नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी अंग्रेजी पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ ने कैथोलिक चर्च और वक़्फ़ बोर्ड के स्वामित्व वाली भूमि की तुलना पर हाल ही में प्रकाशित एक लेख को हटा लिया है.
द हिंदू की खबर के मुताबिक, यह लेख विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद हटाया गया है कि मुसलमानों के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब ईसाइयों को अपना अगला निशाना बनाने जा रही है.
मालूम हो कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2025 को संसद से सफलतापूर्वक पारित करवा लिया है, जिसमें वक़्फ़ संपत्तियों के विनियमन में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव है.
नए विधेयक ने राज्यों को वक़्फ़ भूमि पर निर्णय लेने का अधिकार दिया है और प्रावधान किया है कि आदिवासी और पुरातात्विक भूमि अब वक़्फ़ के अधीन नहीं होगी.
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक-2025 पर बहस के दौरान विपक्षी सांसदों ने तर्क दिया था कि इस कानून के ज़रिए सरकार वक़्फ़ संपत्तियों को निशाना बना रही है और जल्द ही वे ईसाइयों सहित अन्य समुदायों पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
ज्ञात हो कि वक़्फ़ विधेयक का केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल ने भी समर्थन किया था.
कैथोलिक चर्च बनाम वक़्फ़
ऑर्गनाइजर का लेख जो विवाद के केंद्र में है, इसका शीर्षक, ‘भारत में किसके पास ज्यादा ज़मीन है? कैथोलिक चर्च बनाम वक़्फ़ बोर्ड बहस’ में दावा किया गया था कि भारत के कैथोलिक चर्चों के पास 7 करोड़ हेक्टेयर से अधिक ज़मीन है और यह उन्हें ‘सबसे बड़ा गैर-सरकारी ज़मीन मालिक’ बनाता है.
इस मुद्दे की ओर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए लेखों में दावा किया गया है कि कैथोलिक चर्च की संपत्तियों का कुल अनुमानित मूल्य लगभग 20,000 करोड़ रुपये है, जो कि वक़्फ़ बोर्ड से भी अधिक है.
लेख में सरकारी ज़मीन सूचना वेबसाइट से लिए गए आंकड़ों के हवाला से कहा गया था कि कई वर्षों से यह धारणा रही है कि वक़्फ़ बोर्ड सरकार के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा ज़मीन मालिक है, लेकिन आंकड़े इस दावे का समर्थन नहीं करते.
विपक्ष ने भाजपा की आलोचना की
इस लेख की ‘मंशा’ पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह भाजपा द्वारा अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की दिशा में एक और कदम है.
उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘मैंने पहले ही कहा था कि वक़्फ़ विधेयक अभी मुसलमानों को निशाना बनाता है, लेकिन आगे चलकर इसका असर अन्य समुदायों पर भी पड़ेगा. और अब आरएसएस का ध्यान ईसाइयों की ओर मोड़ दिया गया है. हमारा संविधान ही हमारी सुरक्षा का एकमात्र कवच है – और इसे बचाना हम सबकी ज़िम्मेदारी है.’
इस लेख को निंदनीय करार देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीथला ने कहा कि भाजपा का अगला कदम कैथोलिक समुदाय के स्वामित्व वाली संपत्तियों पर कब्जा करना होगा.
उन्होंने कहा कि वक्फ विधेयक के पारित होने के समय, कांग्रेस और राहुल गांधी ने कहा था कि अगला कदम ईसाइयों के खिलाफ होगा और ‘ऑर्गनाइज़र’ का यह लेख साफ तौर पर इसका जिक्र करता है.
रमेश चेन्नीथला ने आगे कहा, ‘वलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भारत में कैथोलिक समुदाय के पास सात करोड़ एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत 20,000 करोड़ रुपये है. वक़्फ़ बिल के माध्यम से वे वक़्फ़ संपत्तियों को नियंत्रित करना चाहते हैं और अगला कदम भारत में कैथोलिक समुदाय के स्वामित्व वाली संपत्तियों को नियंत्रित करना होगा.’
वहीं, बढ़ते विवाद के बीच पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि यह लेख ‘पुराना’ है, जिसे वक़्फ़ विधेयक के बाद फिर से प्रकाशित किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस वक़्फ़ विधेयक पर अपनी स्थिति के कारण मुस्लिम समुदाय की नाराज़गी और ईसाई समुदाय के कांग्रेस से अलग हो रहे रुख को संभाल नहीं पा रही है, इसलिए मीडिया के माध्यम से डर का माहौल बनाकर राजनीतिक खेल खेल रही है.’
केतकर ने राहुल गांधी से पुराने लेख पर चर्चा के बजाय मुनंबन के मुद्दे पर ध्यान देने को कहा, जहां ग्रामीणों का केरल वक़्फ़ बोर्ड के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चल रहा है.
गौरतलब है कि ऑर्गनाइजर में छपे एक लेख में कहा गया है कि वक़्फ़ बोर्ड 400 एकड़ से अधिक ज़मीन पर दावा कर रहा है, जिस पर ग्रामीण पीढ़ियों से रहते और खेती करते आ रहे हैं. ग्रामीणों ने 175 दिनों से विरोध प्रदर्शन किया है और वक़्फ़ अधिनियम के तहत अपनी ज़मीन हड़पने का आरोप लगाया है.
