Mauritius, Seychelles in Modi swearing-in ceremony: भारत विश्वगुरु बनकर उभरा है. दुनिया ने भारत की मेहमान नवाजी पहले भी कई देखी है. अब एक बार फिर दुनिया के कई देश मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के साक्षी बनने आ रहे हैं.
इनमें नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हैं, वो दिल्ली पहुंच चुकी हैं. भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक भी शपथ ग्रहण के साक्षी बनेंगे. जबकि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू भी सुबह दिल्ली पहुंच रहे हैं. इनके अलावा श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ भी मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल हो रहे हैं. सेशल्स के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन भी भारत आ रहे हैं.
मेहमानों का दिल्ली पहुंचना हुआ शुरू
मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए हमारे पड़ोसियों का दिल्ली में आना शुरू हो गया है. सबसे पहले जिस पड़ोसी को भारत ने पाकिस्तान से आजादी दिलाई यानी बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना दिल्ली आई हैं. आपको बता दें कि पहली बार जब पीएम मोदी ने शपथ ली थी तो पाकिस्तान को भी न्यौता मिला था. लेकिन इस बार खास बात ये है कि जमीनी सरहद साझ करने वाले भूटान-नेपाल-बांग्लादेश के अलावा हिंद महासागर के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका, मालदीव, मॉरिशस और सेशल्स को भी आमंत्रित किया गया है.
चीन समेत इन 4 देशों से भारत ने बनाई दूरी
इस लिस्ट में चालबाज चीन समेत म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे देशों को दूर रखा गया है. पीएम मोदी पिछले 10 साल से देशहित में पड़ोसियों से मजबूत दोस्ती करने के इरादे लगातार जताते रहे हैं. इसी नीति के तहत खास ध्यान इस बात पर दिया गया है कि आने वाले 5 सालों में भारत अपने पड़ोसियों से कितने करीबी संबंध बनाना चाहता है.
बांग्लादेश
बांग्लादेश और भारत का रिश्ता जन्म का रिश्ता कहा जा सकता है. बांग्लादेश अच्छे से जानता है कि बिना भारत के उसके रेल, बंदरगाह समेत कई बड़ी विकास परियोजनाओं को पंख नहीं लग सकते हैं.
नेपाल
नेपाल एक बड़ी हिंदू आबादी वाला देश हैं, जहां पशुपतिनाथ जैसे पवित्र हिंदू धर्म स्थल मौजूद हैं. जाहिर है कि नेपाल भारत से सदियों पुराने संबंधों को मोदी के तीसरे कार्यकाल में और आगे बढ़ाने के लिए तैयार दिख रहा है.
भूटान
भूटान और भारत दोनों देशों के रिश्ते में भरोसे का स्तर यह है कि भूटान अपनी सुरक्षा की गारंटी भारतीय सेना को ही मानता है. डोकलाम में जब चीनी सेना ने भूटान को धमकाने की कोशिश की तो मोर्चे पर भारत के फौजी डटे रहे. दोनों देशों की दोस्ती का ही नमूना है कि बीते तीन महीनों में यह तीसरा मौका होगा, जब दोनों के राष्ट्राध्यक्ष मिलेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिए भारत की मदद को 5,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया.
श्रीलंका
श्रीलंका रणनीतिक तौर पर अहम भी है. श्रीलंका के साथ भारत का सांस्कृतिक इतिहास पुराना है, जहां हिंदू आस्थाओं से लेकर बौद्ध धर्म स्थलों तक साझा विरासत के रिश्ते हैं.
मॉरिशस
भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी इस देश के साथ भारत के रिश्तों को बहुत खास बनाती है. जाहिर है मॉरिशस के लिए दोस्ती की नई कहानी लिखने का ये गोल्डन मौकाहै.
