November 20, 2025 12:54 am

बिहार: चुनाव से पहले बदहाल कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश कुमार पर ‘जंगल राज’ का ताज

 बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राज्य की बदहाल कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं. नीतीश कुमार 2005 में ‘जंगल राज’ का आरोप लगाकर लालू प्रसाद यादव को सत्ता से बेदखल करने में सफल रहे थे. हालांकि, अब उनकी खुद की ‘सुशासन’ व्यवस्था सवालों बढ़ते अपराधों के बीच के घेरे में है.

द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, गुरुवार (17 जुलाई) को पटना के एक निजी अस्पताल में सीसीटीवी कैमरों के बीच पांच हथियारबंद अपराधियों ने एक मरीज, जो खुद एक कुख्यात अपराधी था,  की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर आसानी से भाग निकले.

मालूम हो कि ये चौंकाने वाली घटना पटना के पॉश इलाके राजा बाजार में स्थित निजी अस्पताल पारस की है. इस मामले में पुलिस ने सभी आरोपियों की पहचान कर ली है. एक को गिरफ्तार भी किया गया है, वहींं बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है.

उल्लेखनीय है कि बिहार में हत्याओं की लगातार हो रही घटनाओं से केवल आम लोग सदमे में नहीं हैं, बल्कि कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति को लेकर चिराग पासवान जैसे एनडीए सहयोगियों को भी नीतीश के शासन पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया है.

हालांकि, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग ने नीतीश का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘बिहार में कानून-व्यवस्था आज एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है. रोज़ाना हत्याएं हो रही हैं और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली समझ से परे है.’

बता दें कि चिराग का यह पोस्ट भाजपा अध्यक्ष जेपी. नड्डा से मुलाकात से ठीक पहले आया है.

इस मामले में ये भी गौर करने वाली बात है कि अस्पताल में हत्या का शिकार हुए मरीज़ चंदन मिश्रा पर दर्जनों हत्याओं के आरोप थे और वह चिकित्सा कारणों से पैरोल पर थे. उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस पर थी.

मालूम हो कि यह हत्याओं की एक श्रृंखला में नवीनतम घटना है. इससे पहले पटना में एक व्यवसायी और भाजपा किसान नेता भी इसके शिकार हो चुके हैं. इन तमाम घटनाओं ने नवंबर में होने वाले चुनावों से पहले नीतीश के शासन में चरमराती कानून-व्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित किया है.

गौरतलब है कि पिछले एक पखवाड़े में अकेले पटना में ही 13 हत्याएं हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या भी शामिल है.

मुख्यमंत्री बनने पर नीतीश कुमार ने सबसे पहले ‘जंगल राज’ को समाप्त करने की मंशा जताई थी

2005 में मुख्यमंत्री बनने पर नीतीश ने सबसे पहले ‘जंगल राज’ को समाप्त करने और बिहार में कानून का राज स्थापित करने की अपनी मंशा की घोषणा की थी.

उन्होंने अपने मंत्रिपरिषद और शीर्ष अधिकारियों से कहा था कि अपराध को राजनीतिक संरक्षण अब अतीत की बात हो गई है.

उन्होंने अपनी शुरुआती बैठकों में से एक में घोषणा की थी, ‘अपराधियों की पहुंच मुख्यमंत्री के निवास तक हो गई है, लेकिन ये बंद होगा.’

उन्होंने आरोप लगाया था कि अपराधियों की पहुंच मुख्यमंत्री आवास तक बढ़ गई है.

उन्होंने कहा था, ‘संदेश जाना चाहिए प्रशासन की तरफ से कि अपराध को ना तो सरकार से किसी प्रकार का संरक्षण मिलेगा ना ही अपराध करने का फ़ायदा किसी को मिलेगा.’

हालांकि, गुरुवार (17 जुलाई) को नीतीश द्वारा मुफ्त बिजली की नवीनतम चुनावी घोषणा के ट्वीट के कुछ ही घंटों बाद इस हत्या के वीडियो सामने आए, जो उनकी हताशा को दर्शाता है क्योंकि प्रशासन उनके नियंत्रण से बाहर होता दिख रहा है.

बता दें कि जहां, नीतीश इन सिलसिलेवार हत्याओं पर चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं सत्तारूढ़ एनडीए के नेताओं, खासकर जनता दल यूनाइटेड और भाजपा ने ‘व्यक्तिगत रंजिश’ का आरोप लगाकर अपराध की बढ़ती लहर को कमतर आंकने की कोशिश की है.

