June 16, 2025 2:14 am

अमित शाह का नवंबर से मणिपुर में हिंसा न होने का दावा ग़लत, अलग-अलग घटनाओं में हुईं 21 मौतें

इंफाल/चूड़ाचांदपुर (मणिपुर): 4 अप्रैल की सुबह 2:37 बजे राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने पर चर्चा हुई. इस बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘नवंबर से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है.’

लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है.

नवंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच, मणिपुर में कम से कम 34 लोगों की मौत हुई— 21 लोग सीधे हिंसक झड़पों में मारे गए और 13 लोगों की जान राहत शिविरों में गई, जहां स्थानीय लोग मानते हैं कि उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिली.

मृतकों में बच्चे, प्रवासी मजदूर, गांव के स्वयंसेवक (विलेज वॉलंटियर्स) और प्रदर्शनकारी शामिल हैं. फरवरी 2025 में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी हत्याएं जारी रहीं.

नवंबर

11 नवंबर को मणिपुर में कई महीनों के बाद सबसे हिंसक घटनाओं में से एक घटी.

जिरीबाम जिले में, एक संदिग्ध कुकी उग्रवादी हमले के बाद एक मेईतेई परिवार के छह सदस्य, जिसमें एक दो वर्षीय बच्चा भी शामिल था, लापता हो गए. यह हमला बरोबेकड़ा राहत शिविर के पास मेईतेई समुदाय के घरों पर हुआ था. बाद में उनके जले हुए और सड़ चुके शव असम की बराक नदी में मिले.

उसी दिन दोपहर में मिलिटेंट्स ने कथित रूप से एक सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की. इसमें 11 कथित कुकी उग्रवादी मारे गए.

सरकार ने उन्हें ‘उग्रवादी’ बताया, जबकि कुकी-जो काउंसिल ने दावा किया कि वे विलेज डिफेंस वॉलंटियर्स थे. इस घटना के विरोध में काउंसिल ने पहाड़ी जिलों में 13 घंटे का बंद लागू कर दिया.

कुछ दिनों बाद जिरीबाम में हुई हत्याओं को लेकर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे. इस दौरान 20 वर्षीय प्रदर्शनकारी के. अथोबा की सुरक्षा बलों के साथ झड़प में गोली लगने से मौत हो गई.

दिसंबर

14 दिसंबर को बिहार के गोपालगंज जिले के दो प्रवासी मजदूरों— सुनालाल कुमार (18) और दशरथ कुमार (17) की काकचिंग जिले के केइराक में हत्या कर दी गई. वे काम से घर लौट रहे थे, तभी अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला किया. पुलिस ने हमले की पुष्टि भी की, लेकिन मामला आज तक अनसुलझा है.

इसी महीने तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और स्वीकार किया कि राज्य सरकार शांति बनाए रखने में असफल रही.

मार्च

फरवरी 2025 में जब राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, तो कई लोगों को उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे. लेकिन केंद्रीय नियंत्रण के बावजूद हिंसा जारी रही.

8 मार्च को एक कुकी व्यक्ति की हत्या कर दी गई और 48 कुकी लोग घायल हो गए. यह हिंसा उस दिन भड़की जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आदेश के तहत पहली बार घाटी और पहाड़ियों के बीच मुक्त आवागमन (फ्री मूवमेंट) शुरू हुआ.

पुलिस के मुताबिक, इस हिंसा में सुरक्षा बलों के 27 जवान भी घायल हुए.

राहत शिविरों में छा रहा ‘खामोश संकट’

हिंसा के अलावा राहत शिविरों में दस्तक दे चुके संकट की बात भी अब छिपी नहीं है.

कुकी खांगलाई लॉम्पी नामक संगठन का दावा है कि नवंबर से अब तक कुकी-जो समुदाय के कम से कम 13 विस्थापित लोगों की मौत हो चुकी है. आरोप है कि इन लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा नहीं दी गई, जिससे उनकी जान गई.

‘शांति’ का सरकारी दावा बनाम जमीनी सच्चाई

केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि मणिपुर में हालात सामान्य हो चुके हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. मई 2023 से अब तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. 60,000 से अधिक लोग अभी भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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