दिल्ली: दूसरे चरण के मतदान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने NOTA को प्रत्याशी मानने और निर्विरोध चुनाव पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
EC ने यह नोटिस शिव खेडा की याचिका पर जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने क्या मांगे रखी?
याचिका में कहा गया है कि किसी भी उम्मीदवार के सामने अगर कोई दूसरा उम्मीदवार नामांकन दाखिल नहीं करता या नामांकन वापस ले लेता है तो भी उसे निर्विरोध विजेता नहीं घोषित किया जाना चाहिए। इसके अलावा याचिका में यह भी मांग की गई कि अगर किसी प्रत्याशी को नोटा से भी कम मत मिलते हैं तो उसके चुनाव लड़ने पर पांच साल तक की रोक लगाई जाए। यानी कि याचिका में नोटा को भी एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिए?
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए EC को एक प्रस्ताव के साथ जवाब देने के लिए कहा है। वहीं पीठ ने सुनवाई के दौरान सूरत के मामले का भी जिक्र किया और कहा कि अगर यह व्यवस्था होती तो सूरत में निर्विरोध चुनाव जीतने की नौबत नहीं आती।
NOTA
क्या होता है NOTA?
भारत में नोटा का विकल्प साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया था। नोटा का मतलब नन ऑफ द अबव होता है यानी कि किसी भी उम्मीदवार के पसंद न आने पर वोटर इस विकल्प को चुन सकता है। अभी अगर नोटा को ज्यादा वोट मिलते हैं तो इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। ऐसी स्थिति में जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है।