June 16, 2025 4:49 pm

सुप्रीम कोर्ट ने सिविल मामलों को आपराधिक बनाने के लिए यूपी पुलिस की आलोचना की

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को एक व्यक्ति से उधार लिए गए 25 लाख रुपये कथित रूप से न लौटाने के मामले में आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए फटकार लगाई. न्यायालय ने कहा कि यह मुख्य रूप से एक दीवानी यानी सिविल विवाद है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक धमकी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों का सामना कर रहे याचिकाकर्ता देबू सिंह और दीपक सिंह के खिलाफ एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज कर दी गई थी.

तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा, ‘यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है. हर दिन सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है… यह कानून के शासन का पूरी तरह से उल्लंघन है.’

सीजेआई के अलावा इस पीठ में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल थे, जिन्होंने कहा कि यह शरीफ अहमद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दिए गए उसके निर्देश के विपरीत है, जिसमें अदालत ने कहा था कि जांच अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि चार्जशीट के सभी कॉलम सही तरीके से भरे गए हों, जिससे अदालत स्पष्ट रूप से यह समझ सके कि किस आरोपी ने कौन-सा अपराध किया है और फाइल पर कौन-से साक्ष्य उपलब्ध हैं.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘संज्ञान लेने का आदेश, समन आदेश और साथ ही दायर आरोपपत्र शरीफ अहमद और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में दिए गए फैसले के बिल्कुल उलट है. इसे देखते हुए, हम उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी/जांच अधिकारी से यह अपेक्षा करेंगे कि वे फैसले में दिए गए निर्देशों का अनुपालन करते हुए हलफनामा दाखिल करें.’

पीठ ने निर्देश दिया कि यह हलफनामा दो सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए और जब तक सभी आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही स्थगित रहेगी.

कोर्ट ने कहा, ‘मामले में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत कार्यवाही जारी रहेगी, जो वर्तमान याचिका का विषय नहीं है.’

अभियोजन पक्ष के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के पिता बलजीत सिंह, जिनका कबाड़ का व्यवसाय था, ने दीपक बहल नामक व्यक्ति से उनकी मौजूदगी में 25 लाख रुपये उधार लिए थे. इसके बाद, बलजीत सिंह ने वादा किए गए समय पर पैसे लौटाने से इनकार कर दिया और जब बहल ने पैसे वापस मांगे, तो उन्होंने कथित तौर पर उन्हें जिंदा जलाने की धमकी दी.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, और इसलिए एफआईआर रद्द करने की अर्जी पर विचार नहीं किया जा सकता.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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