September 14, 2025 7:00 am

गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क : पर्यटन नहीं, भ्रष्टाचार का नया अड्डा!

अब्दुल सलाम क़ादरी-प्रधान संपादक

  • डीएफओ पर वाहवाही लूटने और करोड़ों की हेराफेरी के आरोप, कांग्रेस ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की

मनेंद्रगढ़। जिस गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को वन विभाग और प्रशासन एशिया का सबसे बड़ा पर्यटन आकर्षण बताकर प्रचारित कर रहे हैं, वह अब भ्रष्टाचार और घोटाले के गंभीर आरोपों में घिर गया है। स्थानीय लोगों से लेकर विपक्षी दलों तक का कहना है कि यह प्रोजेक्ट पर्यटन और रोजगार से ज्यादा पैसे की हेराफेरी और मीडिया मैनेजमेंट का जरिया बन गया है।


वाहवाही के लिए खबरें खरीदी जा रही हैं?

डीएफओ मनीष कश्यप पर आरोप है कि वे अपनी छवि चमकाने के लिए चुनिंदा अख़बारों और न्यूज़ पोर्टलों में पैसे देकर खबरें प्रकाशित करवा रहे हैं। शासन और जनता की आंखों में धूल झोंककर वाहवाही लूटने का यह तरीका अब खुलकर सामने आने लगा है।


आरटीआई के तहत खर्च का हिसाब मांगते ही बौखलाहट

सूत्रों के अनुसार, यदि इस प्रोजेक्ट के हर एक कार्य और लागत का स्वतंत्र ऑडिट किया जाए तो करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार सामने आ जाएगा। आरटीआई के जरिए जब खर्च और दस्तावेज़ मांगे गए तो विभाग बुरी तरह बौखला गया। कहा जा रहा है कि कागज़ दिखाने में ही अधिकारियों को “नानी याद” आ रही है।


कांग्रेस का बड़ा हमला

कांग्रेस नेताओं ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
मनेंद्रगढ़ के कांग्रेस जिला प्रवक्ता सौरभ मिश्रा का कहना है –

“डीएफओ ने पर्यटन के नाम पर करोड़ों रुपये बहा दिए। महुआ बचाओ योजना में भी यही खेल हुआ था और अब फॉसिल पार्क घोटाला सामने आ रहा है। सरकार यदि ईमानदार है तो तुरंत उच्चस्तरीय जांच बिठाए।”

वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा –

“यह पूरा मामला भ्रष्टाचार और वाहवाही की राजनीति का है। जनता का पैसा बर्बाद हुआ है। हम इसे विधानसभा और सड़क पर मुद्दा बनाएंगे।”


जनता की नाराज़गी

स्थानीय निवासी कहते हैं –

“पार्क में दिखाने को तो मूर्तियाँ बना दीं, लेकिन गांव के युवाओं को रोजगार नहीं मिला। करोड़ों खर्च हुए, मगर हमें सिर्फ झूठे वादे मिले।”

एक महिला समाजसेवी ने कहा –

“यहां पर्यटन से ज्यादा फोटो सेशन होता है। असली फॉसिल्स से ज्यादा दिखावा किया जा रहा है। पैसे की बंदरबांट हुई है, जांच होगी तो सब खुल जाएगा।”


रोजगार और पर्यटन का दावा भी खोखला

वन विभाग ने दावा किया था कि पार्क से रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन हकीकत यह है कि स्थानीय युवाओं को न तो रोजगार मिली और न ही करोड़ों से बनी व्यवस्थाएँ टिकाऊ साबित हो रही हैं। कई सुविधाएँ पहले ही खराब होने लगी हैं, जिससे घटिया गुणवत्ता का अंदेशा साफ है।


सवालों के घेरे में डीएफओ

अब जनता सीधे सवाल कर रही है –
👉 अगर डीएफओ मनीष कश्यप सचमुच ईमानदार हैं, तो वे क्यों नहीं हर कार्य और खर्च का सार्वजनिक ब्यौरा जारी करते?
👉 क्यों पारदर्शिता से बचा जा रहा है?
👉 क्या यह सब सिर्फ वाहवाही और कमीशनखोरी का खेल है?

