नई दिल्ली: जुलाई की वर्षा पर जलवायु संबंधी परिप्रेक्ष्य देते हुए और अगस्त में सामान्य वर्षा की करते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को कहा कि इस साल जुलाई के दौरान भारत में अत्यधिक भारी बारिश की घटनाओं की संख्या पांच साल पहले जुलाई की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमडी ने कहा कि अगस्त के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक होगी, जिसमें अधिकतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.
इसमें कहा गया है कि पिछले महीने 193 मौसम रिकॉर्डिंग स्टेशनों ने अत्यधिक भारी वर्षा दर्ज की थी- जिसे 24 घंटे की अवधि में 204.5 मिमी से अधिक के रूप में परिभाषित किया गया था – जबकि 2020 में 90 स्टेशनों और 2021 में 121 स्टेशनों ने अत्यधिक भारी वर्षा दर्ज की थी. पिछले साल 205 स्टेशनों ने अत्यधिक भारी बारिश दर्ज की थी.
जुलाई में बहुत भारी वर्षा (115.6 मिमी और 204.5 मिमी के बीच) दर्ज करने वाले स्टेशनों की संख्या भी बढ़ी है – 2020 में 447 स्टेशन, 2021 में 638, 2022 में 723 और 2023 में 1,113 से बढ़कर इस साल 1,030 हो गई है.
जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में देखी गई वृद्धि वैश्विक तापमान वृद्धि के अनुरूप ही है. लेकिन पिछले पांच वर्षों में देखे गए ये परिवर्तन इस प्रवृत्ति का हिस्सा हैं या नहीं, इसके लिए और अध्ययन की आवश्यकता होगी.
आईएमडी ने एक प्रेजेंटेशन में कहा कि 1 जून को मानसून सीजन की शुरुआत के बाद से पूरे भारत में सामान्य बारिश हुई है- लंबी अवधि के औसत का 1.8 प्रतिशत है. हालांकि, क्षेत्रों में व्यापक असमानताएं हैं – मध्य भारत में औसत से 16 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, दक्षिणी प्रायद्वीप में औसत से 26 प्रतिशत अधिक, लेकिन उत्तर-पश्चिम, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में पिछले दो महीनों में औसत वर्षा से लगभग 18 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
आईएमडी ने इस साल की शुरुआत में भविष्यवाणी की थी कि पूरे भारत में चार महीने के मौसम में मानसून लंबी अवधि के औसत का 106 प्रतिशत होगा, जिसे सामान्य से अधिक माना जाता है. एजेंसी ने यह भी भविष्यवाणी की थी कि देश के तथाकथित ‘मानसून कोर ज़ोन’, जो देश के अधिकांश वर्षा सिंचित क्षेत्रों को कवर करता है, में भी 106 प्रतिशत बारिश होने की 57 प्रतिशत संभावना है.
देश में होने वाली सालाना बारिश में मानसून की बारिश का हिस्सा करीब 75 प्रतिशत होता है और यह देश की कृषि, अर्थव्यवस्था और जल संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण है. इस मौसम में चावल, मक्का, बाजरा, तिलहन, दालें, गन्ना और कपास प्रमुख फसलें हैं.
जुलाई के दौरान पूरे भारत में बारिश लंबी अवधि के औसत से 9 प्रतिशत अधिक रही. आईएमडी के एक अधिकारी ने बताया कि प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के पानी के तापमान की सीमाओं और भारत के आसपास के समुद्रों पर तीन कम दबाव क्षेत्रों के निर्माण सहित कई मौसमी स्थितियों ने जुलाई में भरपूर बारिश में योगदान दिया.
मुंबई, पुणे, सूरत, पणजी और केरल उन स्थानों में शामिल हैं जहां पिछले महीने अत्यधिक भारी बारिश हुई.
भारी बारिश का असर
हालांकि, अत्यधिक बारिश देश के कई हिस्सों को भरी पड़ी है और दक्षिण से उत्तर तक के नागरिक प्रभावित हैं.
केरल के वायनाड में सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात हुए भूस्खलन से इलाके में भारी नुकसान हुआ है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, अभी तक मरने वालों की संख्या 308 हो गई है. कई इलाकों में बचाव अभियान जारी है.
इकोनॉमिक टॉइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री जॉर्ज ने कहा कि अब तक 195 शव और 113 शवों के अंग बरामद किए जा चुके हैं.
वहीं, केरल के एडीजीपी एमआर अजित कुमार ने कहा कि विनाशकारी भूस्खलन में करीब 300 लोग अभी भी लापता हैं. लेकिन राजस्व विभाग द्वारा विवरण एकत्र किए जाने के बाद ही अंतिम संख्या का पता लगाया जा सकता है.
भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बचावकर्मियों को घरों और इमारतों के मलबे में जीवित बचे लोगों या शवों की तलाश करते समय जलभराव वाली मिट्टी के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. आज आपदा का चौथा दिन है.
वहीं, हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी और कुल्लू में बादल फटने की घटना में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई है और 50 लोग लापता हैं.
उत्तराखंड में भारी बारिश ने अब तक 13 लोगों की जान ले ली है और कई घर बह गए हैं. टिहरी में तीन और देहरादून में दो लोगों की मौत हो गई. वहीं, राज्य में एक अन्य घटना में दो कांवड़ यात्री डूब गए.
पहाड़ी राज्य में मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन और नदियों के उफान पर होने से सैकड़ों लोग फंस गए हैं.