- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्त पर 40 हजार रु. का जुर्माना लगाया और आवेदक नीरज निगम को 2 लाख 38 हजार की जानकारी मुफ्त देने का आदेश दिया है.
जबलपुर- मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त को कड़ी फटकार लगाते हुए 40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. उनके जानकारी ना देने के आदेश को रद्द किया है. इसके साथ-साथ 2 लाख 12 हजार रुपए का शुल्क लिए बिना आवेदक को निशुल्क प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट में अपने आदेश में आवेदक को समय पर जानकारी न देने और उसे भड़काने के लिए सूचना आयुक्त पर ₹40000 की कॉस्ट भी लगाई है.
यह पूरा मामला भोपाल के एक पत्रकार और फिल्म निर्माता नीरज निगम की आरटीआई से जुड़ा हुआ है. जिसमें उन्होंने वेटरनरी कॉलेज में से संबंधित जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी थी. लेकिन सूचना देने की बजाय 30 दिन तक आवेदक को लटकाकर रखा गया और 31वें दिन उसके आवेदन को निरस्त कर दिया गया।
आवेदक नीरज निगम ने इसके बाद दोबारा अपील की लेकिन सूचना देने की बजाय आवेदन के तथ्यों को नजर अंदाज करते हुए अपील को भी खारिज कर दिया गया. इसके बाद नीरज निगम की तरफ से एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में दलील दी और सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सूचना आयुक्त पर तल्ख टिप्पणी करते हुए याचिका का निराकरण कर दिया. कोर्ट ने सूचना आयुक्त को फटकार लगाते हुए कहा कि वे सरकार के एजेंट की तरह काम ना करें. बहरहाल अब सूचना आयुक्त को बिना किसी शुल्क वसूल किए ही आवेदक को चाही गई जानकारी उपलब्ध करवाना होगी.
