अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ
गौरेला पेंड्रा मरवाही। पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने के नाम पर चलाई जा रही ग्रीन क्रेडिट एवं क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण योजना अब भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। जांच में सामने आया है कि जिन कार्यों के लिए मजदूरों को भुगतान किया गया, वास्तव में वे सारे काम मशीनों से कराए गए।
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मजदूरों के नाम पर भुगतान, काम में लगी जेसीबी मशीनें
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पौधारोपण की संख्या कागजों पर बढ़ाकर दिखाया गया?
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मरवाही वन मण्डल के पेंड्रा रेंजर और DFO की मिलीभगत से हरा-भरा घोटाला?
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स्थानीय लोगों ने कहा—“ हमें कुछ काम नहीं मिला”
मरवाही वन विभाग के रेंजर और डीएफओ पर आरोप है कि उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से फर्जी बिल तैयार कराए। कागजों पर मजदूरों की फौज दिखाकर गड्ढे खोदने और पौधे लगाने का हिसाब-किताब तैयार किया गया, लेकिन हकीकत में इन कामों के लिए जेसीबी और अन्य मशीनों का इस्तेमाल हुआ।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके नाम पर भुगतान तो हुआ, लेकिन उन्हें एक रुपए तक नहीं मिला। वहीं विभागीय अफसरों ने ऊपर तक रकम पहुंचाने के लिए पूरा खेल रचा। आरोप है कि पौधारोपण की संख्या भी कागजों पर बढ़ा-चढ़ाकर दर्ज की गई, ताकि बजट का दुरुपयोग किया जा सके।
इस पूरे मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिम्मेदार रेंजर और डीएफओ की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। फिलहाल विभागीय स्तर पर न तो कोई जांच शुरू की गई है और न ही किसी अधिकारी पर कार्रवाई हुई है।
जनता अब सवाल पूछ रही है कि हरियाली के नाम पर चल रहे इस घोटाले में कब होगी पारदर्शी जांच और कब कटेगा भ्रष्ट अफसरों पर गाज?
वर्जन- वही मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के जवाब गोल मोल वाले रहे है -उनके जवाब ने जैसे घोटाले पर पर्दा पड़ा रहे, और विधयकों मंत्री संतरी को बस कमीशन मिलता रहे ? ये है भाजपा की डबल इंजन सरकार।
