अश्विनी सोनी-रायपुर ब्यूरो
रायपुर-मरवाही। आजकल वन विभाग के घोटालेबाज रेंजर और डिएफओ ने नया शगूफा छोड़ा है कि कोई भी आवेदन हो जानकारी नही देनी है। फर्स्ट अपील होगी, फिर दुतीय अपील होगी, 2, 3 साल तो गुजर ही जायेंगे के तर्ज पर पूरा छत्तीसगढ़ के फोरेस्ट की यही कहानी बनकर उभर रही है। पूर्व कोंग्रेस के राज में करप्सन का नंगा नाच होने बाद लोगो ने आशा लगाया कि भाजपा के राज में यह नही होगा परन्तु ठीक इसके उलटा हो रहा है।
छत्तीसगढ़ फारेस्ट विभाग के अधिकांश रेंजर्स, डिएफओ और सीसीसीएफ ने सूचना का अधिकार का कानून को अपनी जेब मे रखा हुआ है।
ऐसा ही एक मामला मरवाही वन मण्डल को देखने को मिल रहा है । 2023 में माननीय राज्य सूचना आयोग द्वारा 4 मामलों में अपिलेन्ट अब्दुल सलाम कादरी के पक्ष में आदेश पारित करते हुए एक माह में निशुल्क जानकारी देने का आदेश डिएफओ मरवाही को दिया था।
एक साल से अपिलेन्ट ने डिएफओ को लिखित में और मौखिक में जानकारी प्रदान करने के लिए निवेदन भी किया गया। सीसीएफ बिलासपुर को भी सूचित किया। लेकिन डिएफओ और उसके स्टेनो ने राज्य सूचना आयोग के आदेश को अपने जूते के नोंक पर रखकर आरटीआई कानून को ही ठेंगा दिखाया जा रहा है?
इस मामले को लेकर अपिलेन्ट ने राज्य सूचना आयोग में फिर से शिकायत के साथ इस डिएफओ के खिलाफ हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल करने की तैयारी की गई है साथ ही इस डिएफओ के खिलाफ संघ लोक सेवा आयोग और राष्ट्रपति सहित राज्यपाल को भी शिकायत भेजी गई है।
अब देखना यह है कि इस डिएफओ के खिलाफ कार्यवाही होती है या यूं ही इसे पद का दुरुपयोग करने दिया जाएगा।