नक्सलियों के खिलाफ चल रही मुहिम के दौरान तेलंगाना पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. शनिवार को भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति सदस्य पोथुला पद्मावती उर्फ सुजाता उर्फ कल्पना ने अपने हथियार डाल दिए.
62 वर्षीय पद्मावती दिवंगत माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की पत्नी हैं. उनके पति पश्चिम बंगाल राज्य समिति के सचिव रह चुके थे. साल 2011 में पश्चिमी मिदनापुर जिले में पुलिस मुठभेड़ में उनकी मौत हो गई थी.
तेलंगाना पुलिस के डीजीपी जितेंद्र ने बताया कि 43 साल तक अंडरग्राउंड रहने वाली पद्मावती ने सरकारी नीतियों से प्रभावित होकर संगठन छोड़ने का फैसला लिया. दशकों तक हथियार उठाने वाली यह माओवादी नेता स्वास्थ्य कारणों के वजह से भी मुख्यधारा में लौटना चाहती थी. उनके सिर पर तेलंगाना में 25 लाख और छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपए का इनाम घोषित था. उनके सरेंडर के बाद चेक सौंपा गया है. सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ भी दिए जाएंगे.
पद्मावती जोगुलम्बा गडवाल जिले की मूल निवासी हैं. कॉलेज के दिनों में अपने चचेरे भाइयों के संपर्क में आकर वो मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा से प्रभावित हुईं. इनमें वरिष्ठ माओवादी नेता पटेल सुधाकर रेड्डी भी थे, जिनकी साल 2009 में पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी. इसी विचारधारा ने उन्हें नक्सल विचारधारा की ओर बढ़ाया. इसकी शुरुआत रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन से हुई, जहां उन्होंने एक ग्राम प्रचारक के रूप में काम किया. इसके बाद जन नाट्य मंडली से जुड़ीं.
इसके बाद कुछ समय तक दिवंगत लोकगायक गद्दार के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं. साल 1984 में उन्होंने किशनजी से शादी किया था. साल 1987 में संगठन ने उन्हें और किशनजी को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में दंडकारण्य वन समिति में भेज दिया. दशकों तक दंडकारण्य क्षेत्र में उन्होंने ‘क्रांतिकारी जन समितियों’ और ‘जनताना सरकार’ की प्रभारी के रूप में अहम भूमिका निभाई. उनकी पहचान एक सख्त और अनुशासित कमांडर के रूप में रही है.
सुताजा का सरेंडर माओवाद के लिए झटका
साल 2023 में उन्हें भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति में सदस्य (सीसीएम) के रूप में शामिल किया गया. लेकिन इस साल के शुरुआत से उनकी तबियत धीरे-धीरे खराब होने लगी. इस साल मई में उन्होंने संगठन से बाहर निकलने का फैसला किया. केंद्रीय समिति सदस्य पुल्लुरी प्रसाद राव के जरिए से उन्होंने औपचारिक रूप से स्वास्थ्य कारणों से मुक्त होकर मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई. सुताजा के सरेंडर को छत्तीसगढ़ पुलिस ने माओवाद के लिए बड़ा झटका माना है.
सुजाता पर बस्तर रेंज में दर्ज हैं 72 केस
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने इसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों और अंतरराज्यीय सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूद सुरक्षा इकाइयों के संयुक्त अभियान का सीधा परिणाम माना है. उन्होंने कहा, “सुजाता के सरेंडर का फैसला माओवादियों के सामने आ रहे गहरे विश्वास के संकट को दर्शाता है. छत्तीसगढ़ में उस पर 40 लाख रुपए का इनाम था. बस्तर रेंज के अलग-अलग जिलों में उसके खिलाफ 72 से ज्यादा केस दर्ज हैं. उसकी लंबे समय से तलाश थी.”
साल 2025 में 404 नक्सलियों का सरेंडर
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने माओवादियों से हथियार छोड़ने और विकास की राह अपनाने की अपील की है. उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “सशस्त्र क्रांतियां अब पुरानी हो चुकी हैं. जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप विकास और कल्याण का रास्ता अपनाइए.” पुलिस के मुताबिक, यह आत्मसमर्पण सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि संगठन पर भी गहरा असर डालने वाला है. पुलिस का कहना है कि उनकी रणनीति से प्रेरित होकर इस साल 404 माओवादी सरेंडर कर चुके हैं.
भूमिगत नक्सलियों से वापसी की अपील
लंबे समय से अंडरग्राउंड रहने वाले इन नक्सलियों में चार राज्य समिति सदस्य, एक संभागीय समिति सचिव, आठ संभागीय समिति सदस्य और 34 क्षेत्रीय समिति सदस्य शामिल हैं. सीपीआई (माओवादी) के अब तक कुल 78 अंडरग्राउंड कार्यकर्ता तेलंगाना के मूल निवासी हैं. इतना ही नहीं केंद्रीय समिति के 15 सदस्यों में से 10 का ताल्लुक तेलंगाना से है. यही वजह है कि डीजीपी ने सभी भूमिगत माओवादियों से अपील की है कि वे मुख्यधारा में लौटकर अपने गांव वापस जाएं.
16 लाख के इनामी दो नक्सली मारे गए
इसी बीच छत्तीसगढ़ से भी लगातार नक्सल मोर्चे पर सफलता की खबरें आ रही हैं. बीजापुर जिले में हाल ही में हुई मुठभेड़ में 16 लाख के इनामी दो नक्सली हिडमा पोडियाम (34) और मुन्ना मड़कम (25) मारे गए. उनके पास से हथियार, गोला-बारूद और माओवादी साहित्य बरामद हुआ. वहीं, मैनपुर थाना क्षेत्र के राजाडेरा-माताल की पहाड़ियों पर हुई एक भीषण मुठभेड़ में केंद्रीय समिति सदस्य मॉडम बालकृष्ण उर्फ मनोज और उसके नौ साथियों को मार गिराया गया.
नक्सल संगठन पर सुरक्षा बलों का दबाव
नक्सली बालकृष्ण पर 1.80 करोड़ का इनाम था. साल 2025 में अब तक छत्तीसगढ़ में 243 नक्सली मारे जा चुके हैं. इनमें से 214 बस्तर संभाग में, 27 रायपुर संभाग के गरियाबंद जिले में और 2 दुर्ग संभाग के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में मारे गए. ये आंकड़े बताते हैं कि नक्सल संगठन पर सुरक्षा बलों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. पद्मावती का आत्मसमर्पण दशकों से चल रहे माओवादी आंदोलन की दिशा बदलने वाला कदम साबित हो सकता है.
