सलाम क़ादरी
मनेंद्रगढ़, छत्तीसगढ़ – मनेन्द्रगढ़ के छिपछिपी गांव में एक घायल महिला के खिलाफ आपातकालीन चिकित्सा सुविधा की अनुपलब्धता ने स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था की गहरी खामी को फिर से उजागर कर दिया है। इस घटना के संदर्भ में यह सवाल भी उठता है कि पिछले पंद्रह से बीस वर्षों में भाजपा सरकार ने अपने वादों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में सुधार लाने में इतनी बार क्यों विफल रही।
स्वास्थ्य व्यवस्था की निम्न गुणवत्ता
इस गाँव में परिजनों को 108 एंबुलेंस सुविधा के लिए कॉल करने के बावजूद लंबी देरी का सामना करना पड़ा। जब एंबुलेंस सेवा उपलब्ध न हो सकी, तो मजबूरन घायल महिला को खाट पर लिटाकर पिकअप वाहन से अस्पताल पहुँचाया गया। इसे लेकर सामने आई रिपोर्टें बताती हैं कि मरीज को 16 घंटे बाद भी उचित इलाज नहीं मिला, जिससे उसकी हालत चिंताजनक हो गई।
भाजपा सरकार की 15–20 सालों से नाकामियाँ
निरंतर उपेक्षा का सिलसिला
पिछले दो दशकों में, जब से भाजपा सरकार ने इन क्षेत्रों में सुधार का दावा किया है, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं देखा जा सका। स्थानीय निवासियों का कहना है कि:
- सड़कों का अभाव: गाँव में कभी पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ, जिससे आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच हमेशा बाधित रही है। एक वरिष्ठ ग्रामीण, रूपलाल पंडो कहते हैं, “मैं पिछले 55 साल से यहाँ रह रहा हूँ, लेकिन भाजपा सरकार ने कभी इस समस्या पर ठोस ध्यान नहीं दिया।”
- पीने के पानी की कमी: ग्रामीणों को साधारण पानी की व्यवस्था के लिए खेतों तक जाना पड़ता है, जबकि सरकारी योजनाओं के तहत इस दिशा में निवेश का वादा किया गया था।
- स्वास्थ्य सेवाओं में ठोस सुधार न होना: भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सुधार हेतु कई योजनाओं का ऐलान किया, परंतु समस्त ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और अन्य जरूरी सुविधाएँ प्रदान करने में लगातार विफल रही है।
वादों का टूटना-सिर्फ जुमला और कुछ नही?
भाजपा सरकार ने चुनावी घोषणाओं और कई बार अधिकारियों द्वारा यह आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाई जाएगी। लेकिन इन वादों को केवल कागज़ पर लिखा गया प्रतीत होता है क्योंकि:
- दीर्घकालीन विफलता: पिछले 15–20 वर्षों में, चाहे कितने भी बजटीय प्रावधान और योजनाएँ घोषित की गई हों, असलियत में स्वास्थ्य क्षेत्र में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
- नियंत्रण और निगरानी की कमी: प्रशासनिक ढांचे और सरकारी योजनाओं में निगरानी के अभाव के कारण, सरकारी वादों को पूरा करने में लगातार असफलता दर्ज की गई है।
विपक्ष का कड़ा तंज और स्थानीय क्रोध
घटना के वायरल होते ही विपक्ष ने इस स्थिति का कटाक्ष करते हुए सरकार की नाकामियों को उकसाया। पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“जब मंत्री के अपने क्षेत्र में ही एंबुलेंस की जगह मरीजों को खाट पर अस्पताल पहुंचाया जा रहा हो, तो यह स्पष्ट है कि भाजपा सरकार ने पिछले 15–20 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में जो सुधार करने का दावा किया था, वह एक दुष्चक्र बनकर रह गया है।”
इन कड़वे शब्दों से स्थानीय जनता का गुस्सा और निराशा झलकती है, जो कई वर्षों से इन मौलिक सुविधाओं के अभाव में जी रही है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को दर्शाती है, बल्कि स्पष्ट करती है कि भाजपा सरकार द्वारा पिछले 15–20 वर्षों में किए गए सुधारात्मक प्रयास असफल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सड़क, पानी और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतर उपेक्षा ने जनता का भरोसा तोड़ दिया है। प्रशासनिक ढांचे में सुधार एवं सख्त निगरानी के बिना, भविष्य में भी इसी तरह की विफलताएँ जारी रहने की आशंका बनी हुई है।
यह रिपोर्ट विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार की गई है, ताकि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की बुरी हालत और भाजपा सरकार की लगातार नाकामियों को समग्र रूप से उजागर किया जा सके।
