
छत्तीसगढ़ के हसदेव के जंगलों में कोयला खनन परियोजना के कारण कुल 3,68,217 पेड़ प्रभावित होंगे. यह जानकारी पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 21 जुलाई को लोकसभा में दी. हसदेव के जंगल मध्य भारत में घने जंगलों के सबसे बड़े हिस्सों में से एक हैं, जो 1.70 लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसके नीचे 22 कोयला ब्लॉक हैं.
मंत्री ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (एमएल) लिबरेशन के सांसद राजा राम सिंह के सवाल के लिखित जवाब में पेड़ों की कटाई की जानकारी दी. सांसद ने पूछा था कि क्या सरकार को पता है कि अदाणी एंटरप्राइजेज परियोजना के लिए 2 लाख से ज्यादा पेड़ काटे गए हैं. उन्होंने पेड़ों की कटाई का विवरण मांगा और यह भी पूछा कि क्या स्थानीय विरोध, वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत आदिवासी अधिकारों के दावों और क्षेत्र की पारिस्थितिक संवेदनशीलता के बावजूद पर्यावरणीय मंजूरी दी गई थी.
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि परियोजना विस्तार के लिए दो बार अनुमति दी गई थी. उन्होंने राज्य सरकार के वन भूमि प्रस्ताव का हवाला दिया और कहा कि 3,68,217 पेड़ प्रभावित होंगे. यह परियोजना क्षेत्र की पारिस्थितिकी और स्थानीय आदिवासी समुदायों के जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल देगी।
इतने पेड़ो को दुबारा उगाने में लगेंगे लगभग 30 से 50 साल?
