March 10, 2025 7:06 pm

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घाघरा मंदिर: रहस्य, इतिहास और अद्भुत स्थापत्य का संगम

खबर 30 दिन न्यूज़ नेटवर्क

(अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ़)

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित घाघरा मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला और रहस्य से जुड़ी एक अनूठी धरोहर भी है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका निर्माण बिना किसी जोड़ने वाले पदार्थ के किया गया है। ना सीमेंट, ना चूना, ना ही गारा-मिट्टी—सिर्फ पत्थरों को सही संतुलन में रखकर इस अद्भुत संरचना को खड़ा किया गया है। यह मंदिर अपने झुकी हुई संरचना और अद्भुत इंजीनियरिंग के कारण आज भी शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

इतिहास के पन्नों में छिपा रहस्य

घाघरा मंदिर की उम्र को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। कुछ इसे 10वीं शताब्दी का निर्माण मानते हैं, जबकि कुछ इसे बौद्ध काल का अवशेष मानते हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहां विशेष अवसरों पर पूजा-अर्चना की जाती है। सबसे बड़ी पहेली यह है कि मंदिर के अंदर कोई मूर्ति नहीं है, जिससे इसकी असली पहचान और निर्माण के उद्देश्य को लेकर रहस्य और गहरा जाता है।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर भूकंप या किसी भूगर्भीय हलचल के कारण झुक गया होगा, लेकिन सदियों पुराना यह मंदिर आज भी मजबूती से खड़ा है, जो उस समय की इंजीनियरिंग दक्षता को दर्शाता है।

बिना जोड़ वाली तकनीक: स्थापत्य का चमत्कार

घाघरा मंदिर में किसी भी प्रकार की जोड़ने वाली सामग्री का प्रयोग नहीं हुआ है। यह मंदिर केवल पत्थरों को संतुलित करके बनाया गया है। आज के समय में, जब उन्नत तकनीकों और मशीनों की मदद से इमारतें खड़ी की जाती हैं, तब यह रहस्यमयी मंदिर यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि इतनी सदियों पहले लोग इतनी उन्नत इंजीनियरिंग तकनीक का इस्तेमाल कैसे करते थे?

क्या यह कोई बौद्ध संरचना थी?

कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि घाघरा मंदिर का वास्तुशिल्प बौद्ध काल की किसी विशेष शैली से मेल खाता है। संभव है कि यह किसी बौद्ध स्तूप या मठ का हिस्सा रहा हो, जो बाद में हिंदू परंपरा में समाहित हो गया। मंदिर का रहस्यमयी झुकाव और इसकी मजबूत संरचना इस तथ्य को और अधिक रोचक बना देती है।

श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

घाघरा मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी हिस्सा है। दूर-दूर से पर्यटक, शोधकर्ता और पुरातत्वविद इस मंदिर की अनूठी संरचना को देखने आते हैं। इसकी स्थापत्य कला और झुकी हुई स्थिति इसे और भी अधिक रहस्यमयी बनाती है।

यदि इसे पर्यटन स्थल के रूप में उचित पहचान मिले, तो यह छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

कैसे पहुंचे घाघरा मंदिर?

घाघरा मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी प्रमुख कस्बा जनकपुर है। यहाँ से घाघरा गाँव आसानी से पहुँचा जा सकता है। यदि आप मनेंद्रगढ़ से यात्रा कर रहे हैं, तो यह लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से इस मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है, और रास्ते में छत्तीसगढ़ की खूबसूरत वादियों का भी आनंद लिया जा सकता है।

अधूरे जवाब और अनसुलझे सवाल

घाघरा मंदिर अपने साथ कई अनसुलझे सवाल लिए खड़ा है—

  • बिना किसी जोड़ने वाली सामग्री के इसे कैसे बनाया गया?
  • क्या यह बौद्ध काल की कोई संरचना थी?
  • मंदिर झुका क्यों है और सदियों बाद भी कैसे टिका हुआ है?
  • इसके भीतर कोई मूर्ति क्यों नहीं है?

यह मंदिर इतिहास, रहस्य और वास्तुकला का अद्भुत संगम है। यह ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की एक अनमोल धरोहर है, जो हमारे गौरवशाली अतीत की गवाही देती है। शायद आने वाले वर्षों में शोधकर्ताओं के अध्ययन इस मंदिर से जुड़े इन रहस्यों से पर्दा उठा सकें, लेकिन तब तक यह मंदिर रहस्य, आस्था और आश्चर्य का प्रतीक बना रहेगा।

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