दिल्ली. बेल्जियम में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया. ट्रैफिक पुलिस ने एक युवक को शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए पकड़ा. मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी की गाड़ी जब्त कर ली गई और आरोपी को जज के समक्ष पेश किया गया.
कोर्ट के समक्ष यातायात पुलिस ने अपना केस बेहद मजबूती से रखा लेकिन आरोपी ने कोर्ट में बस एक बात ऐसी बोली कि जज बने बिना देरी किए आरोपी को मुक्त कर दिया. उसका लाइसेंस और कार भी वापस लौटा दी गई. मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो जज आरोपी की बात पर तुरंत राजी हो गए और उन्हें जाने दिया. आइये हम आपको इसके पीछे की पूरी कहानी बताते हैं.
युवक ने कोर्ट में कहा कि मुझे ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (ABS) है. यह एक दुर्लभ बीमारी है है जिसके कारण शरीर के अंदर खुद ब खुद शराब पैदा होती रहती है. युवक जानबूझ कर शराब के नशे में गाड़ी नहीं चला रहा था. यही वजह है कि कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. 2022 के मामले में ट्रैफिक पुलिस ने 40 वर्षीय आरोपी पर एफआईआर दर्ज कर उसकी गाड़ी भी जब्त कर ली थी. जांच के दौरान उसके शरीर में 0.91mg शराब पाई गई. बेल्जियम के कानून के मुताबिक केवल 0.22 mg तक शराब पीकर वाहन चलाने की अनुमति है.
अदालत के आदेश पर ही युवक की जांच डॉक्टरों द्वारा कराई गई थी, जिसमें पता चला कि एक महीने बाद भी उसके शरीर में 0.71 mg शराब पाई गई. स्वतंत्र रूप से आरोपी की जांच करने वाले तीन डॉक्टरों ने पुष्टि की कि वह एबीएस से गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. बता दें कि इसी शख्स को साल 2019 में भी इसी तर्ज पर नशे में पकड़ा जा चुका है.