श्रीनगर: उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा गोली मारे गए 44 वर्षीय व्यक्ति की रविवार (27 अप्रैल) को श्रीनगर के एक अस्पताल में मौत हो गई.
यह गोलीबारी पहलगाम आतंकी हमले के चार दिन बाद और एक परिवार द्वारा यह आरोप लगाए जाने के दो दिन बाद हुई कि उनके बेटे, जिन्हें पुलिस ने ‘आतंकवादी सहयोगी’ बताया था, को बांदीपुरा में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया.
पहलगाम के बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा 25 हिंदू नागरिकों की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं.
एक कश्मीरी मुस्लिम युवक, जिन्होंने कथित तौर पर एक महिला पर्यटक को बचाने की कोशिश की थी, की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
ताजा घटना में एक परिवार के सदस्य ने बताया कि मृतक की पहचान गुलाम रसूल मागरे के रूप में हुई है, जिन्हें शनिवार रात को अज्ञात बंदूकधारियों ने कुपवाड़ा के कानी खास गांव स्थित उसके घर से बाहर खींच कर ले गए और घर से कुछ मीटर की दूरी पर गोली मार दी.
स्थानीय लोगों ने बताया कि मृतक की मां, जो आंखों की किसी बीमारी से पीड़ित बताई जा रही है, शनिवार रात को जब बंदूकधारियों ने हमला किया, उस समय एक मंजिला मकान में मौजूद एकमात्र व्यक्ति थी.
पीड़ित के भाई ने स्थानीय पत्रकारों को बताया, ‘रात करीब 10:45 बजे अज्ञात बंदूकधारियों का एक समूह घर में घुस आया और कहा कि उन्हें तलाशी लेनी है. फिर बंदूकधारी उसे बाहर ले आए और उसे गोली मार दी.’
गोलीबारी के बाद हमलावर, जिनकी संख्या ज्ञात नहीं है, इलाके से भाग गए जबकि पीड़ित को हंदवाड़ा के सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां से उसे गंभीर हालत में श्रीनगर रेफर कर दिया गया.
श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल, जहां पीड़ित का इलाज चल रहा था, के एक डॉक्टर ने कहा, ‘उन्हें पेट में गंभीर चोटें आईं थीं और आज उसकी मौत हो गई.’
रविवार की सुबह मागरे की मौत की खबर फैलते ही कानी खास गांव में मातम छा गया. जब यह खबर लिखी गई, तब परिवार मृतक के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहा था.
कुछ निवासियों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अविवाहित मागरे कुछ मनोवैज्ञानिक समस्या से पीड़ित थे, जिसके कारण उन्हें जीवनसाथी नहीं मिल पा रही थी. पीड़ित दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे और अपनी मां के साथ रहते थे.
रिपोर्ट के अनुसार, मागरे के भाई के पास एक अलग घर है, जहां वह अपने परिवार के साथ रहता है. यह स्पष्ट नहीं है कि शोकाकुल परिवार में और भी सदस्य हैं या नहीं. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (कुपवाड़ा) गुलाम जिलानी वानी ने घटना के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के हंदवाड़ा सदस्य खुर्शीद अहमद शेख, जिन्होंने रविवार सुबह शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की, ने पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर पीड़ित परिवार के प्रति उदासीनता दिखाने का आरोप लगाया.
शेख ने कहा, ‘एक इंसान और एक अंधी मां का एकमात्र सहारा मारा गया, लेकिन प्रशासन की ओर से किसी ने भी उनसे मिलने की जहमत नहीं उठाई. संबंधित जांच अधिकारी शव के पास है. पहलगाम में भी यही गलती हुई थी. मैं यहां दो घंटे से हूं, लेकिन हमलावरों को पकड़ने में किसी की दिलचस्पी नहीं दिख रही है.’
उन्होंने कहा, ‘क्या वह (उमर) यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए केवल पहलगाम में हुई हत्याएं ही महत्वपूर्ण हैं और किसी कश्मीरी नागरिक की मौत कोई मायने नहीं रखती?’
अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए एकमात्र कश्मीरी नागरिक, पोनी चलाने वाले सैयद आदिल शाह के परिवार से मुलाकात की तथा उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.
अपराधियों के खिलाफ नारे लगाते हुए शेख ने मागरे की हत्या की शीघ्र जांच की मांग की और गांव में विरोध प्रदर्शन के दौरान पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे की मांग की, जिसमें स्थानीय लोग भी शामिल हुए.
इससे पहले शुक्रवार को उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले में मुठभेड़ के दौरान मारे गए अल्ताफ लाली के परिवार ने आरोप लगाया कि घटना से दो दिन पहले पुलिस ने उन्हें उनके घर से हिरासत में लिया था.
लाली हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी तालिब लाली का भाई है जो एक दशक से अधिक समय से जेल में बंद है. कथित फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ उसके पैतृक गांव अजास में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे थे.
