अब्दुल सलाम क़ादरी-प्रधान सम्पादक
- अग्रीमेंट की हुई जमीन को वापस पाने के लिए प्रथम पक्ष द्वारा गलत हथकंडे अपना रहा।
- थाना द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही?
- एसपी को ज्ञापन, जांच एवं कार्यवाही की मांग..
- जिला बनने के बाद बढ़ गई जमीन की कीमत, जिसकी लालच में प्रथम पक्ष अपना रहा गलत हथकंडे..
मनेन्द्रगढ़(छत्तीसगढ़)
मामला छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ जिले का है जहां पर 2019 में एक जमीन का सौदा होता है, बकायदा एग्रीमेंट की जाती है।
एग्रीमेंट के अनुसार करीब 29 लाख में उक्त भूमि का सौदा होता है, चेक के माध्यम से 4 लाख रुपए अग्रिम/एडवांस दिया जाता है, और 2 लाख रुपये एक साल बाद चेक के माध्यम दिया गया कुल 6 लाख रुपये अनावेदक को दिया गया, जैसा कि एग्रीमेंट में लिखा हुआ है। बाकी की करीब 23 लाख कुछ रुपये विक्रय पंजीयन होने के समय दिया जाएगा, करार किया जाता है।
इकरार नामा/एग्रीमेंट के अनुसार प्रथम पक्ष द्वारा अपने पूरे विवेक से दूसरे पक्ष को उस जमीन का पूरा मालिकाना हक दिया जो एग्रीमेंट में दर्ज है।
और एग्रीमेंट के अनुसार प्रथम पक्ष उक्त भूमि पर दूसरे पक्ष की अनुमति के बिना या बाद में कोई हक या किसी भी प्रकार का कोई भी ऐसा कार्य नही करेगा जिससे एग्रीमेंट की शर्तें बाधित हो.
तथा रजिस्ट्री अनुमति मिलने के बाद बकाया राशि का भुगतान आरटीजीएस/नेफ्ट के माध्यम से किया जाएगा जैसा कि अनुबंध/अग्रीमेंट में दर्ज है।
प्रथम पक्ष ने जमीन वापस पाने की भरसक प्रयास किया जा रहा है इसके लिए मनेन्द्रगढ़ के जमीन दलालों को सक्रिय किया जा चुका है जो पैसों के दम पर सत्ता पक्ष के साथ अधिकारियों को अपने पक्ष में करके उक्त जमीन को वापस पाने फिर उस जमीन को बहुत अधिक कीमत पर बेचकर अधिकारियों की जेब गरम करने की बात सामने आ रही है।
और देखने वाली बात यह है कि 2022 में मनेन्द्रगढ़ जिला बनने के बाद उक्त भूमि का रेट बढ़ गया है और उस जमीन की कीमत अन्य खरीददारों द्वारा बढ़ा चढ़ाकर प्रथम पक्ष को बताया जा रहा है जिसके चलते प्रथम पक्ष को अधिक पैसे की लालच ने उपरोक्त जमीन को वापस पाने के लिए और सत्ता का डर दिखाकर खरीददार को डराया धमकाया जा रहा है, तथा पुलिस वालों को अपने पक्ष में करके खरीददार/आवेदक को मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है जिसके चलते पीड़ित खरीददार पक्ष और उसका परिवार बेहद परेशान हो चुका है पीड़ित आवेदक थाना, एसडीएम, तहसीलदार सभी के पास गुहार लगा चुका है पर पीड़ित खरीददार/आवेदक की कोई सुनने वाला नही है?
जिसके चलते पीड़ित द्वारा पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है जिसमे एसपी कार्यालय के सामने आत्मदाह की बात कही गई है। पीड़ित खरीददार ने बताया कि जमीन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्य ना हो इसके लिए प्रशासन द्वारा रोक लगाई गई है परंतु आज प्रथम पक्ष द्वारा लेबर भेजकर कार्य कराया जा रहा है जिसकी मैंने वीडियो रिकार्डिंग की है।
अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन पीड़ित खरीददार/आवेदक को इंसाफ देगा या जमीन माफियाओं के इशारों पर कार्य करेगा…?