इन हत्याओं के संबंध में मुख्यमंत्री के जदयू सहयोगी और केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा,  ‘किसी भी देश में विवाद के कारण घटनाएं हो सकती हैं.’

पुलिस अधिकारी ने अपराध में वृद्धि के लिए बेरोजगार किसानों को ज़िम्मेदार ठहराया

इस मामलों को लेकर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बुधवार (16 जुलाई) को एक कदम और आगे बढ़कर अपराध में वृद्धि के लिए बेरोजगार किसानों को ज़िम्मेदार ठहराया.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कुंदन किशनन ने पटना में पत्रकारों को बताया, ‘हाल ही में पूरे बिहार में कई हत्याएं हुई हैं. ज़्यादातर हत्याएं अप्रैल, मई और जून के महीनों में होती हैं. यह सिलसिला बारिश आने तक जारी रहता है, क्योंकि ज़्यादातर किसानों के पास तब तक काम नहीं होता.’

उन्होंने आगे कहा कि बारिश के बाद किसान समुदाय के लोग व्यस्त हो जाते हैं और घटनाएं कम हो जाती हैं.

वहीं, राज्य में बढ़ती हत्याओं को लेकर लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने एनडीए पर ‘जंगल राज’ का आरोप लगाया, लेकिन उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत रूप से हमला नहीं किया. इसके बजाय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है.

वर्तमान में राजद का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री पूरे देश के नेता हैं. जब वह वोट मांगने आते हैं, तो देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उनकी ज़िम्मेदारी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वह (मोदी) यहां आते हैं और चिल्लाते हैं कि (अगर राजद सत्ता में वापस आती है) तो ‘जंगल राज’ वापस आ जाएगा. लेकिन ‘जंगल राज’ पहले ही आ चुका है….’

ज्ञात हो कि पीएम मोदी शुक्रवार को बिहार के मोतिहारी में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने वाले हैं.

तेजस्वी का हमला भाजपा तक सीमित

माना जा रहा है कि तेजस्वी ने जानबूझ कर अपना हमला भाजपा तक सीमित रखा, जिससे जदयू के गैर-यादव ओबीसी समर्थकों को अपनी ओर आकर्षित किया जा सके.

उन्होंने आगे कहा, ‘ये लोग अंधे हो गए हैं. तथाकथित ‘डबल इंजन’ का मतलब है एक इंजन भ्रष्टाचार का और दूसरा अपराध का.’

नीतीश के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच भाजपा ने घोषणा की है कि वही चुनावों में गठबंधन का नेतृत्व करेंगे. हालांकि, पटना में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि अगर एनडीए सत्ता में लौटती है, तो भाजपा मुख्यमंत्री पद का दावा करेगी.

नीतीश ने अपनी नवीनतम मुफ्त बिजली योजना की घोषणा करते हुए पोस्ट किया, ‘हम शुरू से ही सस्ती बिजली उपलब्ध करा रहे हैं. अब हमने तय किया है कि 1 अगस्त, 2025 से, यानी जुलाई के बिल से ही राज्य के किसी भी घरेलू उपभोक्ता को 125 यूनिट तक बिजली के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा.’

मालूम हो कि पिछले महीने उनकी सरकार ने वृद्धों, विकलांगों और विधवाओं के लिए मासिक पेंशन में लगभग तीन गुना वृद्धि की घोषणा की थी.

इसके बाद नीतीश ने घोषणा की थी कि सरकारी नौकरियों में महिलाओं को दिया जाने वाला 35 प्रतिशत आरक्षण अब केवल बिहार के मूल निवासियों तक ही सीमित रहेगा.

भाजपा के सोशल मीडिया प्रमुख अमित मालवीय ने मुफ्त बिजली की घोषणा को एक ‘बड़ा कदम’ बताया है.

उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ‘अब बिहार के लोगों को 125 यूनिट तक बिजली का कोई बिल नहीं देना होगा – यानी शून्य बिजली बिल!’

उन्होंने कहा, ‘एनडीए के सुशासन और आरजेडी के ‘जंगल राज’ में यही अंतर है.’

हालांकि, उन्होंने इस दौरान बिहार में हत्याओं का जिक्र नहीं किया.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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