November 19, 2025 11:34 pm

कोल इंडिया में नई भर्ती ठप, माइनिंग इंजीनियरों का भविष्य अंधकारमय — मजदूर यूनियनों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

अब्दुल सलाम क़ादरी

देश की सबसे बड़ी सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) में पिछले कई वर्षों से नियमित भर्ती बंद होने के कारण माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हजारों युवाओं का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा है। एक ओर सरकार कोल उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के तहत ऊर्जा सुरक्षा की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर कोल इंडिया की विभिन्न सहायक कंपनियों में नई भर्ती न होने से युवाओं के रोजगार के अवसर समाप्त होते जा रहे हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कोल इंडिया में पिछले कुछ वर्षों से नए माइनिंग इंजीनियर, ओवरमैन, सर्वेयर, क्लर्क और तकनीकी पदों पर भर्ती लगभग ठप है। सेवानिवृत्ति के चलते कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है, लेकिन रिक्त पदों को भरने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।

माइनिंग इंजीनियरिंग के छात्र, जिन्होंने देशभर के तकनीकी संस्थानों से लाखों रुपये खर्च कर डिग्री प्राप्त की है, अब रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कई छात्र तो निजी कंपनियों में मामूली वेतन पर काम कर रहे हैं, जबकि सरकारी क्षेत्र में उनकी योग्यता के अनुरूप अवसर बंद पड़े हैं।

यूनियनों पर सवाल –
कोल इंडिया में कार्यरत समस्त मजदूर यूनियनों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। कर्मचारी हितों की रक्षा के नाम पर सक्रिय रहने वाली ये यूनियनें, नई भर्ती की मांग को लेकर अब तक खामोश हैं।
मजदूर संगठनों से यह पूछा जा रहा है कि –

  • क्या इनका दायित्व केवल वेतन समझौतों और बोनस की सीमाओं तक सीमित रह गया है?
  • क्या इन यूनियनों का यह कर्तव्य नहीं बनता कि वे सरकार और प्रबंधन पर दबाव बनाएं ताकि भर्ती प्रक्रिया सुचारू रूप से शुरू की जा सके?

कर्मचारी संगठनों के कुछ पूर्व पदाधिकारियों का कहना है कि यदि यूनियनें इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज उठाएं, तो केंद्र सरकार को बाध्य किया जा सकता है कि कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों — जैसे SECL, WCL, NCL, MCL, BCCL, ECL, CCL आदि — में नियमित भर्ती पुनः शुरू की जाए।

युवा वर्ग में आक्रोश –
बेरोजगार माइनिंग इंजीनियरों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि “कोल इंडिया में भर्ती बंद होना केवल एक नीति की विफलता नहीं, बल्कि माइनिंग सेक्टर के भविष्य पर कुठाराघात है।”

यदि सरकार और कोल इंडिया प्रबंधन ने जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की, तो आने वाले वर्षों में अनुभवी तकनीकी जनशक्ति की भारी कमी से कोल उत्पादन और खनन सुरक्षा दोनों पर असर पड़ सकता है।
अब यह देखना होगा कि मजदूर यूनियनें और छात्र संगठन मिलकर युवाओं के रोजगार अधिकार के लिए एकजुट आवाज उठाते हैं या नहीं।

अगली खबर -प्राइवेट कम्पनियों को सौंपी जा रही है कोल इंडिया की माइंस से बेरोजगारी का स्तर चरम पर?…

 

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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