November 19, 2025 11:33 pm

घूस देते- देते कंपनी कंगाल, भारत में कारोबार बंद, निर्मला सीतारमण पर उठे गंभीर सवाल

भारत की आर्थिक विकास की कहानी में एक काला अध्याय जुड़ गया है.. चेन्नई की एक छोटी लॉजिस्टिक्स कंपनी, विनट्रैक इंक ने रिश्वतखोरी और लगातार उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए भारत में अपना आयात-निर्यात कारोबार पूरी तरह बंद कर दिया है.. कंपनी का दावा है कि चेन्नई कस्टम विभाग के अधिकारियों ने उन्हें घूस देने के लिए मजबूर किया.. जिससे वे कंगाल हो गए.. इस मामले ने न सिर्फ व्यापारिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है.. बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी आग लगा दी है.. विपक्ष ने केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है.. और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर सीधे सवाल उठाए जा रहे हैं.. क्या यह एक छोटी कंपनी की कहानी है.. या भारत के व्यापारिक माहौल की कड़वी सच्चाई.. इस मामले पर विस्तार से चर्चा करेंगे…

विनट्रैक इंक की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं लगती.. यह कंपनी 2018 में चेन्नई में स्थापित हुई थी.. संस्थापक और सीईओ प्रॉविन गणेशन एक युवा उद्यमी हैं.. जिन्होंने अमेरिका से प्रेरणा लेकर भारत में लॉजिस्टिक्स का कारोबार शुरू किया.. कंपनी मुख्य रूप से आयात-निर्यात पर फोकस करती थी.. हेल्थ प्रोडक्ट्स और छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स सामान शामिल थे.. और उनका टारगेट था छोटे व्यापारियों को सस्ते दामों पर सामान उपलब्ध कराना..

शुरुआती सालों में सब कुछ ठीक चला.. 2020 में कोविड महामारी के दौरान.. जब हेल्थ प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी.. विनट्रैक ने अच्छा प्रदर्शन किया.. कंपनी ने चेन्नई पोर्ट को अपना मुख्य हब बनाया.. क्योंकि तमिलनाडु भारत का एक बड़ा एक्सपोर्ट हब है.. 2023 तक उनके पास 20 से ज्यादा कर्मचारी थे.. और सालाना टर्नओवर करीब 5 करोड़ रुपये का अनुमान था.. लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब कस्टम क्लियरेंस के दौरान रुकावटें आने लगीं..

प्रॉविन गणेशन ने कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है कि वे हमेशा नियमों का पालन करते थे.. हर शिपमेंट के लिए सही डॉक्यूमेंट्स, जीएसटी रिटर्न और कस्टम ड्यूटी का समय पर भुगतान करते थे.. लेकिन 2025 की शुरुआत से ही चेन्नई कस्टम हाउस के अधिकारी उनके सामान को बिना वजह रोकने लगे.. एक साधारण $7,000 (करीब 5.8 लाख रुपये) की शिपमेंट को क्लियर करने के लिए उन्हें 45 दिनों तक इंतजार करना पड़ा.. और अंत में क्लियरेंस के बदले 2.1 लाख रुपये की ‘अनौपचारिक फीस’ मांग ली गई.. यह रकम शिपमेंट वैल्यू का 36% से ज्यादा थी..

कंपनी के एक्स अकाउंट पर 1 अक्टूबर 2025 को पोस्ट किया गया कि भारत में अब कारोबार करना आसान नहीं, बल्कि जोखिम भरा है.. उनके बायो में अब लिखा है कि एक्सपोज्ड ब्राइबरी @चेन्नई कस्टम्स, फेस्ड रिवेंज.. लॉस्ट बिजनेस.. करप्शन वन दिस राउंड.. वहीं यह पोस्ट वायरल हो गई..

आपको बता दें कि सब कुछ 2025 के जून महीने से शुरू होता है.. विनट्रैक को अमेरिका से एक कंसाइनमेंट आया.. 500 यूनिट पर्सनल मसाजर्स, जिनकी कीमत कुल $7,000 थी.. सामान चेन्नई पोर्ट पर पहुंचा.. लेकिन कस्टम क्लियरेंस में देरी होने लगी.. सामान्यत ऐसा सामान 2-3 दिनों में क्लियर हो जाता है.. लेकिन यहां 10 दिन बीत गए..

