नई दिल्ली: ओडिशा के बालासोर के फकीर मोहन ऑटोनोमस महाविद्यालय की 20 वर्षीय छात्रा, जिसने आत्मदाह का प्रयास किया था, ने सोमवार देर रात एम्स भुवनेश्वर में दम तोड़ दिया. उसने अपने कॉलेज के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में सरकारी निष्क्रियता के विरोध में शनिवार (12 जुलाई) को आत्मदाह कर लिया था.
शनिवार (12 जुलाई) को परिसर में धरना दे रही छात्रा ने प्राचार्य से उनके कक्ष में मिलने के कुछ ही देर बाद खुद को आग लगा ली. सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, छात्रों के एक समूह ने उन्हें बचाने की कोशिश की. वह गंभीर रूप से झुलस गईं.
हालत बेहद गंभीर होने के कारण एम्स भुवनेश्वर ने उनके इलाज की निगरानी के लिए आठ सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. एम्स के निदेशक आशुतोष बिस्वास ने कहा बताया था कि वह 90-95 प्रतिशत तक जल चुकी हैं और वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स भुवनेश्वर द्वारा देर रात जारी एक बयान में कहा गया, ‘बर्न्स आईसीयू में गुर्दे की रिप्लेसमेंट थेरेपी सहित पर्याप्त पुनर्जीवन और सभी संभव कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं किया जा सका और 14/07/25 को रात 11:46 बजे उन्हें चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया गया.’
पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया और बालासोर जिले में स्थित उसके पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने छात्रा की मौत पर शोक व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि सरकार परिवार के साथ पूरी तरह खड़ी है.
माझी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘सरकार द्वारा सभी ज़िम्मेदारियां निभाने और विशेषज्ञ चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बावजूद मृतका की जान नहीं बचाई जा सकी. मैं उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और भगवान जगन्नाथ से उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं.’
माझी ने अपने पोस्ट में यह भी दोहराया कि दोषियों को कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.
पुलिस ने अब तक इस मामले में आरोपी प्रोफेसर और कॉलेज के प्रिंसिपल सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
पिता का आरोप- लगातार उत्पीड़न के कारण दो बार आत्महत्या का प्रयास किया था
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच, बालासोर पुलिस और राज्य सीआईडी की एक टीम जांच कर रही है, वहीं मृतका के दोस्तों, उसके पिता और फ़कीर मोहन कॉलेज के अधिकारियों ने बताया कि उसके साथ यह घटना लगभग छह महीने पहले शुरू हुई थी जब आरोपी साहू ने पहली बार यौन उत्पीड़न की कोशिश की थी.
मृतका के पिता, जो एक स्थानीय कॉलेज में क्लर्क हैं, ने आरोप लगाया, ‘हालांकि वह शुरुआत में चुप रही, लेकिन बाद में उसने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया. उत्पीड़न जारी रहा. जब उसने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तो दुर्व्यवहार बढ़ गया. वह मेरी बेटी को कक्षा में रोज़ाना अपमानित करता था- थोड़ी देर से आने पर भी – और उसे बाहर खड़ा कर देता था. उसने कहा कि उसने जानबूझकर उसे आंतरिक परीक्षाओं (internal exam) में फेल कर दिया. उसने पिछले बुधवार को बैक पेपर परीक्षा में बैठने के लिए एक फॉर्म भरा था. साहू के कहने पर उसकी कक्षा के लड़के परिसर में उस पर भद्दी टिप्पणियां करते थे. वे छात्र संघ चुनाव लड़ने की उसकी महत्वाकांक्षा का मज़ाक उड़ाते थे. फिर भी उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया.’
उन्होंने यह भी कहा कि प्रोफ़ेसर ने कम उपस्थिति का हवाला देकर उसे परेशान किया.
उन्होंने आगे कहा, ‘उसकी तबियत ठीक नहीं थी और पारिवारिक शोक के कारण उसे घर लौटना पड़ा. उसने मास्टर ट्रेनर के तौर पर आत्मरक्षा प्रशिक्षण में भी भाग लिया. जब उसने अपनी अटेंडेंस को लेकर प्रोफेसर से संपर्क किया, तो उन्होंने बदले में यौन संबंध बनाने की मांग की.’
उन्होंने आगे बताया कि उनकी बेटी ने लगातार उत्पीड़न के कारण दो बार आत्महत्या का प्रयास किया था. मृतका ने स्थानीय विधायक के माध्यम से उच्च शिक्षा मंत्री सूरज सूर्यवंशी से मिलने का समय मांगा था, लेकिन यह मुलाक़ात नहीं हो सकी.
25 जून को उसने एक एक्स अकाउंट खोला और अपनी आपबीती पोस्ट की, जिसमें मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी, बालासोर ज़िला प्रशासन, सांसद प्रताप सारंगी, स्थानीय विधायक मानस कुमार दत्ता, एसपी राज प्रसाद और राष्ट्रीय महिला आयोग को टैग किया.
