पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को अपनी ही पार्टी की विधायक उषा रानी मंडल पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगाया।
उषा रानी उत्तर 24 परगना जिले के मिनाखान विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की विधायक हैं जो बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
ममता ने कहा, “वह (उषा रानी मंडल) तृणमूल विधायक बनी रहेंगी। फिर भी वह पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगी। मैं उषा रानी को तब तक स्वीकार नहीं करूंगी, जब तक वह माफी नहीं मांगतीं। मेरा उनसे कोई संबंध नहीं है। मैं उनके जैसे लोगों को अपनी पार्टी में नहीं चाहता।”
मुख्यमंत्री ने शनिवार को मिनाखान में बशीरहाट से पार्टी उम्मीदवार हाजी नुरुल इस्लाम के समर्थन में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, “वह और उनके पति पार्टी को बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे मैं कभी स्वीकार नहीं करूंगी।”
ममता ने भाजपा पर उनकी पार्टी के नेताओं को खरीदने के लिए लाखों रुपये खर्च करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “हर दिन लाखों की नकदी जब्त की जा रही है। वे नकदी बांटकर वोट खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। वे सोचते हैं कि वे नकदी से हर किसी को खरीद सकते हैं।”
मुख्यमंत्री ने कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पारित दो हालिया आदेशों – लगभग 26,000 स्कूल नौकरियों को रद्द करना और 2010 के बाद बंगाल सरकार द्वारा जारी किए गए पांच लाख से अधिक ओबीसी प्रमाणपत्रों को ‘अमान्य’ के रूप में रद्द करना – पर भी नाराजगी जताई।
मुख्यमंत्री ने कहा, ”मैं भाजपा की साजिश को सफल नहीं होने दूंगी। मैं नौकरियां या ओबीसी सर्टिफिकेट छीनने नहीं दूंगी। इसी तरह मैं राज्य में सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम), एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर), और यूसीसी (समान नागरिक संहिता) को लागू करने की अनुमति नहीं दूंगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल के अलावा किसी भी भाजपा विरोधी पार्टी को वोट देने का मतलब परोक्ष रूप से भाजपा को मदद करना होगा।
मुख्यमंत्री ने सभा को बताया, “इसका मतलब भाजपा विरोधी वोटों में विभाजन होगा। किसी अन्य पार्टी को दिया गया हर वोट भाजपा को खुश करेगा। भाजपा विरोधी वोटों को मत बांटो।”