कोरिया/मनेन्द्रगढ़/चिरमिरी
अब्दुल सलाम कादरी
हमने इसके पूर्व में इसी क्रम में खःबर का प्रकाशन किया था जिसमे रेंजर ने अपने गुर्गों के माध्यम से सम्पादक को धमकी देने का भी मामला प्रकाश में आया था जिसमे वाट्सएप के माध्यम से सीसीएफ सरगुजा वन वृत्त को सूचना भी दी गई थी, उनके द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई?
रेंजर द्वारा अपने गुर्गों के माध्यम से संपादक को धमकी दिलाई गई थी कि यदि दुबारा कोई खःबर का प्रकाशन करोगे तो अंजाम भुगतने को तैयार रहना..??
अभी वर्तमान में सूत्रों से यह पता चला है चिरमिरी रेंजर सीसीएफ, पीसीसीएफ सहित वन मंत्री को भी कमीशन के दम पर अपनी जेब में रखने की बात करते है?
जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल 2023 में वन मण्डल से जो भी चेक प्राप्त हुए है उनकी जांच किया जाना अतिआवश्यक है । कार्य और मजदूरी भुगतान का मिलान किया जाना भी अति महत्वपूर्ण है।
- जब वन मंत्री ही इनके कमीशन के शिकार है तो कार्यवाही करेगा कौन? रेंजर चिरमिरी..
- सीसीएफ श्री नवीद सुजाउद्दीन तो कार्यवाही और जांच करेंगे नही? क्योंकि रेंजर ने कहा कि मैं कमीशन देता हूँ???
- नए नवनियुक्त पीसीसीएफ महोदय से भी कोई उम्मीद नही है?
- मतलब हम्माम में जब सब नंगे हो तो जांच कौन करेगा?
हमने पिछले महीने बीबीसी लाईव में नीचे लिखे निम्न खबरों का प्रकाशन किया था-जिसपर सीसीएफ सरगुजा ने पर्दा डाल दिया? पूर्व खःबर का लिंक …
चिरमिरी वन परीक्षेत्र में पेड़ो की अवैध कटाई का सिलसिला बदस्तूर जारी? https://bbclive.in/archives/117789
चिरमिरी के पोंडी एरिया के आसपास के जंगलों में विगत 3, 4 माह से निरन्तर सागौन सहित इमारती पेड़ो का अवैध कटाई बदस्तूर जारी है।
साथ ही कई कम्पार्टमेंट में आग लगने से पेड़ो को जबरजस्त तरीके से नुकसान पहुचा है, इस सम्बंध में जब हमने चिरमिरी के तत्कालीन रेंजर ओपी तिवारी को फोन किया गया तो उनके द्वारा एक बार फोन उठाने के बाद काट दिया गया वही जब दुबारा फोन किया गया तो न0 को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया गया जिसके कारण उनसे संपर्क नही हो सका। हमने इस सम्बंध में उनको वाट्सएप के माध्यम से भी 9424257566 न0 से सम्पर्क किया पर वहां भी उनके द्वारा वाट्सएप्प को ही ब्लाक कर दिया गया।
ऐसे रेंजर जंगल के रक्षक नही भक्षक बनकर जंगलों का दोहन कर रहे है । ऐसे रेंजर प्रकृति के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहे है ना जाने शाषन ने इनको क्या सोचकर पदस्थ कर रखा है वरना इनके खिलाफ कार्यवाही हो चुकी होती।
वही जब एसडीओ साहब से बात की गई तो उनके द्वारा इस मामले में जांच की बात कही गई है।
अवैध लकड़ी कटाई, अवैध खनिज उत्खनन सहित कोयले का भारी मात्रा में जंगलों से निष्काशन होता है परंतु जब इसकी सूचना दी जाती है तो फोन बंद और ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है।
एक कोयला तश्कर ने तो यह भी कहा कि महीने का हम लोग लाखो रुपये सिर्फ कोयला उत्खनन का ही देते है पहले तो जंगल जाने में ही हम लोगो को डर बना रहता था कब वन विभाग पकड़ ना लें, लेकिन अब बहुत बढ़िया सेटिंग हो चुकी है साहब से? हम लोग तो कोयला रेत मुरुम, और साथ मे पेड़ काटकर आरामिल सहित फर्नीचर दुकान वालो को बेच देते है और सबसे ज्यादा डिमांड सागौन का है जिसकी अच्छी कीमत हम लोगो को मिल जाती है। सागौन की बल्ली को स्थानिय सहित गौरेला पेंड्रा और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में सप्लाई भी करते है।
जो ठूंठ बच जाता है उसे उखाड़कर फेंक देते है जिससे कटाई का पता ही नही चल पाता है-तश्कर की जुबानी..
अब देखने वाली बात यह है कि क्या जंगल मे इस प्रकार का खेल बदस्तूर जारी होने के बावजूद कार्यवाही नही होना कही ना कही मामले की सत्यता को उजागर करता है। इन जैसे रेंजरों के खिलाफ भी कोई कार्यवाही नही होना भी अपने आप मे एक मिसाल है।
चिरमिरी पोंडी नाके के आस पास सहित मेरो खड़गवां मार्ग के जंगलों में भारी तादात में पेड़ो की कटाई कर पेड़ो को ठूंठ को उखाड़कर नालों में फेंक दिया जाता है। इसमे वनकर्मी भी शामिल होते है? जो तश्करो के साथ मिलीभगत कर जंगल को नुकसान पहुचा रहे है।