पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कृष्णन ने कहा था, “राज्य में फसल के केवल 2 ही प्रमुख मौसम होते हैं. चूंकि अप्रैल और जून के बीच फसल का मौसम नहीं होता, इसलिए इस दौरान ज्यादातर कृषि श्रमिक बेरोजगार रहते हैं. ऐसे में जमीन से जुड़ी झड़पें बढ़ जाती हैं. खासकर युवा, जल्दी पैसे कमाने के लिए सुपारी लेकर हत्याएं भी करते हैं.”
बिहार में हाल के दिनों में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं और इस वजह से राज्य की नीतीश कुमार सरकार लगातार निशाने पर है. सरकार बढ़ते अपराध पर सफाई देने को भी मजबूर हो रही है. इस बीच राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) कुंदन कृष्णन ने बिहार में अपराध की घटनाओं में हुई वृद्धि को फसली मौसम से जोड़ने वाली अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली. उन्होंने कहा कि हमारे अन्नदाता किसानों का अपराध से किसी तरह का कोई लेना-देना नहीं है.”
एडीजी (पुलिस मुख्यालय) कृष्णन ने कल शनिवार को जारी एक वीडियो संदेश के जरिए हा कि उनके मन में खेती से जुड़े लोगों के प्रति बहुत सम्मान है. उन्होंने यह भी कहा कि यह विवाद उनकी टिप्पणी को तोड़ मरोड़कर पेश किए जाने की वजह से हुआ है.
साल 1994 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी कुंदन कृष्णन ने किसान भाइयों को नमस्कार करते हुए साथ अपनी सफाई दी और कहा, “हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान मेरे बयान के एक हिस्से को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. मेरा यह कहने का इरादा नहीं था कि हमारे अन्नदाता किसानों का अपराध से किसी तरह का कोई लेना-देना है.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं किसानों का बहुत सम्मान करता हूं, मेरे पूर्वज भी खेती के व्यवसाय से जुड़े रहे हैं. मैं अपनी जड़ों से गहरा जुड़ाव रखता हूं, जिसका एक हिस्सा कृषक समुदाय भी है. फिर भी, यदि मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो इसके लिए मैं लोगों से क्षमा चाहता हूं.”
बिहार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कृष्णन ने इस हफ्ते की शुरुआत में हाल के कुछ सालों के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा था, “बिहार में फसल के केवल 2 ही प्रमुख मौसम होते हैं. चूंकि अप्रैल और जून के बीच फसल का मौसम नहीं होता, इसलिए इस दौरान ज्यादातर कृषि श्रमिक बेरोजगार रहते हैं. ऐसे में जमीन से जुड़ी झड़पें बढ़ जाती हैं. उनमें से कुछ, खासकर युवा, जल्दी पैसे कमाने के लिए सुपारी लेकर हत्याएं भी करते हैं.”
इस बयान के बाद बिहार में सियासी पारा हाई हो गया. विपक्षी दलों की ओर से इस पर हमला तेज कर दिया गया. विपक्ष ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और यह आरोप लगाया कि नीतीश कुमार सरकार अपराध पर नियंत्रण रखने में अपनी नाकामी के लिए बहाने बनाने की कोशिश में लगी है.
इस बीच, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने राज्य के मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को सत्ता में रहते हुए उसके खराब रिकॉर्ड की भी याद दिलाई, साथ ही कुंदन कृष्णन पर भी निशाना साधा.
चिराग पासवान ने कहा, “जो लोग हाल ही में एक प्राइवेट अस्पताल में हुई हत्या (गैंगस्टर चंदन मिश्रा मर्डर) पर हो हल्ला मचा रहे हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि 1998 में, उनकी ही सरकार के एक मंत्री की सरकारी अस्पताल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जहां उनका इलाज किया जा रहा था.” पटना के अस्पताल में चंदन मिश्रा की हत्या के मामले में कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही बरतने के आरोप में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.
हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान तत्कालीन राबड़ी देवी की अगुवाई वाली राज्य सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद की हत्या का जिक्र कर रहे थे. उनका यह बयान, एक मर्डर केस के दोषी चंदन की हत्या के बाद नीतीश कुमार सरकार पर हो रहे हमलों के बीच आया. वह चिकित्सकीय वजहों से पैरोल पर था. उन्होंने कहा कि हालांकि एडीजीपी की टिप्पणी निंदनीय है. किसानों पर दोष मढ़ने की कोशिश बस बचाव की एक कोशिश है.
