बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने एक बयान जारी कर चुनाव आयोग से अपील की कि वह बिहार में हो रही हिंसक घटनाओं और खून-खराबे का तुरंत संज्ञान लें और सख्त कदम उठाएं।
मायावती ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए जरूरी है कि सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, धनबल, बाहुबल और अपराध बल पर तत्काल रोक लगे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर समय रहते इन समस्याओं पर लगाम नहीं लगाई गई, तो निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव कराना मुश्किल हो जाएगा।
दलितों, पिछड़ों और गरीबों पर हो रहे जुल्म को बताया पुराना मुद्दा
बसपा प्रमुख ने कहा कि बिहार में दलित, अति पिछड़े, गरीब और शोषित वर्ग, खासकर महिलाएं, लंबे समय से अत्याचार और भेदभाव का सामना कर रहे हैं। उनके हक और अधिकारों को लगातार कुचला जा रहा है। यह न सिर्फ सामाजिक चिंता का विषय है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खतरा है।
गोपाल खेमका की हत्या पर उठाए सवाल
मायावती ने पटना में हुई भाजपा नेता और प्रमुख उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या को राज्य की कानून-व्यवस्था की बदहाली का बड़ा उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि जब एक बड़े कारोबारी और सत्ताधारी दल के नेता की राजधानी में इस तरह से हत्या हो सकती है, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा अगर चुनाव आयोग अभी से सख्ती नहीं बरतेगा, तो शांतिपूर्ण चुनाव कराना कठिन हो जाएगा।
बसपा अकेले लड़ेगी चुनाव
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी से गठबंधन किए बिना अपने दम पर मैदान में उतर रही है। मायावती ने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी राज्य के गरीबों, पिछड़ों और दलितों की आवाज बनेगी और बिना किसी समझौते के आगे बढ़ेगी।
