनालिसिस से पता चलता है कि नरेंद्र मोदी ने पहली बार साल 2013 में असम में मुसलमानों की तुलना घुसपैठियों से की थी। तब मोदी ने बांग्लादेशी प्रवासियों को दो श्रेणियों में बांटा था। पहला- धार्मिक उत्पीड़न से भाग रहे लोग। दूसरा- वोटबैंक की राजनीति के लिए लाए गए लोग। मोदी ने मंच से लोगों से पूछा था कि क्या दूसरी श्रेणी को यहां से भागना चाहिए कि नहीं?
बाद में मोदी ने पश्चिम बंगाल में एक भाषण देते हुए कहा था कि बांग्लादेश से केवल उन लोगों का स्वागत है जो “दुर्गाष्टमी मनाई” मनाते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान टाइम्स नॉउ के तत्कालीन एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने जब इस भाषण को लेकर सवाल पूछा तो मोदी ने कहा कि उनके भाषण का गलत मतलब निकाला जा रहा है।
मोदी की शब्दावली में मुसलमान
सीधे-सीधे मुसलमानों का नाम लिए बिना भी मोदी कई बार उनके खिलाफ बोल चुके हैं। उनकी भाषा में मुसलमानों के लिए कई तरह के शब्द होते हैं। वह मुसलमानों को विपक्षी दलों का ‘वोट बैंक’ कहते हुए अपनी बात बोल जाते हैं। जैसे, मुजफ्फरनगर दंगों के ठीक छह महीने बाद उत्तर प्रदेश के बागपत में मोदी ने अफसोस जताया कि ‘वोट बैंक की राजनीति’ के कारण ‘हमारी बहू बेटियां’ स्वतंत्र रूप से घर से निकलने में सक्षम नहीं थीं और उनके माता-पिता को ‘सिर झुकाकर’ इस स्थिति को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गौरतलब है कि मुस्लिम युवकों द्वारा एक हिंदू लड़की के कथित उत्पीड़न को मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के प्रमुख बिंदु के रूप में प्रचारित किया गया था।
‘वोट बैंक’ के अलावा मोदी मुसलमानों को ‘एक विशेष समुदाय’ भी कहकर संबोधित करते हैं। उदाहरण के लिए साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी ने एक रैली को संबोधित करते हुए महागठबंधन पर एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण में से पांच प्रतिशत हिस्सा छीनने और इसे “एक विशेष समुदाय” को देने की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
कई बार तो पीएम मोदी कह कोई और बात रहे होते हैं, लेकिन निशाने पर मुसलमान होते हैं। साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम ने कहा था, अगर गांव में एक कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। अगर रमजान का मतलब निर्बाध बिजली आपूर्ति है, तो दिवाली का भी यही मतलब होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मुसलमानों के लिए ‘कपड़ों से पहचाने जाने वाले’ टर्म का भी इस्तेमाल किया है।
लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ एक मुसलमान को बीजेपी ने दिया टिकट
नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व लगातार गिरा है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने सिर्फ एक मुसलमान को उम्मीदवार बनाया है। अब्दुल सलाम को भाजपा ने केरल के मलप्पुरम से उम्मीदवार बनाया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल छह मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि पूरे देश में 543 सीटों में से 303 सीटें जीतने वाली भाजपा अपने केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार को लोकसभा पहुंचा सकी। भाजपा नेता सौमित्र खान ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ पश्चिम बंगाल से जीते थे।
पिछले चुनाव में कुल 27 मुस्लिम सांसद चुने गए थे, अधिकांश विपक्षी दलों से थे। 2014 (16वीं लोकसभा) में मुस्लिम सांसदों की संख्या 22 थी, यह आजादी के बाद सबसे कम था। लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की सबसे अधिक संख्या 1980 में थी जब समुदाय के 49 सदस्य चुने गए थे।
मुसलमानों से वोट लेने के लिए राहुल पर निशाना!
मोदी विपक्षी दलों का इसलिए भी मजाक उड़ाते है, क्योंकि उन्हें मुसलमानों का वोट मिलता है। 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने वायनाड से चुनाव लड़ने के लिए राहुल गांधी का मज़ाक उड़ाया था। उन्होंने कहा था- वह एक ऐसी जगह से चुनाव लड़ रहे हैं जहां “अल्पसंख्यक ही बहुसंख्यक” हैं।
‘मोदी भाईजान’ अभियान क्या था?
मुसलमानों से जुड़ने के लिए भाजपा ने पिछले साल पीएम मोदी को केंद्र में रखकर ‘मोदी भाईजान’ अभियान शुरू किया था। इसके तहत पार्टी ने 23 लोकसभा सीटों के 4,100 मुस्लिम बहुल गांवों में ‘कौमी चौपाल’ अभियान भी शुरू किया था। पिछले साल भाजपा ने पसमांदा मुस्लिम मतदाताओं से जुड़ने के लिए उत्तर प्रदेश के 27 जिलों में ‘स्नेह यात्रा’ का आयोजन किया था।