February 17, 2025 9:54 pm

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अमेरिका ने सभी विदेशी मदद पर लगाई रोक, ट्रंप का यूक्रेन को झटका; इजरायल-मिस्र राहत

अमेरिका के नये राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) खासा चर्चे में हैं. उनके अमेरिका की कमान संभालते ही पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है.

क्योंकि, उनके द्वारा लिए जा रहे फैसलों से पूरी दुनिया में हायतौबा मची हुई है. एक तरफ तो डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) जबरदस्त एक्शन मोड में हैं. वहीं, दूसरी तरफ वह लगातार झटकों पर झटका दे रहे हैं. अब उन्होंने एक और नया फैसला लिया है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ना लालिमी है. ट्रंप प्रशासन ने सभी विदेशी सहायताओं पर रोक लगा दी है. इसका सबसे बड़ा असर अमेरिका के मित्र देश यूक्रेन (Ukraine) पर पड़ेगा. यानी कि अब यूक्रेन (Ukraine) को कोई भी अमेरिकी मदद नहीं मिलेगी. हालांकि, इजरायल और मिस्र को इस फैसले से छूट दी गई है.

बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में यूक्रेन (Ukraine) को अमेरिका की तरफ से काफी सहायता मिली थी. जिस वजह से वह रूस के खिलाफ जंग लड़ पा रहा था. हालांकि, अब ट्रंप (Donald Trump) के फैसले का असर यूक्रेन पर साफतौर पर पड़ेगा. क्योंकि वह पिछले ढाई साल से रूस से जंग लड़ रहा है.

अमेरिका में नव-नियुक्त डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को एक आदेश पारित कर यूक्रेन (Ukraine) सहित सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी है. हालांकि, इजरायल और मिस्र को छोड़कर को सहायता जारी रहेगी. यानी कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका ने इजरायल और मिस्र के लिए इमरजेंसी खाद्य और सैन्य फंड को नहीं रोका है.

अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी मार्को रुबियो ने कहा कि जब तक हर प्रस्तावित नए अवार्ड या विस्तार की समीक्षा और स्वीकृति नहीं हो जाती, तब तक नए अवार्ड्स या मौजूदा अवार्ड्स के विस्तार के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाएगा. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के अनुरूप है, जिसमें विदेशों को दी जाने वाली सहायता में बैन लगाना शामिल है.

इस आदेश से विकास सहायता से लेकर सैन्य सहायता तक सब कुछ प्रभावित होने की उम्मीद है, जिसमें यूक्रेन (Ukraine) भी शामिल है, जिसे रूसी हमले से लड़ने के लिए ट्रंप (Donald Trump) के पूर्ववर्ती जो बाइडेन के तहत अरबों डॉलर के हथियार मिले थे. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का मतलब है कि पीईपीएफएआर के लिए कम से कम कई महीनों के लिए अमेरिकी फंडिंग रोक दी जाएगी. यह एचआईवी/एड्स विरोधी पहल है. जो विकासशील देशों, खासकर अफ्रीका में इस बीमारी के इलाज के लिए एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं खरीदती है.

साल 2003 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में शुरू की गई पीईपीएफएआर ने लगभग 26 मिलियन लोगों की जान बचाई है और हाल ही तक वाशिंगटन में इसे पक्षपातपूर्ण तरीके से व्यापक समर्थन मिला था. इजरायल, मिस्र को छूट अपवाद बनाया गया है. गाजा युद्ध के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका से इजरायल को मिलने वाले प्रमुख हथियार पैकेज में और वृद्धि हुई है. मिस्र, जिसे 1979 में इजरायल के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद से उदार अमेरिकी डिफेंस फंड प्राप्त हुआ है. इस देश को भी इस कदम से छूट दी गई है.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आपातकालीन खाद्य सहायता के लिए अमेरिकी योगदान के लिए भी अपवाद बनाया है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका सूडान और सीरिया सहित दुनिया भर में संकटों के बाद दे रहा है. ज्ञापन में राज्य विभाग को अन्य मामले-दर-मामला अपवाद बनाने और अस्थायी रूप से कर्मचारियों के वेतन और अन्य प्रशासनिक खर्चों को निधि देने की अनुमति दी गई है. कथित तौर पर ज्ञापन में 85 दिनों के भीतर सभी विदेशी सहायता की आंतरिक समीक्षा करने का आह्वान किया गया है.

मार्को रुबियो ने ज्ञापन में लिखा है कि नए प्रशासन के लिए यह आकलन करना असंभव था कि मौजूदा विदेशी सहायता प्रतिबद्धताएं “दोहराई नहीं गई हैं, प्रभावी हैं और राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति के अनुरूप हैं. जबकि कई यूरोपीय देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिशत के रूप में काफी अधिक दान करते हैं, अमेरिका लंबे समय से डॉलर के संदर्भ में दुनिया का शीर्ष दाता रहा है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार, जो औद्योगिक देशों को सलाह देता है, अमेरिका ने साल 2023 में विदेशी विकास सहायता में $64 बिलियन से अधिक दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 के लिए रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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