सेशल्स
पीएम मोदी की सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन यानी सागर परियोजना में सेशल्स को भारत केंद्रीय भूमिका में मानता है. कोरोना संकट के समय भारत ने 50 हजार टीकों की मदद सबसे पहले सेशल्स को मुहैया कराई थी. सेशल्स रणनीतिक लिहाज से भी भारत के लिए अहम है क्योंकि भारत के समुद्री कारोबार का एक बड़ा हिस्सा हिंद महासागर से होकर गुजरता है.
मालदीव
भारत और मालदीव के रिश्ते उतार-चढ़ाव के कई दौर देखते रहे हैं. लेकिन अब मालदीव के पास भी भारत से संबंध सुधारने के लिए स्वर्णिम अवसर हैं.
समुद्र से सटे पड़ोसी देशों को न्योता
लगातार तीसरी बार भारत के सत्ता सिंहासन को संभालने जा रहे नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण का इतिहास देखें तो 2014 में पाकिस्तान समेत सार्क देशों को न्यौता दिया गया था.
वहीं 2019 में बिमस्टेक कुनबे के पड़ोसी देशों को आमंत्रित किया गया था. लेकिन इस बार नए भारत की नई तस्वीर के लिए जमीनी सरहदों से लेकर समुद्री सरहदों से सटे देशों के लिए भारत से दोस्ती की नई कहानी लिखने का मौका है.
दिल्ली में 9-10 को नो फ्लाइंग जोन
दूसरी ओर एलन मस्क जैसे बिजनिस टाइकून एक बार फिर मोदी को बधाई का संदेश देकर भारत में निवेश करने की ओऱ कदम बढ़ा चुके हैं. खास बात है कि अमेरिका के 22 शहरों में भी Overseas Friends of BJP जश्न की तैयारी कर रहे हैं. मेहमानों की सुरक्षा मजबूत करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था भी ऐसी की गई है कि परिंदा भी पर नहीं मार सके. आपको बता दें कि 9 और 10 जून को दिल्ली दो दिन तक नो फ्लाइंग जोन घोषित की जा चुका है.
क्या है भारत की रणनीति?
कई लोगों को यह बात समझ नहीं आ रही है कि भारत ने चीन, पाकिस्तान जैसे सरहदी पड़ोसी मुल्कों के बजाय हिंद महासागर में छोटे द्वीपीय देशों मॉरीशस और सेशल्स को न्योता क्यों दिया. असल में ऐसा करने के पीछे इन देशों के जियो-पॉलिटिकल लोकेशन और दुनिया में तेजी से बदलती कूटनीति है. दुनिया का चौधरी बनने के लिए चीन बहुत तेजी के साथ अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है. उसकी मंशा हिंद महासागर में भी अपना बड़ा बेड़ा तैनात कर यहां के तमाम देशों को दबाकर रखने की है.
चीन को टक्कर देने की तैयारी
ऐसे में भारत के लिए भी जरूरी हो जाता है कि वह हिंद महासागर में अपनी सैन्य मौजूदगी को मजबूत करे. इसके लिए उसे हिंद महासागर में बसे छोटे देशों की जरूरत है, जहां पर बेस बनाकर वह चीन को टक्कर दे सके. मॉरीशस और सेशल्स भारत की इस रणनीति में मुफीद बैठते हैं. दोनों देशों में भारतवंशी लोगों को अधिकता है और वहां के लोग भारत के साथ अपना सांस्कृतिक जुड़ाव महसूस करते है . भारत भी इन देशों को विशेष तवज्जो देता है.
द्वीपीय देशों के साथ संबंध होंगे मजबूत
अब मोदी सरकार के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में भारत ने इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता देकर उनसे संबंध मजबूत करने का गंभीर संकेत दे दिया है. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में इन देशों के साथ भारत की स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप और मजबूत होगी. साथ ही इन देशों की नौसेनाओं को साधन संपन्न करने के लिए भारत उन्हें ट्रेनिंग, हथियार, रडार और फंड की भी घोषणा कर सकता है.