- बिलासपुर वन वृत्त में भ्रष्टाचार का जंगलराज! का अंत या आने वाला अधिकारी भी करेगा अपनी ही मनमानी?
अब्दुल सलाम क़ादरी-प्रधान संपादक
बिलासपुर। मरवाही वनमंडल एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला बेहद गंभीर है — बिलासपुर के सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक (CCF) प्रभात मिश्रा पर पद का दुरुपयोग करते हुए लेन-देन के जरिए पोस्टिंग कराने का बड़ा आरोप लगा है। करोड़ो के लेन देन करके हो गए रिटायर्ड? ना जांच हुई ना ही eow ने इनके यहां कोई छापा मारा?

यह आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि विभाग के ही रेंजर मान सिंह स्याम ने लगाए हैं। स्याम ने न केवल आरोप लगाया, बल्कि एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक की है, जिसमें कथित तौर पर पैसों के लेनदेन की बातचीत साफ-साफ सुनी जा सकती है।

💰 “कार्यवाही का प्रस्ताव भेजा, फिर पैसे लेकर पोस्टिंग दी!”
मामला मरवाही वनमंडल का है।
जानकारी के अनुसार, CCF प्रभात मिश्रा ने पहले रेंजर मान सिंह स्याम के खिलाफ कार्य में लापरवाही का हवाला देते हुए, प्रधान मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को पत्र क्रमांक /स्था/2570 दिनांक 3 सितंबर 2025 को कार्रवाई हेतु प्रस्ताव भेजा था।
लेकिन कुछ ही दिनों बाद — आरोप है कि 1 लाख 50 हजार रुपये लेकर उसी अधिकारी को मरवाही वनमंडल में उड़नदस्ता प्रभारी के रूप में मड़ना रेंज में “एडवांस पोस्टिंग” दे दी गई।

मान सिंह स्याम के मुताबिक, यह पोस्टिंग प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर के पत्र क्रमांक/प्रसा/रेजर कक्ष/08-3-2512817 दिनांक 8 दिसंबर 2020 में दिए निर्देशों को दरकिनार कर की गई थी।

📞 ऑडियो में हुआ बड़ा खुलासा — “3 लाख में बहाली का सौदा!”
वायरल हुए ऑडियो में यह भी खुलासा हुआ है कि
उप वन क्षेत्रपाल मनीष श्रीवास्तव को निलंबन से बहाल करने के एवज में 3 लाख रुपये का सौदा हुआ।
मनीष श्रीवास्तव को पहले प्लांटेशन कार्य में गंभीर लापरवाही के चलते निलंबित किया गया था।
लेकिन — हैरानी की बात यह है कि
रिटायरमेंट से सिर्फ एक दिन पहले ही CCF प्रभात मिश्रा ने मनीष श्रीवास्तव और निलंबित वनपाल उदय तिवारी — दोनों को बहाल कर दिया!
🌳 24 घंटे में निलंबन वापस, और भ्रष्टाचार पर पर्दा!
यही नहीं, वनरक्षक राकेश राठौर, जिन्हें पौधरोपण में लापरवाही के कारण निलंबित किया गया था,
उनका निलंबन भी सिर्फ 24 घंटे में वापस ले लिया गया।
आज स्थिति यह है कि —
उदय तिवारी क्षेत्र सहायक खोडरी के रूप में वर्दी पहनकर ड्यूटी कर रहे हैं,
जबकि राकेश राठौर साधवानी नर्सरी में निडर होकर कार्यरत हैं।
विभागीय कार्रवाई बस दिखावे की रह गई है और “पैसा ही सब कुछ है” वाली मानसिकता पूरे वन विभाग में घर कर गई है।
⚠️ दागी कर्मियों को बचाने वालों पर उल्टा कार्रवाई!
मरवाही के DFO ने जब दागी कर्मियों के खिलाफ ड्यूटी बदलने का आदेश जारी किया,
तो CCF प्रभात मिश्रा ने उल्टा DFO पर ही नोटिस थमा दिया।
इससे साफ होता है कि विभाग के ऊपरी अधिकारियों का दबाव नीचे तक बना हुआ है और
ईमानदारी से काम करने वालों को ही सजा दी जा रही है।
🏗️ 10 साल से जमे अधिकारी-कर्मचारी, करोड़ों की संपत्ति अर्जित!
स्थानीय सूत्रों का कहना है —
मरवाही वनमंडल अब भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन चुका है।
यहां 10 से भी अधिक वर्षों से अधिकारी-कर्मचारी एक ही पद पर जमे हुए हैं,
और अब करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन चुके हैं।
इनके खिलाफ कई गंभीर शिकायतें और जांचें लंबित हैं,
लेकिन हर जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।
🧾 अब सवाल सरकार से — कार्रवाई होगी या “ठंडे बस्ते” में जाएगा मामला?
अब सबकी नजर इस बात पर है कि —
क्या सेवानिवृत्त CCF प्रभात मिश्रा,
उप वन क्षेत्रपाल मनीष श्रीवास्तव,
वनपाल उदय तिवारी,
रेंजर मान सिंह स्याम,
और वनरक्षक राकेश राठौर —
इन सभी पर विभागीय कार्रवाई होगी?
या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह रफा-दफा कर दिया जाएगा?
🏛️ मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँचा — निष्पक्ष जांच हुई तो “बड़े नाम” आएंगे सामने
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, यह मामला अब मुख्यमंत्री कार्यालय और वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों तक पहुँच चुका है।
अगर जांच निष्पक्ष हुई,
तो न सिर्फ विभाग के बड़े नामों का पर्दाफाश होगा,
बल्कि मरवाही के जंगलों में चल रहा “भ्रष्टाचार का कारोबार” भी खुलकर सामने आएगा।
🌲 जनता पूछ रही है — वन की रक्षा करेंगे या भ्रष्टाचार की?
मरवाही में जनता अब सवाल पूछ रही है —
“जिनके कंधों पर जंगल और पर्यावरण की जिम्मेदारी है,
वे ही अगर पैसों के सौदागर बन जाएं,
तो बचाएगा कौन — जंगल या ईमान?”







