June 21, 2025 10:18 am

बीजेपी के लिए महाराष्ट्र मॉडल फिलहाल बिहार विधानसभा में लागू करना असंभव

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी की राजनीति की नई रणनीति पर चर्चा शुरू हुई है। दरअसल देवेंद्र फडणवीस को फिर मुख्यमंत्री बनाने और एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम के रूप में स्थापित करने के फैसले ने बिहार की सियासत में नई हलचल मचा दी है। अब सवाल उठा रहा हैं कि क्या बिहार में भी ऐसा हो सकता है, जहां नीतीश कुमार को फिलहाल मुख्यमंत्री बनाए रखा जाए, लेकिन चुनाव बाद समीकरण बदल दिए जाएं।
इस बारे में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बिहार चुनाव और नीतीश के नेतृत्व को लेकर सवाल किया गया, तब उन्होंने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि एनडीए में कोई दरार नहीं है और इस मुद्दे पर फैसला पार्टी और सहयोगी दलों के बीच चर्चा के बाद होगा। हालांकि, उनके बयान ने स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी नीतीश कुमार के साथ अपने रिश्ते को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।
नीतीश का कद और एकनाथ शिंदे की भूमिका में बड़ा अंतर है। शिंदे महाराष्ट्र में सीएम बनने से पहले प्रदेश स्तर के नेता ही माने जाते थे, जबकि नीतीश राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं और यहां तक कि पीएम पद के दावेदार के रूप में भी चर्चा में रहे हैं। उनके प्रयासों से विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन आकार ले सका था। हालांकि, गठबंधन छोड़ने के बाद से विपक्ष की दिशा कमजोर पड़ी है, लेकिन बिहार में उनकी लोकप्रियता और वोट बैंक अब भी बरकरार है।
वहीं महाराष्ट्र की तुलना में बिहार की राजनीति अधिक जटिल है। यहां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसा मजबूत विपक्ष वर्तमान में मौजूद है, जिसके विधायकों की संख्या बीजेपी के करीब है। एनडीए के पास बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए जेडीयू का सहयोग जरुरी है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन जनता की नजरों में कमजोर माना जा रहा था, जिससे बीजेपी और महायुति को फायदा हुआ।
बिहार बीजेपी के पास फडणवीस जैसा कोई नेता नहीं है, जो नीतीश की लोकप्रियता और अनुभव का मुकाबला कर सके। फडणवीस ने एक मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के रूप में अपनी साख बनाई है, जबकि बिहार बीजेपी नेतृत्व में ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जो राज्य भर में नीतीश के कद का मुकाबला कर सके।
इन बातों से साफ हो जाता हैं कि बिहार में महाराष्ट्र मॉडल लागू करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा। एक ओर नीतीश की राजनीतिक पकड़ मजबूत है, दूसरी ओर आरजेडी जैसे विपक्षी दल की मजबूती एनडीए के लिए चुनौती बनी हुई है। साथ ही, बिहार के जातीय और सामाजिक समीकरण महाराष्ट्र की तुलना में अधिक जटिल हैं, जिससे बिना जेडीयू के सरकार बनाने की संभावना बेहद कम है।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement