दिनांक: 26 सितम्बर 2025। बिलासपुर। अब्दुल सलाम क़ादरी। बिलासपुर वनमंडल का परिक्षेत्र इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है। लगातार फर्जीवाड़ों की परतें खुल रही हैं और यह साफ होता जा रहा है कि यहाँ शासन की धनराशि को सुनियोजित तरीके से लूटा गया है।

पल्लव नायक और नमित तिवारी पर बड़े आरोप
वन विभाग के परिक्षेत्र अधिकारी पल्लव नायक और सर्किल प्रभारी नमित तिवारी पर आरोप है कि वे लंबे समय से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। बिना काम किए ही फर्जी बिल-बाउचर बना लेना, बिना TS (तकनीकी स्वीकृति) के भुगतान करना और फर्जी पंचनामा तैयार करना इनकी आदत बन चुकी है।
बिना शिकायतकर्ता फर्जी पंचनामा
नमित तिवारी के खिलाफ जब शिकायत दर्ज की गई तो मामले को दबाने के लिए उन्होंने अपने पैसे के दम पर बिना शिकायतकर्ता की मौजूदगी में ही फर्जी पंचनामा तैयार करवा दिया और शिकायत को खत्म कर दिया। यह साफ इशारा है कि विभागीय तंत्र शिकायतकर्ताओं की बजाय दोषियों के साथ खड़ा है।

निजी खातों में सरकारी पैसा
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि परिक्षेत्र अधिकारी और सर्किल प्रभारी ने अपने नजदीकी लोगों के खातों में लेबर भुगतान के नाम पर लाखों रुपये डलवाए।
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दीपक दुबे, जो कि दुकानदार और टैक्सपेयर है, उसके खाते में ही तीन माह में ₹1,79,401 रुपये जमा किए गए। जबकि वह लेबर नहीं है और उसका नाम किसी बिल-बाउचर प्रमाणक में दर्ज नहीं है।
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इसके अलावा प्रदीप कुर्रे, रामकुमार दुबे, चांदनी, कमला बाई और हेमंत जैसे कई निजी खातों में भी भारी रकम डाली गई।

एक ही दिन में दो बार भुगतान
शासन की धनराशि के दुरुपयोग का आलम यह है कि एक ही दिन में दो-दो बार भुगतान तक कर डाला गया।
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29/08/2023 को दीपक दुबे के खाते में दो अलग-अलग भुगतान (₹18,310 और ₹21,022) किए गए।
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अन्य तारीखों पर भी ₹21,022 से लेकर ₹40,150 तक की रकम बार-बार डाली गई।
बीट गार्ड का खुलासा और रिकॉर्डिंग
बीट गार्ड ने खुलकर कहा है कि भुगतान होने के बाद रेंजर और डिप्टी रेंजर उससे कैश वापस ले लेते थे। यह केवल आदेश पर ही संभव होता था। बीट गार्ड ने यह भी बताया कि उसे बार-बार फंसाया गया और अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बड़े अधिकारी छोटे कर्मचारियों को ढाल बनाते रहे। इस पूरे खेल की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
ऊँचे अधिकारियों की मिलीभगत पर शक
इतने बड़े स्तर के भ्रष्टाचार के बावजूद विभागीय जांच का अभाव खुद ब खुद कई सवाल खड़े करता है। क्या इसका कारण यह है कि इस गोरखधंधे का हिस्सा ऊँचे अधिकारी भी हैं? क्या कमीशन का हिस्सा ऊपर तक पहुँच रहा है? यही वजह है कि वर्षों से भ्रष्टाचार का सिलसिला चलता रहा और कार्रवाई नहीं हुई।
वन मंत्री और आला अधिकारियों की चुप्पी भी सवालो के कठघरे में
अब समय आ गया है कि इस महाघोटाले पर वन मंत्री और विभागीय आला अधिकारी जवाब दें। जनता और ईमानदार कर्मचारियों की मांग है कि तत्काल उच्चस्तरीय जांच बैठाई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। अगर समय रहते इस खेल पर लगाम नहीं लगी तो यह घोटाला वन विभाग की विश्वसनीयता को पूरी तरह से ध्वस्त कर देगा।
👉 सवाल यही है कि जब पल्लव नायक और नमित तिवारी जैसे अधिकारी खुलेआम शासन के पैसों से खेल रहे हैं, तो ऊँचे अधिकारी चुप क्यों हैं? क्या छत्तीसगढ़ के वन मंत्री और पीसीसीएफ का इनको संरक्षण प्राप्त है?
सौजन्य फारेस्ट क्राइम








