November 19, 2025 11:39 pm

कोयलांचल में कैमिकल वाला दूध — मनेन्द्रगढ़ और आसपास के इलाकों में मिलावटी दूध का धंधा जोरों पर, प्रशासन मौन

खबर 30 दिन। अब्दुल सलाम क़ादरी।

मनेन्द्रगढ़ और आसपास के इलाकों, खासकर कोयलांचल क्षेत्र में मिलावटी और कैमिकल युक्त दूध का कारोबार तेजी से फैल रहा है। लोगों के घरों तक पहुंचने वाला दूध अब पोषण नहीं, बल्कि बीमारी का कारण बनता जा रहा है। यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, मगर जिम्मेदार अधिकारी अब तक मौन हैं।

 मिलावटी दूध से बढ़ा खतरा

स्थानीय बाजारों में बिकने वाला दूध देखने में गाढ़ा और सफेद जरूर है, लेकिन जांच में इसमें सर्फ, यूरिया, स्टार्च, डिटर्जेंट और हाइड्रोजन पेरॉक्साइड जैसे हानिकारक केमिकल पाए गए हैं। इनका उपयोग दूध को ज्यादा गाढ़ा, सफेद और आकर्षक दिखाने के लिए किया जाता है। बताया जा रहा है कि रोजाना सैकड़ों लीटर सिंथेटिक दूध तैयार कर आसपास के कस्बों में सप्लाई किया जा रहा है।

दूध देने वाले पशुओं पर इंजेक्शन और टैबलेट का इस्तेमाल

क्षेत्र में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए अब हार्मोन इंजेक्शन और हॉर्मोनल टैबलेट्स का अवैध उपयोग भी किया जा रहा है। पशुओं को हर दिन दूध बढ़ाने वाली दवाइयां और इंजेक्शन दिए जा रहे हैं, जिससे अल्प समय में अधिक दूध तो निकलता है, लेकिन उसमें हानिकारक रासायनिक तत्व शामिल हो जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन हार्मोनों का प्रभाव न केवल पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है बल्कि इंसानों के शरीर में भी हार्मोनल असंतुलन और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

घर-घर सप्लाई में मिलावटी दूध का नेटवर्क

मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी, खड़गवां और झगराखांड जैसे क्षेत्रों में दूध की सप्लाई डेरी मालिकों और पशु पालकों के माध्यम से की जा रही है। इनमें से अधिकतर बिना किसी गुणवत्ता जांच के ही दूध पहुंचा रहे हैं। कई बार दूध का स्वाद और गंध असामान्य पाई जाती है, लेकिन शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।

स्वास्थ्य पर गंभीर असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मिलावटी और कैमिकल वाला दूध शरीर में धीरे-धीरे ज़हर की तरह असर करता है। इससे किडनी, लीवर और पाचन तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। बच्चों और बुजुर्गों में पेट दर्द, उल्टी, दस्त, हार्मोनल असंतुलन और गैस्ट्रिक की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। लंबे समय तक सेवन करने से यह दूध कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों तक का कारण बन सकता है।

प्रशासन की चुप्पी

प्रशासन न तो दूध के सैंपल की जांच करता है, न ही किसी सप्लायर या डेयरी की जांच कर कार्रवाई। खाद्य विभाग और स्थानीय प्रशासन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर बचाव का रास्ता तलाश लेते हैं। इससे मिलावटखोरों के हौसले और भी बढ़ते जा रहे हैं।

  • तत्काल क्षेत्र में मिलावटी दूध पर जांच अभियान चलाया जाए।
  • दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं को दी जाने वाली दवाओं और इंजेक्शनों पर रोक लगे।
  • दोषियों पर सख्त कार्रवाई कर एफआईआर दर्ज की जाए।
  • बिना लाइसेंस वाले सप्लायरों को चिन्हित कर दूध वितरण पर प्रतिबंध लगाया जाए।
  • जनता को जागरूकता अभियान के माध्यम से असली और नकली दूध की पहचान बताई जाए।

कोयलांचल और आसपास के क्षेत्रों में मिलावटी दूध का यह गोरखधंधा लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। दूध के नाम पर जहर बेचा जा रहा है, और प्रशासन की लापरवाही ने हालात को और बिगाड़ रखा है। अब वक्त आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी जागें, नहीं तो यह जहरीला दूध पूरे समाज की सेहत को चुपचाप खत्म कर देगा।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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