अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ
रायपुर।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में सदस्य द्वारा उठाए गए सवाल ने वन विभाग की पोल खोल दी है। शहरी क्षेत्र में 2015 से 2023 तक बिना किसी वैधानिक अनुमति के चलाए जा रहे ‘शहरी रोपणी जोन’ का घोटाला अब सतह पर आ गया है।
करोड़ों खर्च, नतीजा शून्य
वन विभाग ने 9 सालों तक बिना अनुमति करोड़ों रुपये फूंक डाले। दावा किया गया कि लाखों पौधे तैयार किए गए, लेकिन हकीकत यह है कि नर्सरी में पौधे ही नहीं मिले। स्थानीय स्तर पर पौधारोपण का काम कागजों में ही पूरा कर लिया गया।
नर्सरी बना भ्रष्टाचार का अड्डा
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जिस जोन नर्सरी के नाम पर लाखों का भुगतान किया गया, वहां न पौधे दिखे, न ही विकास कार्य। नर्सरी संचालित करने वाला ठेकेदार लगातार फर्जी बिल बनाकर धनराशि लेता रहा और अधिकारी आंख मूंदकर अनुमोदन देते रहे।
जनता के साथ धोखा
विधायक हार्दस का आरोप है कि वन विभाग के उच्च अधिकारी जानबूझकर भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे हैं। विभागीय मिलीभगत से न केवल करोड़ों की सरकारी राशि डूबी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का सपना भी चकनाचूर हो गया।
अब जवाब मांगेगी जनता
पत्र में साफ लिखा गया है कि वर्ष 2023 तक एक भी नया पौधा रोपा नहीं गया। सवाल उठता है कि आखिर विभाग किसके इशारे पर फर्जीवाड़े को संरक्षण देता रहा? क्या यह पूरा खेल अफसर-ठेकेदार गठजोड़ का हिस्सा है?
👉 यह खबर सीधे तौर पर वन विभाग की लापरवाही, भ्रष्टाचार और जनता के साथ धोखे को उजागर करती है। इसी कड़ी में एक एक परत दर परत खोली जाएगी।
