पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज करने निर्देश दिए गए हैं। उन पर आरटीई की राशि में हेरफेर करने का आरोप है। दरअसल शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत निजी स्कूलों में अध्ययनरत गरीब छात्रों की फीस सरकार द्वारा भरी जाती है।
तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आरटीई की राशि उन स्कूलों को जारी कर दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं थे, अर्थात डमी स्कूलों के नाम से राशि जारी करके उन्हें निजी खातों हस्तांतरित कर दिया गया।
जांच में 76 लाख रुपए की हेराफेरी सामने आई है। हालांकि जिन खातों में ये पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, उनकी पतासाजी अब तक नहीं की गई है। तीन बार हुई जांच के बाद अंततः स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ये कार्रवाई गई है। रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी को एफआईआर दर्ज करवाकर विभाग को सूचित करने निर्देश दिए गए हैं ।
नहीं चलाया या नोटशीट
आर्थिक अनियमितताओं के सामने आने से लेकर अब तक इस मामले की तीन बार जांच हो चुकी है। पहली जांचः पहली जांच संयुक्त संचालक एसके भारद्धाज ने की थी। उन्होंने पाया था कि जिन लोगों के खाते में रकम भेजी गई थी, उनमें से कुछ स्कूल अस्तित्व में ही नहीं थे और कुछ सालों से बंद थे। दूसरी जांच जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से करके रिपोर्ट संचालनालय की ओर भेजी गई थी। तीसरी बार समग्र शिक्षा के संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव ने जांच की। आरटीई का सेक्शन संभाल रहे बाबू से बगैर नोटशीट चलवाए ही ये राशि ट्रांसफर की गई थी।
इन खातों में भेजी गई राशि
जांच में सामने आए तथ्यों के मुताबिक, 29 जनवरी को 76 लाख 42 हजार 203 रुपए आठ निजी स्कूलों के नाम पर भेजे गए। मामले में डीईओ कार्यालय में इन रुपयों को जारी करने के लिए नोटशीट ही नहीं चलाई गई। सृष्टि पब्लिक स्कूल के नाम पर उपेंद्र चंद्राकर को 21 लाख 38 हजार 367 रुपए, सरस्वती शिशु मंदिर सरस्वती शिशु मंदिर बेलदारसिवनी के नाम पर चंद्रिका अनंत के खाते में नौ लाख 80 हजार 578 रुपए रकम जारी हुई थी। इसी तरह बृजेश कुमार पटेल, चंद्रकिशोर देवांगन, नीलेश्वर के नाम पर भी राशि भेजी गई थी। यूको बैंक प्रबंधक द्वारा भी इस संदर्भ में जानकारी उपलब्ध कराई गई थी।