लोकसभा चुनाव के नतीजे से पहले ही इंडिया गठबंधन एडवांस प्लानिंग में जुट गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के द्वारा शनिवार को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है. इंडिया गठबंधन के सभी शीर्ष नेताओं ने इस बैठक के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.
विपक्षी गठबंधन से अलग होकर अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने वाली टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस बैठक का हिस्सा नहीं होंगी लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के किसी प्रतिनिधि को भेजने का फैसला किया है.
कांग्रेस की मेजबानी में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक में शरद पवार से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉफ्रेंस से फारुख अब्दुल्ला, डीएमके से तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, जेएमएम से सीएम चंपई सोरेन, कल्पना सोरेन और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल शामिल होंगे. शिवेसना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे देश से बाहर हैं, जिसके चलते उनकी जगह पर पार्टी का प्रतिनिधि शिरकत करेगा. इसके अलावा इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दूसरे नेता भी हिस्सा लेंगे. कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल सहित पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता उपस्थित रहेंगे.
रिजल्ट के बाद की परिस्थितियों को लेकर होगी चर्चा
इंडिया गठबंधन की यह बैठक चुनाव नतीजे के बाद की परिस्थितियों को लेकर हो रही है. इस बैठक में चुनाव के बाद आपस में एकजुटता बनाए रखने की नहीं बल्कि नए पार्टनर को भी गठबंधन में लाने के रोडमैप पर चर्चा होगी. बैठक से पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है, ‘लोकसभा चुनाव 2024 में जीत मिलने के बाद इंडिया गठबंधन 48 घंटे के अंदर अपने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय कर लेगा.’ ऐसे में इंडिया गठबंधन में पीएम के नाम पर सहमति बनाने से ज्यादा नए छत्रपों को साथ लेने की जरूरत है ताकि सरकार बनाने वाली स्थिति बनती है तो फिर नंबर गेम में पीछे न रह जाए.
INDIA के हौसले बुलंद, बहुमत से दूर रहेगा NDA
2024 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण के बाद जिस तरह से सियासी माहौल बदला उसके चलते इंडिया गठबंधन के हौसले बुलंद हैं. विपक्षी दलों को लग रहा है कि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए इस बार बहुमत से दूर रहेगा और इंडिया गठबंधन केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में होगा. अखिलेश यादव से लेकर राहुल गांधी तक कहते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी 4 जून के बाद प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. इंडिया गठबंधन के रणनीतिकार भी मान रहे है कि इस बार के चुनाव में उन्हें उम्मीद से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला है और 2004 की तरह सरकार बनाने वाली स्थिति उनकी बन सकती हैं.
NDA में शामिल घटक दलों को भी साधने की स्ट्रेटेजी
इंडिया गठबंधन की नजर उन दलों पर भी है, जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है. इसके अलावा एनडीए में शामिल घटक दलों को भी साधने की स्ट्रेटेजी है. जयराम रमेश ने एक इंटरव्यू में कहा कि कि इंडिया गठबंधन की केंद्र सरकार बनती है तो एनडीए की सहयोगी पार्टियां भी बीजेपी से अलग होकर गठबंधन में शामिल हो सकती हैं, लेकिन इसका फैसला कांग्रेस हाईकमान करेंगे. एनडीए के घटक दल टीडीपी और जेडीयू को इंडिया गठबंधन में लेने के सवाल पर जयराम रमेश ने कहा कि नीतीश कुमार पलटी मारने में माहिर हैं. चंद्रबाबू नायडू 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में थे. इस तरह से जयराम रमेश ने बड़े संकेत दिए हैं. इतना ही नहीं नीतीश को लेकर तेजस्वी यादव कह चुके हैं कि चार जून के बाद चाचा लोकतंत्र और पार्टी बचाने के लिए कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.
INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं ये पार्टियां
2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की टीएमएसी, तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बीआरएस, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजेडी, आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, पंजाब में सुखबीर सिंह बादल की अकाली दल और हरियाणा की जेजेपी-इनेलो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं थी. इसके अलावा तमिलनाडु की एआईडीएमके और बसपा ने भी अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी. ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन से भले ही नाता तोड़कर अलग हो गई हों, लेकिन एक जून की बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला करके बड़ा संकेत दिया है.
ममता बनर्जी को साधने का जिम्मा अखिलेश यादव को
इंडिया गठबंधन की तरफ से चुनाव के नतीजे की बाद के लिए अभी से अपनी एक्सरसाइज शुरू कर देना चाहती है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ ममता बनर्जी के रिश्ते बहुत अच्छे हैं. अखिलेश यादव ने अपने कोटे से ममता की पार्टी टीएमसी के लिए भदोही सीट दी है, जहां से ललितेश पति त्रिपाठी उम्मीदवार थे. सपा के कार्यकर्ताओं ने टीएमसी को पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ाया है और अखिलेश खुद भदोही में प्रचार करने गए थे. ऐसे में ममता बनर्जी को साधने का जिम्मा अखिलेश यादव को दिया जा सकता है. हालांकि, ममता बनर्जी ने पहले ही संकेत दे चुकी हैं कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो वो समर्थन करने के लिए तैयार हैं.
केसीआर अकेले लोकसभा चुनाव लड़े हैं, जिनका सियासी आधार तेलंगाना में है. केसीआर के साथ भी अखिलेश यादव के रिश्ते बहुत अच्छे हैं और कई बार दोनों नेता एक साथ मंच शेयर कर चुके हैं. इसके अलावा इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का केसीआर के साथ अच्छी दोस्ती है. इस तरह केसीआर को साधने की जिम्मा केजरीवाल और अखिलेश यादव को सौंपी जा सकती है. इसी तरह से वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी को साधने का टास्क शरद पवार को दिया जा सकता है. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो जगन मोहन रेड्डी को साधने का काम शुरू कर दिया है.
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी अकेले लोकसभा चुनाव मैदान में उतरी है, लेकिन बीजेपी के साथ उनके रिश्ते चुनाव के दौरान तल्ख दिए हैं. इतना ही नहीं जिस तरह से नवीन पटनायक को लेकर पीएम मोदी ने घेरा है और उनकी सेहत को लेकर सवाल खड़े किए, उसके बाद पटनायक ने भी पटलवार किया. इसके चलते इंडिया गठबंधन के रणनीतिकार मान रहे हैं कि बीजेडी अब बीजेपी के साथ नहीं जाएगी. ऐसे में उन्हें इंडिया गठबंधन में लाने की स्ट्रेटेजी बनाई जा रही है. इस तरह इंडिया गठबंधन ने एडवांस प्लानिंग शुरू कर दी है. देखना है कि इस रणनीति में उन्हें कितनी सफलता मिलती है?