कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केरल के कोट्टायम ज़िले के पुथुपल्ली में आयोजित ओमन चांडी स्मृति संगमम में आरएसएस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दोनों संगठनों पर जनता के प्रति “संवेदना की कमी” का आरोप लगाया।
केरल के पुथुपल्ली में ओमन चांडी स्मृति समारोह में राहुल गांधी ने आरएसएस और माकपा पर जनता के प्रति भावनाहीनता का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ये लोग विचारधारा से तो लड़ते हैं, लेकिन जनता के प्रति संवेदना का अभाव है. गांधी ने ओमन चांडी को भावनात्मक राजनीति का प्रतीक बताया और उनके जैसे नेताओं को आगे बढ़ाने की वकालत की.
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कोट्टायम के पुथुपल्ली में सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च में आयोजित ओमन चांडी स्मृति संगमम में सभा को संबोधित किया, जहां उन्होंने आरएसएस और सीपीआई(एम) पर जनता के प्रति कोई “भावना” न रखने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह आरएसएस और माकपा से वैचारिक रूप से लड़ते हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी शिकायत यह है कि उनके मन में जनता के लिए कोई भावना नहीं है.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं उनसे विचारों और भाषण के क्षेत्र में लड़ता हूं, लेकिन मेरी सबसे बड़ी शिकायत यह है कि उनके मन में जनता के लिए कोई भावना नहीं है. अगर कोई जनता के प्रति संवेदना नहीं रखता, उनसे जुड़ नहीं पाता या उन्हें गले नहीं लगा पाता, तो वह नेता नहीं हो सकता. यही मेरी सबसे बड़ी शिकायत है. अगर आप राजनीति में हैं, तो महसूस करें कि लोग क्या सोच रहे हैं, उनकी बात सुनें. आज भारतीय राजनीति की असली त्रासदी यह है कि बहुत कम लोग ही वह महसूस कर पा रहे हैं जो दूसरे लोग महसूस कर रहे हैं.’
राहुल गांधी ने कहा, ‘तो आप सोच रहे होंगे कि मैं यहां क्यों आया हूं और आपसे राजनीति और भावनाओं के बारे में क्यों बात कर रहा हूं? क्योंकि मेरे 21 साल के राजनीतिक जीवन में भावनाओं की राजनीति के महारथियों में से एक थे ओमन चांडी. मैंने उन्हें सचमुच देखा था और शायद केरल में बहुत से लोग इसे समझ नहीं पाएंगे क्योंकि उन्होंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा था. मुझे याद है भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सबने कहा था यहां तक कि डॉक्टरों ने भी मुझे बताया था कि चांडी जी यात्रा में चल नहीं सकते और जब मैं उन्हें यह बताने गया कि वे लंबी यात्रा में नहीं चल सकते, तो उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वे चलेंगे. फिर मैंने उन्हें थोड़ा ही चलने के लिए कहा. हमें उन्हें जबरदस्ती कार में बिठाना पड़ा.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए नहीं होता कि आप अच्छा बोलते हैं या अच्छा सोचते हैं. ऐसा तभी होता है जब आप उन लोगों के लिए महसूस करते हैं जिनके साथ आप काम कर रहे हैं. और मेरे लिए ओमन चांडी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं हैं; वे केरल की राजनीति की एक अभिव्यक्ति हैं. यहां की राजनीति में ऐसे लोगों को आगे लाने की परंपरा रही है. मेरी आकांक्षा ओमन चांडी जैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को आगे लाने की है. आपको बता दूं मैं अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही ओमन चांडी के संपर्क में आया था और मुझे कहना होगा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है.’