पर्यटन का नया हब या भ्रष्टाचार का गढ़?
गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क – एशिया का सबसे बड़ा बताकर प्रचारित, लेकिन अंदरखाने आरोप है करोड़ों के घोटाले का।

देश में इससे बड़े बड़े पार्क बने हुए है और यह कहना बिल्कुल गलत है कि यह एशिया का सबसे बड़ा पार्क है?

यूपी के सोनभद्र जिले में सबसे बड़ा पार्क स्थित है  सलखान फॉसिल पार्क

साल्तान जीवाश्म पार्क, जिसे आधिकारिक तौर पर सोनभद्र जीवाश्म पार्क के नाम से जाना जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश में एक जीवाश्म पार्क है। यह सोनभद्र जिले में राज्य राजमार्ग SH5A पर साल्खन गांव के पास रॉबर्ट्सगंज से 12 किमी दूर स्थित है। पार्क में जीवाश्म लगभग 1400 मिलियन वर्ष पुराने होने का अनुमान है। सोनभद्र जीवाश्म पार्क में पाए गए जीवाश्म शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स जीवाश्म हैं। यह पार्क कैमुर वन्यजीव अभयारण्य के निकट, कैमर रेंज में लगभग 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह राज्य वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।

साथ ही जेशलमेर में भी पार्क मौजुद है

सलखन फॉसिल पार्क

dinosaur fossil park in india

इस पार्क को  सोनभद्र फॉसिल्स पार्क के नाम से भी जाना जाता है। 1933 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा यहां जीवाश्म की खोज की गई थी। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित इस सलखन फॉसिल पार्क में 150 करोड़ साल पहले के अवशेष पाए गए थे। वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर स्थित यह जगह तकरीबन 24 हेक्टेयर में फैली हुई है।

मंडला प्लांट फॉसिल पार्क

best fossil parks of indiaमध्य प्रदेश में शाहपुरा के पास स्थित यह पार्क 270 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इस पार्क में 40 मिलियन से 150 मिलियन वर्ष पुराने पौधों के जीवाश्म रखे गये है। यह डिंडोरी जिले के शाहपुरा से 14 किमी दूरी पर स्थित है। यहां यनासोर के अंडों के जीवाश्म समेत कई पेड़-पौधों के जीवाश्म रखे गए हैं।

तिरुवक्कराई फॉसिल पार्क

तमिलनाडु के विल्लुपुरम के तिरुवक्कराई गांव में यह पार्क स्थित है। यहां लगभग 20 मिलियन वर्ष पुराने लकड़ी के जीवाश्म मिले थे। पार्क में 200 पेट्रीफाइड लकड़ी के फॉसिल्स सहेज कर रखे गए हैं।

घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान

मध्यप्रदेश के गांव में डिंडोरी से 70 किमी दूर स्थित है। 75 एकड़ भूमि के क्षेत्र में यह फैला हुआ है। लोगों का कहना है कि यहां मौजूद फॉसिल 65 मिलियन साल से भी अधिक पुराने हैं।

इंद्रोदा डायनासोर और फॉसिल पार्क

oldest fossil parks of india

गुजरात की राजधानी गांधीनगर में साबरमती नदी के दोनों किनारों पर फैला हुआ यह पार्क बच्चों के साथ जाने के लिए बेस्ट है। यह 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां आपको  समुद्री स्तनधारियों के विशाल कंकाल भी देखने को मिलेंगे। यहां डायनासोर के जीवाश्म अवशेष सहेज कर रखे गए हैं।

कुल मिलाकर, गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को “एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल पार्क” कहकर प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन ज़मीन पर यह अधिकतर खर्च और भ्रष्टाचार का खेल नज़र आता है।

छत्तीसगढ़ के पीसीसीएफ श्रीनिवास राव  जी से निवेदन है कि तत्कालीन डीएफओ मनीष कश्यप के एक एक कार्य की शोशल ऑडिट कराते हुए जांच की जाए। ताकि पारदर्शीता बनी रहे। और इनके खिलाफ जितनी भी शिकायत आईं है उन सबकी कमेटी बनाकर जांच की जाए।

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