September 14, 2025 6:24 pm

कानून पर भारी पड़ रहा बीजेपी नेता का रसूख, 100 एकड़ सरकारी जमीन पर तान दी होटल

रायपुर : एक तरफ सीएम विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ में सुशासन लाना चाहते हैं तो दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी के नेता अपने रसूख के सामने सुशासन को ठेंगा दिखा रहे हैं। बीजेपी के नेता ने 100 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है।

इसमें जमीन का अधिकांश हिस्सा फॉरेस्ट का है। यहां पर नेताजी को दान में मिली 17 एकड़ जमीन है लेकिन उनका कब्जा 117 एकड़ जमीन पर है।

गैरकानूनी होने के बाद भी नेताजी का यहां पर होटल और बिल्डिंगों का निर्माण चल रहा है। कुछ हिस्से तो उन्होंने प्लॉट बनाकर भी बेच दिए। अदालत ने इस सारी जमीन को सरकारी जमीन घोषित कर दिया और नेताजी पर आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए।

कानून पर भारी रसूख :

सीएम विष्णुदेव साय के सुशासन को उनके ही नेता हवा में किस तरह उड़ा रहे हैं, यह हम आपको बताते हैं। अंबिकापुर के आलोक दुबे बीजेपी के पार्षद हैं। इनका सोशल मीडिया खंगालेंगे तो यह हाथ जोड़े जनता की सेवा में तत्पर दिखाई देंगे। इतना ही नहीं इनकी तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव के साथ खूब नजर आएगी।

ये भले ही कांग्रेस से आकर बीजेपी में शामिल हुए हों और भले ही पार्षद हों लेकिन इनका रसूख बीजेपी के बड़े नेताओं से ज्यादा है। इन्होंने अंबिकापुर की प्राइम लोकेशन पर 117 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। दरअसल इनके परिवार को इस जमीन में से 17 एकड़ जमीन सरगुजा रियासत के महाराज ने दान में दी थी।

वक्त के साथ आलोक दुबे का प्रभाव इतना हुआ कि इन्होंने 100 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। यानी अब ये हो गई 117 एकड़ जमीन। मामला तब से शुरु हुआ जब प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार थी। आलोक दुबे तब कांग्रेस के नेता थे। जब बीजेपी की सरकार आई तो वे कांग्रेस बीजेपी में आ गए और पार्षद भी बन गए। यानी सत्ता के सहारे आलोक दुबे अपना रसूख दिखाते रहे और कानून के फंदे से बचते रहे।

सरकारी जमीन पर तान दी होटल :

आलोक दुबे ने इस सरकारी जमीन पर कंस्ट्रक्शन शुरु दिया। यहां पर होटल,भवन और अन्य निर्माण शुरु कर दिए। यहां तक कि कुछ प्लॉट काटकर बेच भी दिए। सरकार बदल गई लेकिन आलोक दुबे पर प्रशासन कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। यहां पर मसला एक और है। दुबे के एक रिश्तेदार अदालत में जज हैं और यही बड़ा कारण है कि कोई अधिकारी उन पर हाथ नहीं डाल पाया है।

यह मामला अदालत पहुंचा तो दुबे ने कुछ कागज बनाकर अदालत के सामने पेश किए लेकिन वे यह साबित नहीं कर पाए कि 17 एकड़ जमीन 117 एकड़ कैसे बन गई। अदालत ने पूरी 117 एकड़ जमीन को रेवेन्यु लैंड यानी सरकारी जमीन घोषित कर दिया। इसके साथ ही दुबे पर आपराधिक मामला दर्ज कर एफआईआर करने के निर्देश दिए। लेकिन किसी की मजाल कि दुबे के खिलाफ मामला दर्ज कर पाए।

कमिश्नर के 8 पत्र पर भी कार्यवाही नहीं :

सरगुजा कमिश्नर ने अंबिकापुर तहसीलदार को आलोक दुबे और पारिवारिक सदस्यों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए 8 बार पत्र लिखा लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। तहसीलदार, दुबे पर एफआईआर दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। इस पत्र में लिखा गया है कि ग्राम फुंडुरडीहारी, अंबिकापुर स्थित भूमि खसरा क्रमांक 423, 424, 425, 427, 430 कुल रकबा 17 एकड़ भूमि को हाईकोर्ट ने शासकीय भूमि में दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है।

आलोक दुबे ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट बिलासपुर में रिट याचिका दायर की। बीजेपी नेता को यहां सफलता नहीं मिली और कोर्ट ने यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। कमिश्नर ने तहसीलदारो लिखा कि आपने प्रतिवेदन में बताया है कि उस भूमि खसरा क्रमांक 430 एवं 427 पर आलोक दुबे द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए अवैध निर्माण किया जा रहा है, जो कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।

कमिश्नर के 5 साल में 8 पत्र :

पत्र क्रमांक 626 दिनांक 21.02.2019

पत्र क्रमांक 2415 दिनांक 29.08.2019

पत्र क्रमांक 337 दिनांक 10.02.2020

पत्र क्रमांक 2530 दिनांक 11.12.2020

पत्र क्रमांक 2686 दिनांक 25.10.2021

पत्र क्रमांक 3534 दिनांक 02.02.2022

पत्र क्रमांक 651 दिनांक 13.05.2022

इसके बाद रिमाइंडर भेजा गया। कमिश्नर ने लिखा कि इतने पत्र लिखने के बाद भी आपके द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। अतः आपको पुनः निर्देशित किया जाता है कि इस प्रकरण के अनुसार, नियमाबद्ध कार्यवाही करते हुए अवगत कराना सुनिश्चित करें। लेकिन इसके बाद भी तहसीलदार ने आलोक दुबे के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। यही है सुशासन में बीजेपी नेता का रसूख।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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