शुरुआती सालों में सब कुछ ठीक चला.. 2020 में कोविड महामारी के दौरान.. जब हेल्थ प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी.. विनट्रैक ने अच्छा प्रदर्शन किया.. कंपनी ने चेन्नई पोर्ट को अपना मुख्य हब बनाया.. क्योंकि तमिलनाडु भारत का एक बड़ा एक्सपोर्ट हब है.. 2023 तक उनके पास 20 से ज्यादा कर्मचारी थे.. और सालाना टर्नओवर करीब 5 करोड़ रुपये का अनुमान था.. लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब कस्टम क्लियरेंस के दौरान रुकावटें आने लगीं..

प्रॉविन गणेशन ने कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है कि वे हमेशा नियमों का पालन करते थे.. हर शिपमेंट के लिए सही डॉक्यूमेंट्स, जीएसटी रिटर्न और कस्टम ड्यूटी का समय पर भुगतान करते थे.. लेकिन 2025 की शुरुआत से ही चेन्नई कस्टम हाउस के अधिकारी उनके सामान को बिना वजह रोकने लगे.. एक साधारण $7,000 (करीब 5.8 लाख रुपये) की शिपमेंट को क्लियर करने के लिए उन्हें 45 दिनों तक इंतजार करना पड़ा.. और अंत में क्लियरेंस के बदले 2.1 लाख रुपये की ‘अनौपचारिक फीस’ मांग ली गई.. यह रकम शिपमेंट वैल्यू का 36% से ज्यादा थी..

कंपनी के एक्स अकाउंट पर 1 अक्टूबर 2025 को पोस्ट किया गया कि भारत में अब कारोबार करना आसान नहीं, बल्कि जोखिम भरा है.. उनके बायो में अब लिखा है कि एक्सपोज्ड ब्राइबरी @चेन्नई कस्टम्स, फेस्ड रिवेंज.. लॉस्ट बिजनेस.. करप्शन वन दिस राउंड.. वहीं यह पोस्ट वायरल हो गई..

आपको बता दें कि सब कुछ 2025 के जून महीने से शुरू होता है.. विनट्रैक को अमेरिका से एक कंसाइनमेंट आया.. 500 यूनिट पर्सनल मसाजर्स, जिनकी कीमत कुल $7,000 थी.. सामान चेन्नई पोर्ट पर पहुंचा.. लेकिन कस्टम क्लियरेंस में देरी होने लगी.. सामान्यत ऐसा सामान 2-3 दिनों में क्लियर हो जाता है.. लेकिन यहां 10 दिन बीत गए..

वहीं विनट्रैक ने कई प्रमाण दिए हैं.. सबसे पहले, उनके पास वॉट्सऐप चैट्स और कॉल रिकॉर्डिंग्स हैं.. जहां अधिकारी ब्राइब मांगते दिख रहे हैं.. एक रिकॉर्डिंग में अधिकारी कहते हैं: “सर, यह रूटीन है.. सब यही करते हैं.. कंपनी ने ये ऑडियो क्लिप्स एक्स पर शेयर कीं.. जो अब डिलीट हो चुकी हैं.. लेकिन स्क्रीनशॉट्स वायरल हैं..

सामान्य शिपमेंट 48 घंटों में क्लियर होती है.. लेकिन विनट्रैक की हर शिपमेंट पर 20-45 दिनों का समय लगा.. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम बोर्ड के डेटा से पता चलता है कि चेन्नई पोर्ट पर औसत क्लियरेंस टाइम 3 दिन है.. लेकिन छोटी कंपनियों के लिए यह दोगुना हो जाता है..

कंपनी ने अपना बैलेंस शीट शेयर किया.. जिसमें दिखाया कि 2024 में प्रॉफिट 20% था, लेकिन 2025 में लॉस 40% हो गया.. स्टोरेज चार्जेस अकेले 30 लाख रुपये.. प्रॉविन ने कहा कि हमारे पास कोई ब्लैक मनी नहीं थी.. सब व्हाइट मनी से चला.. लेकिन घूस ने हमें दिवालिया बना दिया..

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2024 रिपोर्ट में भारत का करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 93वां स्थान है.. रिपोर्ट कहती है कि कस्टम्स और पोर्ट्स में 30% से ज्यादा मामलों में अनौपचारिक पेमेंट्स होते हैं.. विनट्रैक का केस इसी का उदाहरण है..

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं.. चेन्नई कस्टम हाउस ने विनट्रैक के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.. उनके आधिकारिक एक्स हैंडल से 2 अक्टूबर को बयान जारी कर कहा कि कंपनी नियम तोड़ रही है.. उनके सामान में हेल्थ सर्टिफिकेशन की कमी थी.. हमने स्टैंडर्ड प्रोसीजर फॉलो किया.. ब्राइबरी का कोई सबूत नहीं..

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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