June 19, 2025 1:13 pm

लोहड़ी पर्व पर क्यों जलाई जाती है आग? क्या है अग्नि पूजा का रहस्य, पंडित जी से जान लें सच्चाई

साल 2025 के पहले महीने यानी जनवरी में त्योहारों की बयार रहेगी. इस माह लोहड़ी, पोंगल व मकर संक्रांति जैसे कई प्रमुख पर्व मनाए जाएंगे. सबसे पहले 15 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इसके ठीक एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. लोहड़ी हर वर्ष पौष माह के अंतिम दिन उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है. इसी दिन से माघ मास की शुरुआत भी हो जाती है. लोहड़ी सिख समुदाय का प्रमुख त्योहार है. इस पर्व पर रात में आग जलाई जाती है, जिसे लोहड़ी कहा जाता है. यह अग्नि पवित्र व शुभता का प्रतीक होती है. इस अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अर्पित किए जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं लोहड़ी पर आग क्यों जलाते हैं? इस बारे में News18 को बता रहे हैं प्रतापविहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-

2025 में कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व?

 मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 43 मिनट में प्रवेश करेंगे इसलिए उदया तिथि को मानते हुए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा. वहीं, मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है इसलिए लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा.

लोहड़ी पर आग का महत्व

लोहड़ी का पर्व होली के जैसे मनाया जाता है. इस दिन रात्रि में एक स्थान पर आग जलाई जाती है. आसपास के सभी लोग इस आग के इर्द-गिर्द इकट्ठा होते हैं. सभी लोग मिलकर अग्निदेव को तिल, गुड़ आदि से बनी मिठाइयां अर्पित करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. लोग अग्निदेव की परिक्रमा करते हैं और सुख-शांति व सौभाग्य की कामना करते हैं. अग्नि में नई फसलों को समर्पित किया जाता है और ईश्वर को धन्यवाद अर्पित करते हैं. इसके अलावा भविष्य में उत्तम फसल के लिए प्रार्थना करते हैं.

लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग?

मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की आग की परंपरा माता सती से जुड़ी है. जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया पर शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया. फिर भी माता सती महायज्ञ में पहुंचीं, लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की. इससे आहत सती ने अग्नि कुंड में अपनी देह त्याग दी. ऐसा कहा जाता है कि यह अग्नि मां सती के त्याग को समर्पित है. इस दिन परिवार के सभी लोग अग्नि की पूजा करके परिक्रमा करते हैं. अग्नि में तिल, रेवड़ी, गुड़ आदि अर्पित करके प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इस तरह लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है.

लोहड़ी पर पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की रात साल की सबसे लंबी रात होती है. इसके बाद दिन बड़े होने लगते हैं. मौसम अनुकूल होने लगता है, जो फसलों के लिए उत्तम होता है. इसलिए लोहड़ी पर किसान नई फसल की बुआई करना शुरू कर देते हैं. लोहड़ी पर पूजा का विशेष विधान है. लोहड़ी पर पश्चिम दिशा में मां आदिशक्ति की प्रतिमा स्थापित कर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. प्रतिमा पर सिंदूर का तिलक लगाएं और तिल से बने लड्डू अर्पित करें.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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