हालांकि, इस पोस्ट पर किसी का ध्यान नहीं गया.
30 जून को प्रोफेसर ने कथित तौर पर कम उपस्थिति का हवाला देते हुए उसे एक आंतरिक परीक्षा में बैठने से रोक दिया. उस दिन उसने और उसके एबीवीपी के साथियों ने कॉलेज प्रिंसिपल को उत्पीड़न का विवरण देते हुए एक पत्र लिखा और एक जांच समिति गठित करने की मांग की.
मृतका की एक दोस्त ने बताया, ‘जब प्रिंसिपल ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो अगले दिन एबीवीपी के सदस्यों ने विरोध में कॉलेज के गेट पर ताला लगा दिया, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. प्रिंसिपल घोष के कक्ष में एक बैठक हुई, जहां उन्होंने पॉश दिशानिर्देशों के तहत एक आईसीसी के गठन की घोषणा की. उस समय तक कॉलेज में ऐसी कोई समिति नहीं थी. फिर मृतका को समिति को संबोधित एक और शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा गया, जो उसने कर दी. परिणाम के बारे में अनिश्चितता के बीच उसने उसी दिन बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी से भी मुलाकात की, जिन्होंने प्रिंसिपल को फोन किया और शीघ्र जांच का आग्रह किया.’
सात दिन बाद छात्रा ने जांच की प्रगति जानने के लिए प्रिंसिपल से फिर मुलाकात की, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला.
आईसीसी जांच में प्रोफेसर को आरोपों से मुक्त किया गया था
बालासोर के एसपी राज प्रसाद ने बताया कि 1 जुलाई को प्रिंसिपल ने पुलिस को आश्वासन दिया था कि जांच पांच दिनों के भीतर पूरी हो जाएगी और एक रिपोर्ट पेश की जाएगी. हालांकि, ऐसा नहीं किया गया और उच्च शिक्षा विभाग को भी शिकायत के बारे में सूचित नहीं किया गया.
आईसीसी ने आखिरकार 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें साहू को आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
बाद में मामले की जांच करने वाले उच्च शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘आईसीसी जांच प्रक्रिया की पेचीदगियों को नहीं समझ पाई. रिपोर्ट अस्पष्ट लग रही थी. छात्रों को बेतरतीब ढंग से पूछताछ के लिए चुना गया था, और यह प्रयास औपचारिक लग रहा था. प्रिंसिपल को जांच के दौरान प्रोफेसर को परिसर में काम करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. मृतका को कोई परामर्श नहीं दिया गया, जिससे उसे लगा कि जांच एक दिखावा है.’
हालांकि तीन छात्र आईसीसी के सदस्य थे, लेकिन वे परीक्षाओं के कारण जांच में अनुपस्थित रहे.
10 जुलाई को पीड़ित छात्रा ने अपने पिता से बात की और कार्रवाई न होने पर निराशा व्यक्त की. उसने पिता से कहा, ‘वे मुझे चैन से जीने नहीं देंगे.’
शनिवार को उसने साहू के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रिंसिपल घोष से फिर संपर्क किया. उन्होंने कथित तौर पर उसे बताया कि आईसीसी को प्रोफेसर की कोई गलती नहीं मिली है और उस पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव डाला.
घटना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन, विपक्ष ने ओडिशा बंद का आह्वान किया
ओडिशा में विपक्ष ने मंगलवार को राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर कॉलेज छात्रा की मौत को लेकर निशाना साधा. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने 17 जुलाई को ओडिशा बंद का आह्वान किया है.
भुवनेश्वर में एम्स के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए पार्टियों ने राज्य सरकार पर मामले को छुपाने का आरोप लगाया और उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज को बर्खास्त करने की मांग की.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजद नेता सुलता देव ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम रात में क्यों किया गया? शव रात में इसलिए लाया गया ताकि किसी को पता न चले.’ देव ने कहा, ‘यह शर्मनाक है कि ओडिशा में महिलाओं और आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं… अगर शिक्षा के मंदिरों में ऐसा हो रहा है, तो एक महिला कहां जाए.’
कांग्रेस नेता याशिर नवाज़ ने भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाया और कहा, ‘हम इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे सुबह 2 बजे पोस्टमॉर्टम कर रहे हैं. सरकार पुलिस की मदद से पोस्टमॉर्टम के बाद शव को ले जाना चाहती है.’
इस बीच, बीजद नेता स्नेहांगिनी छुरिया ने भी ओडिशा की भाजपा सरकार पर निशाना साधा और कहा, ‘अब ओडिशा में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी जलाओ’ में बदल गया है.’
