December 22, 2024 12:22 pm

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बिहार-पप्पू यादव की पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय, कई नेताओं ने ली सदस्यता

बिहार में महागठबंधन में सीट बंटवारे का मामला राजद और कांग्रेस के बीच फंसा हुआ है और इसी वजह से सीट बंटवारे का ऐलान नहीं हो सका है. कांग्रेस नेताओं ने राजद के उस कदम पर आपत्ति जताई है जिसमें लालू यादव की पार्टी ने सहयोगियों से सलाह किए बिना पहले चरण के लिए चार लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है।

राजद ने औरंगाबाद से अभय कुशवाहा, गया सुरक्षित सीट से सर्वजीत कुमार, नवादा से श्रवण कुशवाह और जमुई से अर्चना रविदास को टिकट दिया है।

राजद के इस कदम का विरोध
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राजद के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए इसे गठबंधन धर्म के खिलाफ बताया है. पूर्व राज्यपाल और औरंगाबाद से तथाकथित महागठबंधन प्रत्याशी के दावेदार निखिल कुमार ने कहा है कि राजद ने जो उम्मीदवार खड़ा किया है, उसमें जीतने की क्षमता नहीं है. 82 वर्षीय कुमार ने राजद उम्मीदवार को बाहरी व्यक्ति भी बताया. पहले चर्चा थी कि इस सीट से 2019 में दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के निखिल कुमार या राजद के उपेंद्र प्रसाद में से किसी एक को टिकट मिलेगा. तब उपेन्द्र प्रसाद ने हम के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.

राजद की बातों से नाराज हुए पप्पू!
पप्पू यादव को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच भी दरार है. हाल ही में पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ ​​पप्पू यादव ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया है. उन्होंने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया. इस पर राजद ने नाराजगी जताई है. उनका लालू परिवार से खट्टा-मीठा रिश्ता रहा है. राजद के सूत्र बता रहे हैं कि राजद पप्पू यादव के लिए पूर्णिया या मधेपुरा सीट नहीं छोड़ेगा. पप्पू यादव मधेपुरा से दो बार (2004 उपचुनाव और 2014) राजद सांसद रह चुके हैं. यादव पूर्णिया से तीन बार (1991 में निर्दलीय, 1996 में एसपी के रूप में, 1999 में फिर निर्दलीय के रूप में) चुनाव जीत चुके हैं। 2004 और 2009 में वहां उदय सिंह बीजेपी के टिकट पर जीते थे, जो अब कांग्रेस में हैं और 2019 में वहां से चुनाव लड़े. पप्पू यादव कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन के पति हैं और बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्र में उनका अच्छा खासा प्रभाव है। राजद में उत्तराधिकार के सवाल पर लगातार लालू प्रसाद पर निशाना साधने के बाद उन्हें 2015 में राजद से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले जन अधिकार पार्टी का गठन किया लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई. कुछ दिन पहले तक चर्चा थी कि पप्पू फिर से राजद में शामिल होंगे लेकिन लालू परिवार के इनकार के बाद वह कांग्रेस में चले गये.

कन्हैया को पहले ही रेड कार्ड मिल चुका है
राजद पहले ही कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार को रेड कार्ड दिखा चुकी है. राजद ने सीपीआई को बेगुसराय सीट आवंटित की है. राजद के इस फैसले से राजद और कांग्रेस के रिश्ते में भी खटास आ गई है. सूत्रों के मुताबिक, सीपीआई महासचिव डी राजा ने लालू प्रसाद और नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की और बेगुसराय सीट की मांग की. इसके बाद राजद ने यह सीट सीपीआई को दे दी है. सीपीआई ने वहां से अवधेश राय को अपना उम्मीदवार बनाया है.

सीट आवंटन में कठिनाई
राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी विवाद चल रहा है. राजद सूत्रों के मुताबिक, 2019 के फॉर्मूले के तहत लालू यादव कांग्रेस को पांच से छह सीटें देने को तैयार हैं, जबकि कांग्रेस कम से कम नौ सीटों पर अड़ी हुई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद ने 19, कांग्रेस ने 9, उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 5, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 3, मुकेश सहनी की वीआईपी ने 3 और सीपीआईएमएल ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था. राज्य की कुल 40 सीटों में से एकमात्र किशनगंज सीट कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने जीती थी. बाकी 39 सीटों पर एनडी का कब्जा हो गया. कांग्रेस ने किशनगंज के अलावा वाल्मिकी नगर, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, समस्तीपुर, पटना साहिब, मुंगेर और सासाराम से चुनाव लड़ा था.

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Author: Khabar 30 Din

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