July 22, 2025 11:23 pm

यूरोपीय संघ ने रूस के ख़िलाफ़ कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की, भारत में रोसनेफ्ट की रिफाइनरी भी निशाने पर

नई दिल्ली: यूरोपीय संघ ने शुक्रवार (18 जुलाई) को यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के ख़िलाफ़ अब तक के सबसे सख्त प्रतिबंध पैकेज की घोषणा की, जिसमें गुजरात में रोसनेफ्ट की रिफ़ाइनरी को भी निशाना बनाया गया है. इसके साथ ही तीसरे देशों द्वारा रूसी कच्चे तेल से उत्पादित रिफ़ाइंड तेल के आयात को भी प्रतिबंधित किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने कहा है कि वह किसी भी एकतरफ़ा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता और एक ज़िम्मेदार देश के रूप में अपने क़ानूनी दायित्वों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

मालूम हो कि 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के बड़े पैमाने पर आक्रमण के जवाब में इस 18वें दौर के प्रतिबंधों की घोषणा की है.

एक बयान में यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने कहा कि नवीनतम प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस का  छद्म रूप से सहयोग कर रहे जहाजों को निशाना बनाकर, रूसी कच्चे तेल की मूल्य सीमा को कम करके रूस के राजस्व स्रोतों को कम करना है.

कल्लास ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘पहली बार हम भारत में स्थित व रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.’

यूरोपीय संघ की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इन प्रतिबंधों में संपत्ति जब्त करना, यात्रा प्रतिबंध और इन जहाजों के प्रबंधन में शामिल संस्थाओं, रूसी कच्चे तेल के व्यापारियों और उनके एक प्रमुख ग्राहक – भारत की एक रिफाइनरी, जिसमें रोसनेफ्ट मुख्य शेयरधारक है – को संसाधन प्रदान करने से रोकना है.

देश की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी

मालूम हो कि 2017 में रूस की दिग्गज तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत की एस्सार ऑयल (जिसे बाद में नयारा एनर्जी नाम दिया गया) का 12.9 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे में अधिग्रहण कर लिया था. अब रोसनेफ्ट के पास 49.13% हिस्सेदारी है, इतनी ही हिस्सेदारी कंसोर्टियम एसपीवी केसानी एंटरप्राइजेज कंपनी लिमिटेड के पास है, और शेष हिस्सेदारी खुदरा निवेशकों के पास है.

गुजरात के वाडिनार में नयारा एनर्जी की रिफाइनरी देश की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है और इसकी रिफाइनिंग क्षमता 2 करोड़ टन प्रति वर्ष है. कंपनी पूरे भारत में 6,000 से ज़्यादा खुदरा ईंधन आउटलेट भी संचालित करती है.

जून में द इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नायरा एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी की संभावित बिक्री के लिए रोसनेफ्ट के साथ शुरुआती दौर की बातचीत शुरू कर दी है.

रिपोर्ट में कहा गया था कि रोसनेफ्ट बाहर निकलने की संभावना तलाश रही है क्योंकि रूसी कंपनियों पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण वह अपने भारतीय परिचालन से होने वाली आय को पूरी तरह से वापस नहीं ला पा रही थी.

शुक्रवार को घोषित प्रतिबंधोंं में यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल से बने परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, भले ही उनका प्रसंस्करण तीसरे देशों में किया गया हो. केवल कनाडा, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ही इसके अपवाद हैं.

यूरोपीय संघ ने कहा कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य रूसी तेल को अप्रत्यक्ष रूप से यूरोपीय बाजार में प्रवेश करने से रोकना है.

भारत में चिंता बढ़ने की आशंका

उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ के इस कदम से भारत में चिंता बढ़ने की आशंका है, क्योंकि भारतीय रिफाइनरियां रूसी कच्चे तेल के अग्रणी प्रसंस्करणकर्ताओं और यूरोपीय बाजारों में निर्यातकों में से हैं.

शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) ने दोहराया कि भारत ‘किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता’.

मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘हम एक ज़िम्मेदार देश हैं और अपने कानूनी दायित्वों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.’

यूरोपीय थिंक-टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने अनुमान लगाया है कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के तीसरे वर्ष में यूरोप ने रूसी जीवाश्म ईंधन के आयात के लिए 21.9 बिलियन यूरो का भुगतान किया.

संगठन ने गणना की कि रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले पश्चिमी देशों ने भारत और तुर्की की छह रिफाइनरियों से 18 बिलियन यूरो मूल्य के तेल उत्पादों का आयात किया. इसमें रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी ने सबसे बड़ा हिस्सा संभाला. इस राशि में से नौ बिलियन यूरो मूल्य के उत्पाद रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत किए गए थे.

ज्ञात हो कि यूरोपीय संघ का प्रतिबंध भारत द्वारा नाटो महासचिव मार्क रूट की टिप्पणी के जवाब के एक दिन बाद आया है. मार्क रूट ने चेतावनी दी थी कि भारत, ब्राजील और चीन को रूस के साथ व्यापार करने पर द्वितीयक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. इसके जवाब में भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद का बचाव किया था.

भारत के ऊर्जा संबंधी निर्णय बाज़ार की गतिशीलता और वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित

इन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के ऊर्जा संबंधी निर्णय बाज़ार की गतिशीलता और वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होते हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमारे नागरिकों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.’

उन्होंने आगे कहा कि आलोचकों को ‘दोहरे मानदंड’ अपनाने से बचना चाहिए.

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषित यूरोपीय संघ के नवीनतम प्रतिबंधों के जवाब में अपने रुख को स्पष्ट किया.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सुरक्षा ज़रूरतों को पूरा करना ‘सर्वोपरि’ है, और ‘इस बात पर ज़ोर दिया कि कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए, खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो.’

इस संबंध में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार (17 जुलाई) को यह भी कहा कि भारत ज़रूरत पड़ने पर अपनी सोर्सिंग रणनीति में बदलाव के लिए तैयार है.

उन्होंने बताया कि आपूर्ति का भारत का आधार लगभग 40 देशों तक फैला है और घरेलू तेल उत्पादन में भी वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि भारत किसी भी संकट का सामना कर सकता और 2022 से पहले के अपने ऊर्जा मिश्रण पर वापस लौट सकता है, जब रूसी कच्चे तेल का आयात 2% से भी कम था.

गौरतलब है कि इस हफ़्ते की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर 50 दिनों के भीतर शांति समझौता नहीं हुआ, तो वे रूसी निर्यात के खरीदारों पर 100% का एक और ‘कठोर’ शुल्क (secondary tariffs) लगा देंगे.

इस मामले में अमेरिकी सीनेट 2025 के रूस प्रतिबंध अधिनियम पर भी विचार कर रही है, जो एक द्विदलीय विधायी प्रस्ताव है. यह उन देशों से सभी आयातों पर 500% शुल्क लगाता है, जो रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और पेट्रोकेमिकल्स सहित अन्य ऊर्जा उत्पादों की खरीद जारी रखते हैं.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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