April 28, 2025 8:37 pm

कश्मीर: बुलडोजर कार्रवाई के बाद स्थानीय नेता बोले- निर्दोष कश्मीरियों को अलग-थलग करने से बचे केंद्र

श्रीनगर: पहलगाम आतंकी हमले के बाद कम से कम नौ संदिग्ध आतंकवादियों के पारिवारिक आवासों को ध्वस्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य कश्मीरी नेताओं ने रविवार (27 अप्रैल) को एकमत होकर प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाई.

रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बावजूद पिछले तीन दिनों में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं ने घाटी में चिंता और डर का माहौल बना दिया है.

सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद और उसके मूल के खिलाफ निर्णायक लड़ाई होनी चाहिए. कश्मीर के लोग आतंकवाद और निर्दोष लोगों की हत्या के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं.

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इस समर्थन को और मजबूत किया जाए और लोगों को अलग-थलग करने वाली किसी भी गलत कार्रवाई से बचा जाए. उन्होंने कहा कि दोषियों को दंडित करें, उन पर कोई दया न दिखाएं, लेकिन निर्दोष लोगों को नुकसान न होने दें.

उन्होंने विध्वंस के बाद बेघर हुए लोगों की मार्मिक तस्वीरों का जिक्र किया.

उदारवादी हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक, जो कश्मीर के प्रमुख धार्मिक गुरु भी हैं, ने भी पहलगाम हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया.

हालांकि, उन्होंने कहा कि अंधाधुंध गिरफ्तारियां और घरों- मोहल्लों को ध्वस्त करने के सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो को परेशान करने वाले हैं. मीरवाइज ने कहा, ‘मेरी अधिकारियों से अपील है कि कि पीड़ितों के लिए न्याय दिलाने में निर्दोष कश्मीरी परिवारों को दंडित न किया जाए.’

वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को ‘सावधानी से कदम उठाने और आतंकवादियों और नागरिकों के बीच सावधानीपूर्वक अंतर करने’ की चेतावनी दी.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इससे निर्दोष लोगों को अलग-थलग नहीं किया जाना चाहिए, खासकर आतंक का विरोध करने वालों को. ऐसी खबरें हैं कि हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है और आम कश्मीरियों के साथ-साथ आतंकवादियों के घरों को भी ध्वस्त किया गया है. मैं सरकार से अपील करती हूं कि वह अधिकारियों को निर्देश दे कि वे इस बात का ध्यान रखें कि निर्दोष लोगों को इसका खामियाजा न भुगतना पड़े, क्योंकि अलगाव आतंकवादियों के विभाजन और भय के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होता है.’

मालूम हो कि कश्मीर के इतिहास में पर्यटकों पर हुए सबसे घातक हमले के सिलसिले में कम से कम 175 संदिग्धों को आधिकारिक तौर पर हिरासत में लिया गया है.

इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज़्यादातर पर्यटक थे, जबकि एक दर्जन से ज़्यादा लोग घायल भी हुए थे. इस नृशंस हमले की जांच, जिसकी शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने की थी, कथित तौर पर रविवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने हाथ में ले ली.

गौरतलब है कि मकान मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना मकान ढहाए जाने ने सुप्रीम कोर्ट की हाल की टिप्पणियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें कहा गया था कि संविधान के मूल ढांचे के तहत आश्रय का अधिकार एक मौलिक अधिकार है.

उक्त मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जिन प्रभावित अपीलकर्ताओं के मकान ढहाए गए थे, उन्हें आर्थिक मुआवजा देने का भी आदेश दिया था. कोर्ट ने पाया था कि इन मामलों में कारण बताओ नोटिस व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक से नहीं दिए गए थे, बल्कि ध्वस्त किए जाने से पहले केवल उनकी संपत्तियों पर चिपकाए गए थे.

इस बीच, रविवार को सोशल मीडिया पर प्रसारित एक असत्यापित सूची से पता चला कि अधिकारियों ने 20 आतंकवादियों की पहचान की है, जिनके परिवारों के घरों को आने वाले दिनों में ध्वस्त किया जा सकता है.

द वायर इस सूची की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सका है, जिसमें कुछ आतंकवादी शामिल हैं, जो 2018 में वैध वीजा पर पाकिस्तान गए हैं.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर में तनाव बढ़ रहा है, पिछले पांच दिनों में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जमात-ए-इस्लामी के नेताओं और कार्यकर्ताओं तथा आतंकवादियों के संदिग्ध ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं के कई दर्जन घरों पर छापेमारी की है.

इस बीच शनिवार की रात पाकिस्तानी सेना ने कथित तौर पर उत्तरी कश्मीर के उरी और कुपवाड़ा के टुटमारी गली और रामपुर सेक्टरों में नियंत्रण रेखा के पार छोटे हथियारों से बिना उकसावे के गोलीबारी की है.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement