December 23, 2024 10:56 am

लेटेस्ट न्यूज़

10 लाख तक के एजुकेशन लोन के पात्र नहीं मप्र के छात्र

विद्यालक्ष्मी योजना की शर्तों को पूरा नहीं कर रहे मप्र के अधिकांश कॉलेज

भोपाल। केंद्र सरकार ने हालही में प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना शुरू की है। पीएम विद्यालक्ष्मी योजना का उद्देश्य कम आय वाले छात्रों के उच्च शिक्षा के सपने को साकार करना है। इसके तहत, छात्रों को बिना गारंटर के 10 लाख रुपए तक का एजुकेशन लोन मिल सकेगा जिससे अच्छे इंस्टीट्यूट्स में पढ़ाई का अवसर मिल सके। योजना के तहत पात्र छात्रों को पाठ्यक्रम से संबंधित ट्यूशन फीस और अन्य खर्चों की पूरी राशि को कवर करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से गारंटर-मुक्त ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। लेकिन मप्र के अधिकांश संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों को बिना गारंटी शैक्षणिक ऋण नहीं मिल पाएगा। जानकारी के अनुसार पीएम विद्यालक्ष्मी योजना का मप्र के अधिकतर जरूरतमंद विद्यार्थियों को फायदा नहीं मिल सकता, क्योंकि उनके विश्वविद्यालय या कालेज इस योजना की प्राथमिक शर्त को ही पूरा नहीं कर रहे हैं। इस योजना की पहली शर्त है कि विद्यार्थी जिस संस्थान में पढ़ाई कर रहा है वह एनआईआरएफ  में शामिल हो। इस रैंकिंग में देश भर के 850 शिक्षा और शोध संस्थान शामिल हैं। लेकिन इस सूची में राज्य विश्वविद्यालयों में केवल इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय शामिल है। वहीं दो निजी विश्वविद्यालय एलएनसीटी और रविंद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी का नाम इस रैंकिंग में शामिल है। भोपाल के एक उच्च उत्कृष्टता शिक्षा संस्थान को भी कालेजों की रैंकिंग सूची में जगह मिल पाई है। इनकी रैंकिंग भी 101 से 200 के बीच के विश्वविद्यालयों-कालेजों की सूची में है। बताया जा रहा है कि सूची में नहीं रहने की बड़ी वजह मानकों को पूरा नहीं करना है। मानकों की वजह से प्रदेश के अधिकतर शिक्षा संस्थानों ने इस रैंकिंग के लिए अपना पंजीयन तक नहीं कराया है। इसी पंजीयन के आधार पर शिक्षा मंत्रालय की टीम संस्थानों का निरीक्षण कर रैंकिंग की सिफारिश करती है। उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर कालेज एनआइआरएफ के लिए आवेदन ही नहीं कर पाते हैं। अगर वे आवेदन करेंगे तो शैक्षणिक गुणवत्ता और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस करेंगे। उन्हें रैंकिंग से अपनी स्थिति का पता चल सकेगा कि वे कहां खड़ा पाते हैं।

मप्र के 9 संस्थान ही विद्यालक्ष्मी योजना के पात्र
दरअसल पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत केंद्र सरकार 10 लाख तक का एजुकेशन लोन छात्र को दिया जाएगा। खास बात ये है कि लोन की रकम की गारंटी शिक्षा मंत्रालय देगा। सरकार 7.5 लाख रुपए तक की रकम पर 75 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी देगी। लेकिन इस योजना का लाभ केवल उन्हीं संस्थानों में पढऩे वाले छात्रों को मिल सकेगा जिन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की ओवरऑल रैंकिंग मिली है। एनआईआरएफ रैंकिंग में प्रदेश के नौ संस्थान ही शामिल है। जिसमें ग्वालियर का एक संस्थान, इंदौर के तीन संस्थान, भोपाल के पांच संस्थान है। आईटी इंदौर की ओवरऑल रैंकिंग 33, आइसर की रैंकिंग 78, मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) की रैंकिंग 17, भोपाल एम्स की रैंकिंग 31 और देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की रैंकिंग 50वीं रैंकिंग है।

3.61 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत
मप्र के प्राइवेट और सरकारी यूनिवर्सिटी, सहित इंजीनियरिंग, एमबीए कॉलेजों की संख्या 674 है। जिनमें 3.61 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत है। बैंक रेकॉर्ड के अनुसार बैंक लोन लेने वाले छात्रों में अधिकांश इंजीनियरिंग, मेडिकल या एमबीए जैसे पाठ्यक्रमों के होते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में 52 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं। इनमें 2 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं प्रदेश में 142 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिसमें 42 हजार 958 हैं। प्रदेश में 194 फार्मेसी कॉलेज हैं और उनमें 25000 छात्र हैं। वहीं प्रदेश में पारंपारिक व अन्य यूनिवर्सिटी 24 हैं, जिनमें 50 हजार छात्र हैं। प्रदेश में 260 एमबीए कॉलेज हैं। इनमें 38 हजार 227 हैं। इस तरह प्रदेश में कुल 3 लाख 61 हजार 185 छात्र अध्ययनरत हैं। पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत अधिकतम 4 लाख रुपए तक के लोन के लिए आपको किसी गारंटर या कोई कोई संपत्ति गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है। 7.5 लाख से कम तक का लोन इस ब्रैकेट की लोन राशि के लिए किसी आर्थिक रूप से संपन्न गारंटर की आवश्यकता होती है। लेकिन कोई कोलेटरल प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। डा. उषा नायर को-आर्डिनेटर नैक उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि इस बार एनआईआरएफ रैंकिंग में सभी विश्वविद्यालय और कालेजों को एनआईआरएफ रैंकिंग में पंजीयन कराना अनिवार्य किया है, ताकि अधिक कालेज रैंकिंग में शामिल हो सकें।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement