November 20, 2025 12:50 am

छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट विभाग में अकाउंट नंबर की गोपनीयता के नाम पर करोड़ों का घोटाला! आरटीआई जानकारी न देने से बढ़ रहा भ्रष्टाचार, फर्जी खातों में जा रहा मजदूरों का पैसा?

अब्दुल सलाम क़ादरी-प्रधान संपादक

(खबर 30 दिन न्यूज नेटवर्क) रायपुर। विशेष रिपोर्ट।

छत्तीसगढ़ के वन विभाग में भ्रष्टाचार का एक बड़ा जाल लगातार पनपता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार विभाग में धारा 11 और धारा 8(1)(जे) का हवाला देकर करोड़ों रुपए के घोटाले किए जा रहे हैं। अकाउंट नंबर की गोपनीयता की आड़ में अफसर न केवल आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी देने से बच रहे हैं, बल्कि फर्जी खातों के जरिए सरकारी धन की हेराफेरी का खेल भी खुलेआम जारी है।

धारा 11 और 8(1)(जे) का हो रहा गलत इस्तेमाल

जानकारी के अनुसार, फॉरेस्ट विभाग के कई मंडलों में मजदूरों को किए गए भुगतान, खरीदी-बिक्री और निर्माण कार्यों से जुड़ी जानकारी जब आरटीआई के तहत मांगी जाती है, तो अधिकारी धारा 11 और 8(1)(जे) का हवाला देकर सूचना देने से इनकार कर देते हैं।
इन धाराओं का उद्देश्य व्यक्तिगत गोपनीयता की रक्षा करना है, लेकिन विभाग के अफसर इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसके कारण सार्वजनिक धन के उपयोग और खर्च का कोई पारदर्शी हिसाब जनता के सामने नहीं आ पाता।

फर्जी खातों में जा रहा मजदूरों का पैसा

ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे वन विकास और तालाब निर्माण जैसे कार्यों में मजदूरों के नाम पर भुगतान दिखाया जा रहा है, लेकिन वास्तविक मजदूरों को पैसे नहीं मिल रहे।
सूत्रों का दावा है कि कई मामलों में मजदूरों की सूची ही उपलब्ध नहीं कराई जाती, और जिन खातों में राशि ट्रांसफर की जाती है, वे फर्जी या अधिकारियों से जुड़े लोगों के होते हैं। रकम ट्रांसफर होने के बाद उसे वापस निकाला जाता है।

आरटीआई में दस्तावेज न देने से करप्शन को बढ़ावा

जब भी किसी आरटीआई कार्यकर्ता या पत्रकार ने भुगतान से जुड़ी जानकारी मांगी, विभाग यह कहते हुए टाल देता है कि “अकाउंट नंबर गोपनीय जानकारी है”।
इस कारण करोड़ों की सरकारी राशि के इस्तेमाल की कोई निगरानी नहीं हो पाती और भ्रष्टाचार को खुली छूट मिल जाती है।

राज्य सूचना आयोग और हाईकोर्ट को भेजा गया पत्र

मामले की गंभीरता को देखते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने राज्य सूचना आयोग और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है। पत्र में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि विभागीय अधिकारी अकाउंट नंबर की गोपनीयता का हवाला देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

नकद भुगतान के समय कम थे घोटाले

जानकार बताते हैं कि पहले जब मजदूरों को मजदूरी नगद में दी जाती थी, तब इतनी बड़ी गड़बड़ियां नहीं होती थीं। डिजिटल भुगतान प्रणाली लागू होने के बाद पारदर्शिता के बजाय गोपनीयता के नाम पर भ्र्ष्टाचार बढ़ गया है।

सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग

आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों का कहना है कि अगर जल्द ही सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो आरटीआई अधिनियम का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।
जरूरत है कि सरकार अकाउंट नंबर की गोपनीयता के दुरुपयोग पर रोक लगाए और मजदूरों की भुगतान सूची सार्वजनिक करे, ताकि असली लाभार्थियों तक राशि पहुंच सके।

छत्तीसगढ़ के फॉरेस्ट विभाग में पारदर्शिता की कमी और आरटीआई की अनदेखी से भ्रष्टाचार का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। यदि राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई नहीं की, तो यह विभाग जनहित की बजाय “घोटाला मशीन” बनकर रह जाएगा।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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