- जीएम, सब एरिया, से लेकर कांटा प्रभारी तक मिलीभगत के आरोप, सीबीआई और विजिलेंस की चुप्पी पर सवाल?
बिलासपुर/हसदेव एरिया। अब्दुल सलाम कादरी
हसदेव एरिया के हल्दीबाड़ी खदान में “रोड-सेल” के नाम पर चल रही कथित वसूली ने अब खदान प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि जीएम, रोड सेल अधिकारी, कांटा घर इंचार्ज और सब एरिया मैनेजर झगराखंड की मिलीभगत से ट्रकों से प्रति टन वसूली का खेल महीनों से जारी है।

सूत्रों के मुताबिक, वी एस स्पंज, अंजनी स्टील, ओडिशा-रायपुर लाइन, और मध्यप्रदेश के केजीएस मैहर प्लांट जैसे उद्योगपतियों को कोयला सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। बदले में जीएम सेल्स ऑफिसर और कांटा प्रभारी को मोटी रकम दी जाती है। बताया जा रहा है कि “लेवरो के जरिए पत्थर छाँटने” के नाम पर 130 से 150 रुपये प्रति टन तक वसूली की जाती है और यह राशि बाद में बँटवारे में ऊपर तक पहुँचती है।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह पूरा तंत्र बेहद संगठित तरीके से चल रहा है — ट्रक मालिक या चालक आवाज उठाने से डरते हैं क्योंकि विरोध करने पर लोडिंग रोक दी जाती है या वाहन को खदान परिसर से बाहर कर दिया जाता है।
मामले से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया है कि रोड-सेल की आड़ में कोयले की अवैध बिक्री का भी नेटवर्क सक्रिय है। खदान से कोयला काटकर बाहर भेजा जाता है और बाद में निजी ट्रकों के माध्यम से ऊँचे दामों पर बेचा जाता है। इसमें कुछ ठेकेदार और स्थानीय दलाल भी शामिल बताए जाते हैं।

खदान में तैनात कांटा घर प्रभारी और रोड सेल अधिकारी पर यह आरोप है कि वे जानबूझकर ट्रकों का वास्तविक वजन और लोडिंग रिकॉर्ड छिपाते हैं, जिससे कंपनी को करोड़ों का नुकसान पहुँचाया जा रहा है। वहीं, हल्दीबाड़ी खदान प्रबंधन और सब एरिया मैनेजर झगराखंड पर पूरे तंत्र को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि जांच की जाए तो यह वसूली घोटाला करोड़ों का निकल सकता है।
लोगों ने सीबीआई और एसईसीएल विजिलेंस बिलासपुर से मांग की है कि वे तत्काल संज्ञान लेकर खदान के रिकार्ड, वजन पर्ची, और बैंक लेन-देन की जांच करें।
- अब बड़ा सवाल यह है — जब यह सारा खेल लंबे समय से चल रहा है तो एसईसीएल प्रबंधन और विजिलेंस बिलासपुर खामोश क्यों है?
क्या उच्च अधिकारी इस वसूली के बारे में अनजान हैं या फिर जानबूझकर आँख मूँद ली गई है?

जब तक सीबीआई या ईडी जैसी एजेंसियाँ इस पूरे नेटवर्क की तहकीकात नहीं करतीं, तब तक हसदेव एरिया में “रोड-सेल” के नाम पर चल रहा यह अवैध कारोबार यूँ ही कंपनी और सरकार को चूना लगाता रहेगा।
इसी कड़ी में अगला अपडेट जल्द…..








