नई दिल्ली: बिहार के बेगूसराय ज़िले में स्वतंत्र पत्रकार अजीत अंजुम के ख़िलाफ़ बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न) प्रक्रिया से संबंधित उनकी हालिया रिपोर्टिंग को लेकर एक एफआईआर दर्ज की गई है.
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अंजुम ने चल रही प्रक्रिया के बारे में गलत जानकारी फैलाई.
यह एफआईआर 13 जुलाई को बलिया थाने में उनके यूट्यूब चैनल पर 12 जुलाई को पोस्ट किए गए एक वीडियो के संबंध में दर्ज की गई थी, जिसमें अंजुम ने साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया था.
वीडियो में दिखाया गया कि बलिया में एसआईआर प्रक्रिया किस प्रकार अपनाई जा रही है और दावा किया गया कि चुनाव आयोग द्वारा आवश्यक दस्तावेजों या फोटोग्राफ के बिना ही कई मतदाता फार्म भरे और अपलोड किए जा रहे हैं.
ज़िला प्रशासन ने एक्स पर जारी एक बयान में इन दावों को खारिज करते हुए इन्हें ‘निराधार’ और ‘भ्रामक’ बताया. साथ ही आरोप लगाया कि वीडियो का उद्देश्य ‘जनभावनाओं को भड़काना’ था.
न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार, बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) मोहम्मद अंसारुलहक की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि अजीत अंजुम और उनके सहयोगियों ने उनसे उस समय मुलाकात की जब वह बीएलओ ऐप का उपयोग करके डेटा अपलोड कर रहे थे और क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं के बारे में सवाल पूछने लगे.
इससे पहले अजीत अंजुम ने एक्स पर पोस्ट किया था कि उन्हें उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है. हालांकि, बाद में इसकी पुष्टि हो गई.
उन्होंने कहा, ‘मुझे बिहार के बेगूसराय में मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की जानकारी मिल रही है. मुझे अभी तक एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है. मैं इंतज़ार कर रहा हूं.’
उन्होंने संबंधित वीडियो के बारे में भी लिखा और आरोप लगाया कि उन्हें वीडियो हटाने के लिए मजबूर किया गया था, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘दो दिन पहले मैंने बलिया ब्लॉक में ‘एसआईआर’ के लिए भरे जा रहे फॉर्म में अनियमितताओं की सूचना दी थी. स्थानीय बीडीओ और एसडीओ ने मुझे बुलाकर वीडियो डिलीट करने को कहा. मैंने उनकी बात नहीं मानी. नतीजा सामने है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘बिहार में चुनाव आयोग के तौर-तरीकों पर सैकड़ों सवाल हैं. उन सवालों के जवाब देने की बजाय, अब पत्रकारों को डराने-धमकाने की कोशिश शुरू हो गई है. इस वीडियो में मैंने अपना पक्ष रखा है. मैं डरूंगा नहीं. मैं सिर्फ़ सच दिखाऊंगा. कमियों पर रिपोर्ट करूंगा.
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं एफआईआर के बारे में आधिकारिक जानकारी का इंतज़ार कर रहा हूं. मैं कल रात ही किशनगंज से बेगूसराय आ गया हूं ताकि प्रशासन को मुझे ढूंढ़ने में ज़्यादा परेशानी न हो.’
डिजिपब ने एफआईआर की निंदा की
इस बीच, डिजिटल मीडिया संगठनों और स्वतंत्र पत्रकारों के गठबंधन, डिजिपब न्यूज़ इंडिया फ़ाउंडेशन ने पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर की कड़ी निंदा की है और इसे स्वतंत्र पत्रकारिता पर ‘सीधा हमला’ बताया है.
पत्रकारों के संगठन ने एक बयान में कहा, ‘डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन स्वतंत्र वरिष्ठ पत्रकार और यूट्यूबर अजीत अंजुम के खिलाफ बिहार के बेगूसराय में दर्ज एफआईआर की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि एफआईआर को तुरंत वापस लिया जाए.’
बयान में कहा गया है, ‘यह एफआईआर सिर्फ़ एक पत्रकार पर हमला नहीं है, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता और जनता के सच जानने के अधिकार पर सीधा हमला है. बेगूसराय में एसआईआर प्रक्रिया पर ज़मीनी रिपोर्टिंग करते हुए, अजीत अंजुम ने वही बातें उजागर कीं जो ज़मीनी स्तर पर मौजूद लोगों ने उनसे साझा कीं. उनके अनुसार, वह एसआईआर से जुड़े तथ्यों को सामने लाने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि, ऐसा लगता है कि इस ईमानदार कोशिश से सरकार और प्रशासन नाराज़ हो गया है.’
इसमें एफआईआर से पहले बेगूसराय जिला प्रशासन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति की ओर भी इशारा किया गया, जिसमें अंजुम की रिपोर्टिंग को ‘भ्रामक’ बताया गया.
बयान में कहा, ‘ये अस्पष्ट आरोप न तो विश्वसनीय हैं और न ही एफआईआर के लिए पर्याप्त आधार हैं. या तो अधिकारियों को पत्रकारों के प्रश्नों का सटीक और तथ्यात्मक जानकारी देना सीखना चाहिए, या फिर जब पत्रकार स्वयं जानकारी प्राप्त करते हैं और उस लोकतांत्रिक तंत्र से कोई सहयोग नहीं मिलता जिसे पारदर्शिता प्रदान करनी चाहिए, लेकिन शायद ही कभी करता है, तो उन्हें पीछे हट जाना चाहिए.’
डिजीपब ने कहा, ‘अजीत अंजुम ने बिहार में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर भी चिंता जताई थी—ऐसा काम जो एक पत्रकार की ज़िम्मेदारी के दायरे में आता है, कोई आपराधिक काम नहीं. उन जायज़ सवालों का जवाब देने के बजाय, चुनाव आयोग ने इस एफआईआर के ज़रिए न सिर्फ़ उन्हें, बल्कि ज़मीनी स्तर पर रिपोर्टिंग करने की हिम्मत रखने वाले सभी स्वतंत्र पत्रकारों को डराने की कोशिश की है.’
संस्था ने कहा कि यह कार्रवाई ‘प्रेस को चुप कराने और असुविधाजनक सच्चाइयों को दबाने का एक व्यवस्थित और जानबूझकर किया गया प्रयास’ प्रतीत होता है और कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है और लोकतांत्रिक मूल्यों तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के लिए खतरा है.
डिजीपब ने कहा, ‘हमारे विचार से यह एफआईआर संस्थागत विफलताओं को छिपाने के अलावा और कुछ नहीं है, और हम इसका कड़ा विरोध करते हैं. हम अजीत अंजुम और हर उस पत्रकार के साथ खड़े हैं जो सच बोलने का साहस रखता है.’
